MP के छिंदवाड़ा में कंबल वाले बाबा कर रहे थे लोगों का इलाज, पहुंच गई स्वास्थ्य विभाग की टीम

छिंदवाड़ा में ‘कंबल वाले बाबा’ काला कंबल ओढ़ाकर हर बीमारी ठीक करने का दावा कर रहे हैं. जिस कारण हजारों लोग उनके शिविर में पहुंच रहे हैं. प्रशासन ने बिना अनुमति चल रहे शिविर की जांच की है और दवाओं के नमूने परीक्षण के लिए भेजे हैं.

छिंदवाड़ा
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पवन शर्मा

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छिंदवाड़ा में इन दिनों एक बाबा खास चर्चा में हैं जिन्हें लोग 'कंबल वाले बाबा' के नाम से जानते हैं. बाबा गणेश का दावा है कि उनका 'काला कंबल' देवी माता का आशीर्वाद है और जिसे भी यह कंबल ओढ़ाया जाता है उसकी हर बीमारी ठीक हो जाती है, फिर चाहे वह लकवा हो गठिया हो या कोई और गंभीर बीमारी.

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भीड़ उमड़ी मरीजों में उम्मीद और उलझन

बाबा के शिविर में रोज हजारों लोग पहुंच रहे हैं. किसी का लकवा का इलाज सालों से नहीं हुआ कोई लंबे समय से बीमार है. सभी लोग इस उम्मीद में बाबा के पास आ रहे हैं कि काला कंबल ओढ़ते ही चमत्कार हो जाएगा.

बाबा गणेश बताते हैं कि उन्हें यह कंबल, 'चार साल की उम्र में माता काली के आशीर्वाद' के रूप में मिला था और पिछले लगभग 50 सालों से वह लोगों का इलाज कर रहे हैं. उनका कहना है. 'मैं कोई डॉक्टर नहीं हूं, बस कंबल ओढ़ाता हूं… माता रानी ठीक कर देती हैं.'

हालांकि कई मरीजों को कंबल तो ओढ़ाया गया लेकिन उन्हें यह समझ नहीं आया कि वे कब तक ठीक होंगे. नागपुर से आई एक महिला ने बताया कि वह अपने बेटे को लेकर सुबह 9 बजे से लाइन में खड़ी थीं लेकिन भारी भीड़ और खराब व्यवस्था के कारण उन्हें काफी परेशानी हुई.

बिना अनुमति लग रहा था शिविर

जब शिविर की खबर प्रशासन तक पहुंची तो जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंची. जांच में पता चला कि बाबा ने शिविर लगाने के लिए कोई अनुमति नहीं ली थी. टीम ने वहां से अश्वगंधा चूर्ण और मालिश का तेल भी बरामद किया जिसे जांच के लिए भेजा गया है.

सीएमएचओ ने स्पष्ट कहा कि बिना अनुमति ऐसे शिविर नहीं लगाए जा सकते और बाबा को किसी भी तरह की दवाई देने से भी मना किया गया है. बाद में जांच के बाद शिविर को अस्थायी अनुमति दी गई.

क्या मेडिकल साइंस से बड़ा है यह ‘चमत्कार’?

बाबा के दावों से कई सवाल खड़े हो रहे हैं और वो सवाल है कि क्या सिर्फ कंबल ओढ़ाकर लकवा जैसी बीमारी ठीक हो सकती है? अगर ऐसा संभव नहीं है तो लोगों को इस तरह गुमराह होने से कौन बचाएगा? प्रशासन ने शुरुआती कार्रवाई देर से क्यों की?

सच्चाई जो भी हो लेकिन यह साफ है कि इलाज के नाम पर भीड़ हर दिन बढ़ रही है लोग उम्मीद लेकर आते हैं और कई बार निराश होकर लौट जाते हैं. 

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