किसानों के 4.79 करोड़ में से 90 फीसदी अधिकारियों ने लग्जरी कारों पर उड़ा दिए, कृषि मंत्री बोले- गाड़ी नहीं खरीदें क्या

CAG की रिपोर्ट में पता चला है कि उर्वरक विकास निधि के अधिकतर पैसे किसानों के लिए खर्च करने की बजाय राज्य और जिला स्तर पर वाहनों पर खर्च कर दिए गए. इससे किसानों को मिलने वाले लाभ कम हुए हैं.

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न्यूज तक

01 Aug 2025 (अपडेटेड: 01 Aug 2025, 06:22 PM)

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मध्य प्रदेश विधानसभा में हाल ही में CAG की रिपोर्ट पेश की गई. जिसमें फर्टिलाइजर डेवलपमेंट फंड (FDF) के दुरुपयोग का सनसनीखेज खुलासा हुआ है. दरअसल CAG के अनुसार पिछले पांच सालों में किसान कल्याण के लिए ₹5.31 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे. जिसमें से लगभग ₹4.79 करोड़ की राशि यानी 90 प्रतिशत की राशि अधिकारियों ने लग्जरी गाड़ियों की खरीद पर खर्च कर दी. 

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हद तो तब हो गयी जब, विपक्ष अब इसे सरकार और अधिकारियों का गठजोड़ बताते हुए कृषि मंत्री से सवाल किया तो कृषि मंत्री ने जवाब में कहा कि गाड़ी नहीं खरीदें क्या?  

क्या होता है FDA, पूरा मामला समझिये

दरअसल FDF यानी फर्टिलाइजर डेवलपमेंट फंड का इस्तेमाल किसानों के हित के लिए फर्टिलाइजर मैनेजमेंट में सुधार करना, उन्हें महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करना, खाद्य वितरण भंडारण वितरण की निगरानी मॉनिटरिंग निरीक्षण और प्राथमिक कृषि ऋण समितियां को मजबूत करना है.  लेकिन CAG की रिपोर्ट कहती है कि इन कामों पर इस फंड से नाममात्र खर्च हुआ और गाड़ियों पर करोड़ों उड़ गए.

CAG की रिपोर्ट में साफ बताया गया है कि पंजीयक, सहकारी समितियों ने उर्वरक विकास निधि के 5.31 करोड़ रुपये में से 4.79 करोड़ रुपये यानी करीब 90% पैसा किसानों की भलाई के कामों जैसे छूट, प्रशिक्षण या कृषि उपकरण देने के बजाय राज्य और जिले के स्तर पर गाड़ियों पर खर्च कर दिया है. 

रिपोर्ट पेश करने के बाद विपक्ष ने जमकर साधा निशाना 

CAG की यह रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गयी जिसके बाद विपक्ष इसे नेता, अधिकारी और माफिया का गठजोड़ बताते हुए राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा है. पूर्व कृषि मंत्री और कांग्रेस विधायक कहते हैं, 'कैग की रिपोर्ट ने यह भी साफ किया कि किसानों के लिए राहत, प्रशिक्षण या उपकरण सप्लाई जैसे बुनियादी कार्यों पर नाममात्र का पैसा खर्च हुआ है. फंड के उद्देश्य दरकिनार रहे, जबकि गाड़ियों पर खर्च चलते रहे. ऐसे में सवाल उठता है क्या किसानों के नाम पर बना पैसा, वाकई कभी किसानों तक पहुंचेगा भी या नहीं?'

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