महाशिवरात्रि: साल में एक बार होती है दिन में महाकाल की भस्मारती, सवा मन फूलों का सेहरा सजाए बैठे भूतभावन

Ujjain Mahashivratri: उज्जैन में महाशिवरात्रि भव्य तरीके से मनाई गई. शिवरात्रि के दूसरे दिन भी यहां खास उत्सव मनाया गया. उज्जैन में आज वार्षिक परंपरा के अनुसार दोपहर में भस्मारती की गई. दोपहर में भस्मारती साल में केवल एक बार की जाती है. आज फिर बाबा महाकाल का दूल्हे की तरह शृंगार किया गया. महाकाल […]

Ujjain, Mahashivratri, Bhasm Aarti, Mahakal, Shivratri 2023
Ujjain, Mahashivratri, Bhasm Aarti, Mahakal, Shivratri 2023

संदीप कुलश्रेष्ठ

19 Feb 2023 (अपडेटेड: 19 Feb 2023, 02:06 PM)

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Ujjain Mahashivratri: उज्जैन में महाशिवरात्रि भव्य तरीके से मनाई गई. शिवरात्रि के दूसरे दिन भी यहां खास उत्सव मनाया गया. उज्जैन में आज वार्षिक परंपरा के अनुसार दोपहर में भस्मारती की गई. दोपहर में भस्मारती साल में केवल एक बार की जाती है. आज फिर बाबा महाकाल का दूल्हे की तरह शृंगार किया गया. महाकाल को सवा मन फूलों के सेहरा सजाया गया. सवा लाख बेलपत्र अर्पित किए गए. इसके बाद भगवान पुन: निराकार रूप में आए. फिर पंचामृत पूजन अर्चन के बाद महानिर्वाणी अखाड़ा द्वारा भस्मारती की गई.

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महाकाल की नगरी उज्जैन में शिवरात्रि का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर उज्जैन में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. इस अवसर पर क्षिप्रा के घाट पर 18 लाख से ज्यादा दिए जलाकर महाकाल की नगरी को सजाया गया. आपको बता दें कि उज्जैन में महाशिवरात्रि का त्योहार 9 दिनों तक मनाया जाता है. इसे महानवरात्रि कहते हैं. महानवरात्रि के दौरान बाबा को चंदन, केसर और उबटन लगाया जाता है.

महाकाल को 9 दिनों तक अलग-अलग रूपों में सजाकर दूल्हा बनाया जाता है. इसी क्रम में शिवरात्रि के दूसरे दिन भी खास उत्सव मनाया गया. इस दौरान श्रद्धालुओं ने वर्ष में एक बार होने वाली दोपहर की भस्मारती के दर्शन का लाभ लिया.

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दोपहर की खास भस्मारती
महाशिवरात्रि के दूसरे दिन सुबह बाबा का श्रृंगार कर उन्हें दूल्हे रूप में सजाया गया. बाबा महाकाल को स्वर्ण के आभूषण, स्वर्ण का चंद्रमा, स्वर्ण का त्रिपुंड, स्वर्णाकार तिलक लगाकर दूल्हा बनाया गया. इसके बाद सप्तधान्य अर्पण किया गया. सवा मन फूलों का सेहरा चढ़ाया गया और सवा लाख बेलपत्र अर्पित की गई. दोपहर को बाबा का सेहरा उतारा गया और भगवान पुनः निराकार रूप में आ गए. पंचामृत पूजन अर्चन के बाद महानिर्वाणी अखाड़ा द्वारा भस्मारती की गई.

भस्मारती महानिर्वाणी अखाड़ा के मुख्य संत द्वारा अर्पित की गई. परंपरा अनुसार साल में एक बार होने वाली भस्मारती के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे.

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