MP Patwari Exam Scam: मध्यप्रदेश पटवारी भर्ती परीक्षा के परिणामों में धांधली के आरोप लगने के बाद एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पटवारी की नियुक्तियाें पर रोक लगा दी थी. परीक्षा में धांधली को लेकर एक ही सेंटर से टॉपर निकलने के आरोपों के बाद दोनों तरफ से अभ्यर्थियों का विरोध शुरू हो चुका है. पहले पटवारी परीक्षा नहीं पास कर पाए अभ्यर्थियों ने भोपाल में प्रदर्शन किया था और सोमवार 17 जुलाई हजारों की संख्या में पटवारी परीक्षा पास कर चुके हजारों अभ्यर्थी भोपाल की सड़कों पर उतर पड़े.
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पटवारी परीक्षा के परिणाम की घोषणा के बाद आरोप लगा कि एक ही कॉलेज से 10 में से 7 टॉपर निकले हैं, इन सबने ग्वालियर के एक एग्जाम सेंटर (NRI कॉलेज) में परीक्षा दी थी. शक तब और गहरा हो गया, जब मंडल की तरफ से टॉपर्स की लिस्ट ही जारी नहीं की गई. छात्रों ने मांग की कि टॉपर लिस्ट जारी हो और किसने कहां पेपर दिया है, उसमें ये जानकारी भी दी जाए. इसके बाद टॉपर्स लिस्ट जारी की गई. तब पता चला कि टॉप 10 में से 7 उम्मीदवारों ने ग्वालियर के एनआरआई कॉलेज एग्जाम सेंटर में परीक्षा दी थी.
भोपाल पहुंची पटवारी भर्ती परीक्षा टॉप 10 लिस्ट में शामिल पूजा रावत ने एमपी तक के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में परीक्षा में धांधली के आरोपों को आधारहीन बताया. पूजा ने NRI कॉलेज सेंटर से परीक्षा दी थी. पूजा ने कहा कि मेरे पिता खेती और सेक्युरिटी गार्ड का काम करते हैं. वह 15 लाख रुपये कहां से लाएंगे.
मैं गलत हूं तो मुझे पर कार्रवाई की जाए: टॉपर
पूजा ने कहा, “मेरी जांच की जाये और यदि मैं गलत तरिके से चुनी गई हूं तो मुझ पर कार्रवाई की जाये और मैं निर्दोष हूं तो उन लोगों पर कार्रवाई हो जो आरोप लगा रहे हैं. मेरा पूरा बायोडाटा निकाल कर देख लिया जाये मैं पांचवी कक्षा से हिंदी में दस्तखत करती आई हूं. मैं NRI कॉलेज पहली बार गई थी उससे पहले कभी नाम भी नहीं सुना था, ना मैं उन लोगों को जानती हूं, जिनका नाम टॉपर लिस्ट में नाम है.”
पूजा के पिता ने कहा- मैं गरीब मजदूर
पूजा ने आगे कहा- ‘मेरी घर की स्थिति ऐसी है ही नहीं कि मैं पैसे देकर परीक्षा दूं. हमने बहुत मेहनत की है इस परीक्षा के लिए हमें 15 अगस्त को ज्वाइनिंग चाहिए. अंग्रेजी में पूरे नंबर आये यह आरोप भी झूठे लगाए जा रहे हैं.’ वहीं पूजा रावत के पिता मातादीन रावत ने कहा- ‘मुझ जैसे मजदूर के पास 15 लाख रुपये कहां से आएंगे? मैं तो सिक्युरिटी गार्ड और किसान का काम कर के बच्ची को पढ़ाया हूं. मैं गरीब हूं लेकिन अपनी सभी 3 बच्चियों को पढ़ा ‘चूका हूं. गांव में किसान हूं.’
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