मेहनत, संघर्ष और फोकस अगर एक साथ हो तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रह सकता. यह साबित किया है MPPSC 2023 परीक्षा के टॉपर अजीत मिश्रा ने. सीमित साधनों से पढ़ाई करने वाले अजीत आज पूरे प्रदेश में मिसाल बन गए हैं.
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अजीत का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. सलेहा गांव के सरकारी स्कूल से पढ़ाई शुरू करने वाले अजीत को शुरुआती दिनों में 10वीं तक पढ़ने के लिए रोज करीब 10 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था.
11वीं के बाद इंदौर आकर उन्होंने अपनी तैयारी शुरू की और लगातार मेहनत के दम पर आज पहली रैंक हासिल कर डीसी (डिप्टी कलेक्टर) बने हैं.
परिवार का संघर्ष और प्रेरणा
अजीत बताते हैं कि उनके दादा जी डिप्टी रेंजर रहे हैं और लोगों के बीच उनकी ईमानदारी के लिए पहचान थी. वहीं से अजीत को सेवा भावना की प्रेरणा मिली. आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद माता-पिता और चाचा ने उनकी पढ़ाई में पूरा सहयोग दिया. पिता जी प्राइवेट स्कूल में शिक्षक हैं और खेती भी करते हैं, जबकि मां घर संभालते हुए हर सुबह उन्हें पढ़ाई के लिए प्रेरित करती थीं.
अजीत ने बताया,
कोरोना के वक्त भी नहीं टूटा हौसला
कोविड के दौरान अजीत इंदौर में ही फंसे रहे. मुश्किल हालात में भी उन्होंने पढ़ाई नहीं छोड़ी. ऑनलाइन क्लासेस से तैयारी जारी रखी. उन्होंने बताया कि आकार आईएएस संस्थान के शिक्षकों ने हर मुश्किल में साथ दिया और ऑनलाइन-ऑफलाइन दोनों माध्यमों से पढ़ाई कराई.
लगातार कोशिशों के बाद मिली सफलता
अजीत ने 2019 में ग्रेजुएशन के बाद एमपीपीएससी की तैयारी शुरू की. 2020 और 2021 में वे इंटरव्यू तक पहुंचे लेकिन चयन नहीं हुआ. 2022 में तहसीलदार पद पर सिलेक्शन हुआ फिर भी उन्होंने पढ़ाई नहीं छोड़ी. आखिरकार 2023 में उन्होंने फर्स्ट रैंक हासिल कर इतिहास रच दिया.
सोशल मीडिया से दूरी
अजीत कहते हैं,
बहन की खुशी और भावनाएं
अजीत की छोटी बहन अंकिता मिश्रा खुद भी एमपीपीएससी की तैयारी कर रही हैं. भाई की सफलता पर वह भावुक होकर बोलीं, "हमने उनका संघर्ष देखा है. वो इतने फोकस्ड रहते थे कि कभी ध्यान नहीं देते थे कि क्या पहन रहे हैं. आज उनका सपना पूरा हुआ है तो लग रहा है जैसे हमारी भी जीत हुई."
संस्थान और टिचर्स ने क्या कहा
आकार आईएएस के शिक्षकों ने अजीत को ''गुदड़ी का लाल'' बताया. संस्थान के संचालक ने कहा कि अजीत ने सीमित संसाधनों में मेहनत, ईमानदारी और धैर्य के बल पर ये मुकाम हासिल किया है.
माता-पिता के लिए संकल्प
अजीत कहते हैं, "अब मेरी कोशिश रहेगी कि माता-पिता को वो सारी खुशियां दूं, जिनके लिए उन्होंने इतने साल संघर्ष किया है."
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