PM बनते-बनते रह गए थे बेंगलुरु को सिलिकॉन वैली बनाने वाले एस.एम कृष्णा! जानिए इनकी कहानी

1932 में जन्में एसएम कृष्णा ने 1962 में निर्दलीय विधायक के रूप में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया. इसके बाद प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से होते हुए 1971 में कांग्रेस में शामिल हुए. उनके नेतृत्व में कांग्रेस को मजबूती मिली, और 1999 से 2004 तक वे कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे

SM KRISHNA
एसएम कृष्णा

कीर्ति राजोरा

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SM Krishna Demise: 9-10 दिसंबर 2024 की रात भारतीय राजनीति ने एक ऐसा सितारा खो दिया जिसने कर्नाटक की सूरत बदल दी. एसएम कृष्णा को बेंगलुरु को भारत की सिलिकॉन वैली बनाने का श्रेय दिया जाता है. उनका 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने कर्नाटक को आईटी हब के रूप में स्थापित किया और बेंगलुरु एजेंडा टास्क फोर्स (BATF) की शुरुआत की. उनकी दूरदर्शिता ने बेंगलुरु को ग्लोबल टेक्नोलॉजी हब बना दिया.  

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निर्दलीय से कांग्रेस और फिर बीजेपी तक का राजनीतिक सफर  

1932 में जन्में एसएम कृष्णा ने 1962 में निर्दलीय विधायक के रूप में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया. इसके बाद प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से होते हुए 1971 में कांग्रेस में शामिल हुए. उनके नेतृत्व में कांग्रेस को मजबूती मिली, और 1999 से 2004 तक वे कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे. हालांकि, 2017 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा. यह कदम उनके राजनीतिक सफर में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ.  

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विदेश मंत्री रहते हुए चर्चित घटना  

2009-2012 के दौरान विदेश मंत्री के रूप में सेवा देते समय एसएम कृष्णा एक अजीब वाकये के लिए चर्चा में आए. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में उन्होंने गलती से पुर्तगाल के विदेश मंत्री का बयान पढ़ना शुरू कर दिया. हालांकि, यह घटना उनकी उपलब्धियों के आगे बहुत छोटी मानी जाती है. उनके नेतृत्व और अनुभव का सम्मान सभी राजनीतिक दलों ने किया.  

आईटी क्रांति के नायक और अंतिम विदाई

एसएम कृष्णा के कार्यकाल के दौरान बेंगलुरु में आईटी उद्योग को बढ़ावा मिला, जिससे युवाओं को रोजगार और कर्नाटक को आर्थिक मजबूती मिली. उनके प्रयासों ने बेंगलुरु को हैदराबाद से भी बड़ा आईटी हब बना दिया. 2023 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया, और कर्नाटक में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया. 

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