दुनिया की सबसे बड़ी ट्रेड वॉर में इन दिनों एक बड़ा नाम शामिल हो चुका है और वह है भारत-अमेरिका के बीच के रिश्ते. इस रिश्ते को सबसे तगड़ा झटका उस वक्त लगा जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% का भारी-भरकम टेरिफ यानी आयात शुल्क लगा दिया.
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ट्रंप का ये फैसला भारत के लिए एक बड़ा आर्थिक दबाव भी साबित हो सकता था. लेकिन इस कहानी में असली ट्विस्ट तो उस वक्त आया जब अमेरिका की अपनी मीडिया ही ट्रंप के खिलाफ खड़ी हो गई और खुलकर भारत का समर्थन करने लगी.
ट्रंप की उलझी विदेश नीति पर सवाल
दरअसल अमेरिका के अंदर ही डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति को लेकर विरोध शुरू हो गया है. अमेरिका के वरिष्ठ पत्रकार रिक सांचे ने डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति पर खुलकर सवाल उठाए हैं. उन्होंने ये साफ कर दिया है कि ट्रंप की विदेश नीति "अस्थिर" और "विरोधाभासी" है.
रिक सांचे ने क्या कहा,
'एक दिन ट्रंप आपके दोस्त हैं, तो दूसरे दिन आपके खिलाफ खड़े हो जाते हैं. ट्रंप और उनकी दोस्ता का ये व्यवहार पूरी दुनिया को कंफ्यूज कर रहा है."
उनका मानना है कि ट्रंप बिना सोचे-समझे ऐसे कदम उठा रहे हैं जिससे अमेरिका अपने पुराने साथी देशों को खो रहा है और रूस, चीन और भारत जैसे देशों के गठबंधन को मजबूत कर रहा है.'
भारत के साथ खड़ा है अमेरिकी मीडिया
ऐसे में एक सवाल ये उठता है कि अमेरिका की मीडिया भारत के समर्थन में क्यों उतर आई? इसके पीछे तीन अहम वजहें हैं:
1. भारत ने झुकने से इंकार कर दिया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव के बावजूद भारत ने अपनी विदेश नीति में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया. भारत ने साफ कहा कि वह रूस से सस्ता तेल खरीदता रहेगा. भारत ने कहा, "हम अपनी पॉलिसी खुद बनाएंगे."
2. भारत के बढ़ते रिश्ते
भारत ने चीन, रूस, जापान जैसे कई देशों के साथ रिश्ते मजबूत किए हैं. इससे अमेरिका को यह साफ संदेश मिल रहा है कि भारत अब सिर्फ अमेरिका पर निर्भर नहीं है.
3. भारत का स्थिर नेतृत्व
एक तरफ जहां ट्रंप की नीतियां हर दिन बदलती हैं, वहीं दूसरी तरफ भारत ने लगातार एक संतुलित और आत्मविश्वास से भरी विदेश नीति अपनाई है. यही वजह है कि अमेरिकी मीडिया को भी भारत की यह नीति लाजवाब लगी.
4. ट्रंप के अपने देश में ही घिरने की शुरुआत
डोनाल्ड ट्रंप शायद यह सोच भी नहीं सकते थे कि उनके अपने देश के पत्रकार, राजनायक और नेता उनके खिलाफ बोलेंगे. इतना ही नहीं निक्की हेली जैसी नेता भी डोनाल्ड ट्रंप को पहले ही चेतावनी दे चुकी हैं कि अगर वे अपनी नीति में बदलाव नहीं लाते हैं तो अमेरिका को भारी नुकसान हो सकता है.
अब तो अमेरिकी मीडिया ये तक कहने लगी है कि ट्रंप की नीतियों से अमेरिका अपना वैश्विक नेतृत्व खो सकता है.
अपनी शर्तों पर चलता है भारत
इस पूरे मामले में सबसे बड़ी बात ये है कि भारत अब केवल सुनने वाला देश नहीं रहा. वह अपनी शर्तों पर फैसले ले रहा है. फिर चाहे वो रूस से तेल खरीदना हो या चीन से निपटना, भारत अपने फैसलों में मजबूत बना हुआ है. यही वजह है कि अमेरिका की मीडिया भी भारत की तारीफ करने लगी है और ट्रंप से सवाल पूछ रही है.
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