Charchit Chehra Javed Akhtar: Does God Exist? 20 दिसंबर के बाद से ये सवाल इस कदर चर्चा में आया, हर कोई इसकी बात कर रहा है. दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में हुई तगड़ी डिबेट आज 3 दिन बाद भी टॉक ऑफ द टाउन बनी हुई है. क्योंकि डिबेट जिस मुद्दे पर हुई वो कोई छोटा-मोटा मुद्दा नहीं बल्कि अरबों-खरबों लोगों की आस्था से जुड़ा, 'ईश्वर के अस्तित्व' पर था. डिबेट के मुद्दे के अलावा डिबेट करने वाले भी जबरदस्त चर्चा में हैं. ईश्वर के अस्तित्व के मुद्दे पर पक्ष-विपक्ष से बोलने वाले दोनों ही मुस्लिम धर्म से हैं. एक तरफ हैं मशहूर शायर-गीतकार और नास्तिक होने का दावा करने वाले जावेद अख्तर और दूसरी तरफ थे इस्लामिक स्कॉलर मुफ्ती शमाइल नदवी.
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अब तक आपने जावेद अख्तर के बारे में खूब सुना होगा लेकिन इस बहस से मुफ्ती शमाइल नदवी का नाम और उनके बारे में हर कोई सर्च कर रहा है. ऐसे में पुराने धुरंधर जावेद अख्तर के ईश्वर के अस्तित्व को लेकर दिए बयान और उनके तर्क-वितर्क जबरदस्त चर्चा में हैं.
चर्चित चेहरा के इस खास एपिसोड में आज जानेंगे क्या है पूरा मामला, कैसे ईश्वर के बच्चों का जिक्र करके जावेद अख्तर हुए जबरदस्त वायरल, कैसे मुफ्ती शमाइल नदवी को दिए तगड़े जवाब, कैसे सरकार की खुलकर आलोचना करने वाले जादू यानी जावेद अख्तर ने पढ़ाया कई लोगों को पाठ, कैसे शबाना आजमी से हुआ प्यार और क्यों टूटी सलीम-जावेद की दोस्ती...
जावेद अख्तर का बयान वायरल
मशहूर शायर-गीतकार और नास्तिक कुछ इसी अंदाज में जावेद अख्तर खुद को पेश करना पसंद करते हैं. जावेद हर उस मुद्दे पर बोलते हैं जिस पर बोलना जरूरी है और शायद इसलिए ही उन्हें हिंदू और मुस्लिम दोनों के कट्टरपंथी लोग निशाना बनाते हैं. अब एक बार फिर चर्चा में हैं क्योंकि ईश्वर के अस्तित्व पर जो उन्होंने बोला वो जबरदस्त तरीके से वायरल है. जावेद अख्तर ने मुफ्ती शमाइल नदवी की बात का तर्क देते हुए कहा कि अगर ईश्वर दयालु, सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी है, तो दुनिया में इतनी हिंसा क्यों है?
उन्होंने गाजा युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि वहां 70 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे गए हैं, ऐसे में दयालु और सर्वशक्तिमान ईश्वर की बात समझ से परे है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि इसके मुकाबले हमारे प्रधानमंत्री बेहतर हैं, कम से कम कुछ तो ख्याल रखते हैं. धर्म के नाम पर होने वाली हिंसा की बात करते हुए जावेद अख्तर ने पूछा कि आखिर ऐसा कौन सा ईश्वर है जो बच्चों को बमबारी में मरने देता है. अगर वह मौजूद है और ऐसा होने देता है, तो उनके होने न होने से कोई फर्क नहीं.
मुफ्ती शमाइल नदवी ने दिया गजब का जवाब
इसके जवाब में मुफ्ती शमाइल नदवी ने सारी जिम्मेदारी इंसान के कर्मों पर डाली और कहा कि ईश्वर ने बुराई बनाई है, लेकिन वो खुद बुरा नहीं है. जो लोग अपनी स्वतंत्र इच्छा का गलत इस्तेमाल करते हैं, वही जिम्मेदार हैं और हिंसा ईश्वर की मंशा नहीं, बल्कि इंसानी चुनाव का नतीजा हैं. शमाइल के जवाब और उनके हाजिर जवाबी से ही वो सोशल मीडिया पर ट्रेंड हो गए. जावेद अख्तर को लोग पहले से जानते हैं, उनकी सोच, उनकी बेबाकी, उनके तर्क सब कुछ जाना-पहचाना है. लेकिन मुफ्ती शमाइल नदवी का नाम लोगों के लिए नया है, जो पूरे कॉन्फिडेंस के साथ कह रहे हैं कि साइंस गॉड को ना प्रूव कर सकती है और ना ही डिसप्रूव.
शमाइल का कहना है कि विज्ञान के पास ऐसे तरीके मौजूद नहीं हैं, जिनके जरिए ईश्वर के अस्तित्व को प्रमाणित या अप्रमाणित किया जा सके. ऐसा इसलिए क्योंकि साइंस का दायरा इम्पिरिकल एविडेंस तक सीमित है और इम्पिरिकल एविडेंस का ताल्लुक हमारे नेचुरल और फिजिकल वर्ल्ड से है, जबकि ईश्वर नॉन-फिजिकल और सुपर नैचुरल रियलिटी है. लिहाजा नॉन फिजिकल रियलिटी को आप उस टूल के साथ नहीं चेक कर सकते जिसका काम फिजिकल रियलिटी को तलाश करना है. आपको बता दें कि इम्पिरिकल एविडेंस वो होते हैं जिन्हें हम देख सकते हैं, माप सकते हैं, प्रयोग के माध्यम से जांच सकते हैं.
अक्सर बयानों की वजह से वायरल रहते है जावेद अख्तर
इन्हीं सब तर्कों पर अपनी रखकर जावेद अख्तर एक बार फिर ये साबित कर गए कि आखिर वो क्यों खुद को नास्तिक कहलाना पसंद करते हैं. वैसे ये पहली बार नहीं है जब जावेद अख्तर ने इस तरह का कोई बयान दिया हो, जावेद अख्तर अक्सर अपनी बात मुखर होकर बोलते हैं, इसलिए कई बार उनके बयानों को सरकार विरोधी भी माना जाता है. कुछ सालों में देश का माहौल कुछ ऐसा बना कि जावेद अख्तर बीजेपी के खिलाफ मोदी सरकार के खिलाफ बुलंद आवाज बन गए.
अक्टूबर में भी जब तालिबानी विदेश मंत्री के लिए भारत में रेड कार्पेट बिछाया तो जावेद अख्तर का सिर शर्म से झुक गया. ना सिर्फ तालिबान को लताड़ा, बल्कि उन लोगों पर भी तंज कसा जो कट्टरपंथ के नाम पर तालीबानी मंत्रियों की आरती उतार रहे थे. आरती उतारने वाले और कोई नहीं, देश की मोदी सरकार थी. एक वक्त था जब जावेद अख्तर को सिर्फ लिखने-पढ़ने के लिए जाने जाते थे लेकिन आज वो अपनी बात मुखर होकर बोलने के लिए ज्यादा जाने जाते हैं, क्योंकि वो अपनी बात बोलने से जरा नहीं कतराते. इससे पहले 2020 में वो CAA-NRC पर बोलकर वायरल हो गए थे. उन्होंने आरोप लगाया था कि जिस तरह प्रयास किए जा रहे हैं वो देश को हिंदू पाकिस्तान बनाने की कोशिश है, लोगों की आवाज दबाई जा रही है.
जादू से बने जावेद, 50 रुपए की सैलेरी पर काम किया था शुरू
जावेद अख्तर वो हैं जो अपने काम से जादू करते हैं, अपनी कलम से ऐसा कमाल करते हैं कि जब वो कहानी या गीत फिल्मी स्क्रीन पर उतरते हैं तो जादू हो जाता है. ऐसा ही जादू जो 17 जनवरी 1945 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था, जब जॉनिसार अख्तर और साफिया अख्तर के घर जावेद अख्तर का जन्म हुआ. जावेद जब पैदा हुए तो पिता ने दोस्तों के कहने पर बेटे का नाम अपनी एक नज्म पर जादू रख दिया. लेकिन स्कूल में एडमिशन के दौरान ये नाम बदलकर जावेद किया गया.
मुंबई आने के बाद शुरुआती दिन बहुत मुश्किल भरे रहे जेब में सिर्फ पैसे थे. शुरूआत में जावेद ने कमाल अमरोही के साथ 50 रुपए महीने की तनख्वाह पर एक क्लैपर बॉय की तरह काम शुरू किया. सोचिए, वही जावेद जो आगे चलकर शोले जैसी एवरग्रीन फिल्म का हिस्सा बने, जावेद पहले सिर्फ क्लैप दिया करते थे यानी शूट शुरू होने से पहले एक्टर्स के लिए एक संकेत होता था कि अब उन्हें ड्रामा शुरू करना है.
जावेद-सलीम की जोड़ी ने अमिताभ को भी दिलाया मौका
जल्द ही उन्हें एसएम सागर के यहां काम मिला, जहां उन्हें एक स्क्रिप्ट लिखने को कहा गया और यहीं उनकी मुलाकात हुई सलीम खान से, सलीम और जावेद की जोड़ी बनी और हिंदी सिनेमा की दिशा ही बदल गई. हाथी मेरे साथी, अंदाज, जंजीर, दीवार, शोले जैसी फिल्मों के साथ दोनों ने ना सिर्फ सुपरहिट दीं, बल्कि एंग्री यंग मैन यानी अमिताभ बच्चन को वो मौका दिलाया जिसका वो इंतजार कर रहे थे. एक बार जावेद साहब ने खुद कहा था, हमने अमिताभ को जंजीर के लिए चुना क्योंकि हम किसी ऐसे चेहरे की तलाश में थे, जिसमें आक्रोश हो और वो अमिताभ थे. लेकिन समय के साथ सलीम-जावेद की जोड़ी टूट गई, हालांकि इसके पीछे कोई बड़ा झगड़ा या विवाद नहीं था.
जावेद और शबाना की लव-स्टोरी
लेकिन ये सब होते होते जावेद अख्तर एक बड़ा नाम बन गए. इतना बड़ा के फिल्मों के पोस्टर पर उनके नाम लिखे जाने लगे. ऐसे ही एक दिन जावेद अख्तर शबाना आजमी की फिल्म स्पर्श देखकर उनके फैन हो गए और डायरेक्टर सई परांजपे से रिक्वेस्ट की कि मुझे अपनी फिल्म के स्टार्स से मिलवाइए. सई परांजपे के घर ये मुलाकात हुई और दोनों की दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल गई.
एक रिपोर्ट के मुताबिक जावेद को शबाना इतनी पसंद आई कि उनकी फिल्म स्पर्श के डायलॉग तक उन्हें याद हो गए. शबाना एक सेंसिटिव एक्ट्रेस और जावेद एक शायर जो दिल से सोचता था. जल्द ही ये रिश्ता शादी में बदल गया 1984 में दोनों की शादी हो गई. ये शादी जावेद की दूसरी शादी थी इससे पहले वो 1972 में हनी ईरानी से शादी कर चुके थे, जिनसे उन्हें दो बच्चे बेटा फरहान और बेटी जोया हुईं.
जावेद अख्तर के नाम कई सम्मान
जावेद अख्तर ने अपना पहला शेर 1979 में कहा तब तक वो हिट फिल्में लिख चुके थे लेकिन जब उन्होंने कविता शुरू की, तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने कल हो न हो, जोधा अकबर, लक्ष्य, दिल चाहता है जैसी फिल्मों के गाने लिखे, जो दिल में बस गए और जुबान पर चढ़ गए. यही फिल्मों के साथ जावेद की भी कामयाबी थी. उनकी कलम से निकली लाइनें आज भी हर दिल को छूती हैं. जावेद अख्तर को पद्मश्री, पद्म भूषण, 5 राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड और साहित्य अकादमी अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है. वो राज्यसभा के लिए 2009 में नॉमिनेट हो चुके हैं.
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