फिल्म से पहले 25 मिनट तक दिखाया एड तो युवक पहुंच गया कंज्यूमर फोरम, PVR पर लगा 1.28 लाख का जुर्माना

थिएटर में जब फिल्म की जगह विज्ञापन दिखाए जा रहे थे तब शिकायतकर्ता ने उसका वीडियो बना लिया था. पीवीआर ने तर्क दिया कि ये एंटी पायरेसी कानून का उल्लंघन है.

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तस्वीर: AI

News Tak Desk

• 04:58 PM • 20 Feb 2025

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फिल्म देखने जाइए और तेज साउंड में एक ही एड या कुछ ऐड बार-बार दिखाए जाएं तो दर्शक का मूड फिल्म से पहले ही ऑफ होने लगता है.  एक तो टाइम निकालकर घर से पिक्चर हॉल की दूरी तय कर लोग फिल्म देखने जाते हैं. उसमें भी ये सब हो भला किसे गुस्सा नहीं आएगा. नाराज काफी लोग होते हैं पर फिल्म देखकर अपने घर चलते बनते हैं. 

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पर अभिषेक एमआर ने ऐसा नहीं किया. वे 26 दिसंबर, 2023 को  बेंगलुरु के एक सिनेमा हॉल में 'सैम बहादुर' फिल्म देखने गए. शो का टाइम 4:05 से था. अभिषेक ने टिकट परचेज किया और टाइम पर हॉल में पहुंचकर अपनी सीट ले ली. अब अभिषेक लगे फिल्म शुरू होने का इंतजार करने. एक के बाद एक दूसरे फिल्म के ट्रेलर, दूसरे एड चलने लगे. ये सिलसिला 4 बजकर 28 मिनट तक यानी कुल 23 मिनट तक चला. फिल्म 4:30 पर शुरू हुई. कुल मिलाकर पीवीआर ने अभिषेक और उन जैसे तमाम दर्शकों को पिक्चर हॉल में बैठाकर 25 मिनट तक विज्ञापन दिखाया. 

अभिषेक को ये बात खल गई. वे पिक्चर देखकर निकले और सोच लिया कि पीवीआर को सबक जरूर सीखाएंगे. 6 जनवरी 2024 को अभिषेक कंज्यूमर कोर्ट पहुंचे और अपने 25 मिनट बर्बाद करने के एवज में हर्जाना मांगा. अभिषेक ने तर्क दिया कि उन्हें फिल्म देखकर काम पर लौटना था, लेकिन पीवीआर ने उनके 25 मिनट बर्बाद कर दिए जिससे उन्हें काम पर पहुंचने में देरी हुई और काफी गड़बड़ हो गया. 

मामले की सुनवाई के बाद 15 फरवरी को ‘बेंग्लुरु शहरी जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग’ ने अभिषेक के पक्ष में फैसला सुनाते हुए  PVR INOX पर  1.28 लाख रुपए का जुर्माना लगाया. आयोग ने कहा कि PVR INOX ने टिकट पर जो समय बताया था वो फिल्म दिखाने का समय था. वो फिल्म से पहले विज्ञापन दिखाने का समय नहीं था. 

आयोग ने PVR INOX को आदेश दिया कि अभिषेक को हुई मानसिक पीड़ा के लिए उन्हें 20 हजार रुपए और कानूनी खर्चों के लिए 8 हजार रुपए दे. अनुचित तरीके से व्यापार करने का दोषी पाए जाने पर आयोग ने  PVR INOX पर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया. जुर्माने का ये पैसा उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा करने का आदेश दिया. ये सारे पैसे 30 दिनों के भीतर देने को कहा. नहीं देने पर आयोग ने 10 फीसदी सालाना ब्याज दर लगाने की बात कही. 

शिकायतकर्ता ने बना लिया था वीडियो 

पीवीआर ने जिरह के दौरान तर्क देते हुए कहा कि उसने सरकार की ओर से जारी की गईं जरूरी घोषणाएं दिखाई थीं. हालांकि पीवीआर इसे साबित नहीं कर पाया क्योंकि शिकायतकर्ता ने दिखाए गए एड का अपने मोबाइल में वीडियो बना लिया था. पीवीआर ने तर्क दिया कि थिएटर में रिकॉर्डिंग एंटी पायरेसी कानूनों का उल्लंघन है. फोरम ने इनकी दलील खारिज करते हुए कहा कि उपभोक्ताओं के लिए जागरूकता बढ़ाना अवैध नहीं है.

समय ही धन है- फोरम 

फोरम ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि आज के समय में समय को ही धन माना गया है. दूसरे के समय का इस्तेमाल कर फायदा उठाने का अधिकार किसी को भी नहीं है. व्यस्त लोगों के लिए अनावश्यक विज्ञापन देखना बहुत मुश्किल है. पीवीआर ने तर्क दिया कि लंबे समय तक विज्ञापन दिखाने से देर से आने वाले दर्शकों को मदद मिल जाती है. फोरम ने इस तर्क को भी खारिज कर दिया. जहां तक सरकारी विज्ञापनों का सवाल है तो उन्हें भी 10 मिनट से ज्यादा नहीं दिखाया जा सकता है. 

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