RSS और गडकरी ने खोला PM मोदी के खिलाफ मोर्चा? 75 साल रिटायरमेंट वाले बयान से उठे बड़े सवाल!

मोहन भागवत और नितिन गडकरी के तीखे बयानों ने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है. क्या यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दबाव की रणनीति है या सिर्फ संयोग? जानें क्या है पूरा माजरा.

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (तस्वीर: इंडिया टुडे)

विजय विद्रोही

• 08:00 AM • 14 Jul 2025

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भारतीय राजनीति में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के हालिया बयानों ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है. क्या ये बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक सुनियोजित दबाव की रणनीति हैं? या फिर यह सिर्फ संयोग है? आइए, इन बयानों के पीछे की कहानी को समझते हैं और जानते हैं कि क्या वाकई में संघ और मोदी के बीच कोई तकरार चल रही है.

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मोहन भागवत का 75 साल वाला बयान

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में 75 साल की उम्र को रिटायरमेंट का साल बताकर सियासी चर्चाओं को हवा दी. हालांकि, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम नहीं लिया, लेकिन यह बयान ऐसे समय में आया जब मोदी 17 सितंबर 2025 को 75 साल के होने वाले हैं. भागवत का यह बयान सवाल उठाता है कि क्या संघ मोदी को रिटायरमेंट की ओर इशारा कर रहा है? संघ में रिटायरमेंट की कोई निश्चित उम्र नहीं है, फिर भी भागवत के इस बयान ने कई सवाल खड़े किए हैं.

नितिन गडकरी का हमला

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर में एक शिक्षक सम्मेलन में सत्ता के अहंकार पर तीखा प्रहार किया. उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद लोग अहंकारी हो जाते हैं और सम्मान मांगने या छीनने से नहीं, बल्कि दिल से मिलता है. यह बयान क्या मोदी पर अप्रत्यक्ष हमले के रुप में देखा जा रहा है.

राम माधव का विश्व गुरु पर सवाल

संघ से जुड़े नेता राम माधव ने भी भारत के विश्व गुरु बनने के सपने पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि भारत को इस इमेज से ऊपर उठना चाहिए. यह बयान उस समय आया जब मोदी सरकार 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का दावा कर रही है, जबकि जीडीपी विकास दर 6.3% पर अटकी हुई है. 

क्या RSS बना रहा है दबाव?

मोहन भागवत और नितिन गडकरी के बयानों ने यह सवाल उठाया है कि क्या संघ मोदी पर दबाव बना रहा है? क्या यह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर तनाव का नतीजा है? कुछ लोग इसे बिहार चुनाव से पहले ध्यान भटकाने की कोशिश मान रहे हैं, तो कुछ इसे वैश्विक और आर्थिक चुनौतियों से ध्यान हटाने की रणनीति बता रहे हैं. क्या यह नूरा कुश्ती है या वाकई में कोई बड़ा सियासी मोर्चा खुल रहा है?

गडकरी का इकोनॉमी पर बयान

गडकरी ने हाल ही में देश में धन के केंद्रीकरण पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि अमीर और अमीर हो रहे हैं, जबकि गरीब और गरीब. यह बयान मोदी सरकार के उस दावे के उलट है कि गरीबी कम हो रही है. गडकरी ने अर्थव्यवस्था के विकेंद्रीकरण की वकालत की, जो मौजूदा नीतियों पर सवाल उठाता है.

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