उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद अब कौन करेगा राज्यसभा की अध्यक्षता? जानिए क्या कहते हैं संविधान के नियम

 Vice President Election 2025: जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद उपराष्ट्रपति की कुर्सी खाली हो गई है. अब चुनाव कब और कैसे होंगे, नया उपराष्ट्रपति चुने जाने तक कौन संभालेगा इस पद की जिम्मेदारी? इस बारे में क्या कहते हैं संविधान के नियम, चलिए जानते हैं.

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को खराब स्वास्थ्य चलते अपने पद से इस्तीफा दिया (तस्वीर: इंडिया टुडे)

न्यूज तक

• 09:18 AM • 22 Jul 2025

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Vice President Election 2025: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को खराब स्वास्थ्य चलते अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. बता दें कि उपराष्ट्रपति ने ऐसे समय में इस्तीफा दिया है जब संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ है. ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि धनखड़ का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद कौन अस्थायी रूप से राज्यसभा की अध्यक्षता करेगा? संविधान के अनुसार उपराष्ट्रपति का चुनाव कब तक कराया जाना आवश्यक होता है? उपराष्ट्रपति पद की रिक्त होने से मानसून सत्र की कार्यवाही पर क्या असर पड़ेगा? इस खबर में जानेगे इन ही सब सवालों के जवाब.

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आपको बता दें कि भारत में उपराष्ट्रपति पदेन रूप से राज्यसभा के सभापति होते हैं. साथ ही अगर किसी वजह से राष्ट्रपति का पद खाली हो जाता है, तो उपराष्ट्रपति अस्थायी रूप से राष्ट्रपति के कर्तव्यों की जिम्मेदारी भी संभालते हैं. यह बता दें कि जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से उपराष्ट्रपति पद खाली हो चुका है. संविधान के अनुसार, अब जल्द ही चुनाव कराकर इस पद को भरा जाएगा. हालांकि अस्थायी व्यवस्था के तहत राज्यसभा की कार्यवाही बाधित नहीं होगी, लेकिन अब देश की निगाहें अगले उपराष्ट्रपति पर टिकी हैं.

उपराष्ट्रपति पद खली होने पर संविधान क्या कहता है?

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 68 स्पष्ट करता है कि यदि उपराष्ट्रपति का पद किसी कारणवश खली हो जाता है, तो ऐसे में नए चुनाव जल्द से जल्द कराए चाहिए. इस पद पर आने वाले व्यक्ति कार्यभार संभालने की तारीख से पांच सालों तक पद पर बने रह सकता है.

पद के खली होने के दौरान कौन निभाएगा उपराष्ट्रपति के कर्तव्य?

आपको बता दें कि संविधान इस बारे में स्पष्ट नहीं है कि जब उपराष्ट्रपति पद खाली हो, तो उनकी जिम्मेदारी को कौन निभाएगा. लेकिन वहीं राज्यसभा की कार्यवाही को लेकर प्रावधान है कि ऐसी स्थिति में उपसभापति या राष्ट्रपति द्वारा अधिकृत कोई अन्य सदस्य राज्यसभा की अध्यक्षता कर सकता है.

कितने साल का होता है उपराष्ट्रपति का कार्यकाल?

संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 साल का होता है. लेकिन अगर उनका उत्तराधिकारी शपथ नहीं लेता है, तो ऐसे में वे पद पर बने रह सकते हैं. वहीं उपराष्ट्रपति अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को देता है. ये इस्तीफा उसी दिन से प्रभावी हो जाता है जिस दिन राष्ट्रपति इसे स्वीकार कर लें.

राज्यसभा सभापति की भूमिका कौन निभाएगा?

आपको बता दें कि सोमवार से संसद का मानसून सत्र सोमवार से शुरू हो चुका है और इसी दिन उपराष्ट्रपति ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.  ऐसे में अब सवाल उठता है कि राज्यसभा में अब सभापति की भूमिका कौन निभाएगा? इसको लेकर संविधान में बताया गया है कि जब उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं या उनका पद खली होता है, तो वे राज्यसभा के सभापति नहीं रहते. इस स्थिति में न तो वे उस पद के वेतन के पात्र होते हैं और न ही उसके कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं. उनकी जगह पर उपसभापति या राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त सदस्य ये भूमिका निभाता है.

कैसे होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव?

संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के निर्वाचक मंडल के सदस्य करते हैं. यह चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत एकल संक्रमणीय मत से होता है. इससे निष्पक्षता सुनिश्चित होती है.

उपराष्ट्रपति बनने की योग्यता क्या होनी चाहिए?

संविधान के मुताबिक कोई भी व्यक्ति उपराष्ट्रपति तभी बन सकता है जब वह भारत का नागरिक हो. इस पद के लिए उसकी आयु 35 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए. इसके साथ ही वो राज्यसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित होने के योग्य हो. इसके अलावा अगर वो केंद्र या राज्य सरकार के किसी लाभ के पद पर है, तो वो इस चुनाव के लिए अयोग्य माना जाएगा.

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