Vice President Jagdeep Dhankhar Resigns: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार यानी 22 जुलाई की शाम अपने पद से इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया है. अब सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि धनखड़ इस फैसले पर दोबारा सोचने के मूड में नहीं हैं. उन्होंने यह निर्णय पूरी तरह से अपने परिवार की सलाह के बाद लिया और साफ किया कि यह कदम उन्होंने सिर्फ और सिर्फ अपनी सेहत को प्राथमिकता देने के लिए उठाया है.
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धनखड़ अब राज्यसभा की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेंगे और उन्होंने आज सदन में मौजूद न रहने का फैसला भी कर लिया है. इतना ही नहीं, उन्होंने अपना विदाई भाषण भी रद्द कर दिया है. उनके इस अचानक लिए गए फैसले से सियासी हलकों में चर्चा का दौर तेज हो गया है.
14वें उपराष्ट्रपति के रूप में संभाल रहे थे कार्यभार
74 साल के जगदीप धनखड़ साल 2022 से देश के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाल रहे थे. साथ ही वे राज्यसभा के सभापति भी थे. संसद के मॉनसून सत्र के पहले ही दिन उनका इस तरह का कदम सभी के लिए हैरान करने वाला रहा. दिन में उन्होंने सदन की कार्यवाही में हिस्सा लिया था और कई मुद्दों पर चर्चा को प्राथमिकता देने की बात कही थी.
पक्ष-विपक्ष नेताओं के बीच माहौल तनावपूर्ण
माना जा रहा है कि दिन में हुई सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं के बीच तीखी बहस के बाद माहौल थोड़ा तनावपूर्ण हो गया था. धनखड़ ने दोनों पक्षों की एक संयुक्त बैठक भी बुलाई थी, लेकिन जानकारी के अनुसार सत्ता पक्ष के सांसद उस बैठक में नहीं पहुंचे. उसी के बाद उन्होंने देर शाम इस्तीफे की घोषणा कर दी.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश की प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि यह फैसला जितना चौंकाने वाला है, उतना ही असामान्य भी. उन्होंने यह भी कहा कि वे उपराष्ट्रपति के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं, लेकिन इस निर्णय के पीछे कुछ और वजहें भी हो सकती हैं.
निशिकांत दुबे ने कसा तंज
वहीं बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने विपक्ष के इस रुख पर तंज कसते हुए कहा कि जब व्यक्ति स्वास्थ्य कारणों से पीछे हट रहा है तो कम से कम उस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने याद दिलाया कि विपक्ष ने कुछ समय पहले उपराष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी भी की थी और अब वही लोग उनके इस्तीफे पर सवाल उठा रहे हैं.
फिलहाल जगदीप धनखड़ ने स्पष्ट कर दिया है कि उन्होंने यह निर्णय सोच-समझकर और पूरी तरह से व्यक्तिगत कारणों के चलते लिया है और वे अपने फैसले से पीछे नहीं हटेंगे. अब देखना यह होगा कि आगे राज्यसभा में नए सभापति की नियुक्ति किस तरह होती है और क्या विपक्ष इस मुद्दे को और तूल देता है.
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