पिता ने बताया एयर फोर्स ज्वॉइन करने से पहले विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने मां से छुपाई थी ये बात, सामने आई ये अनसुनी कहानी

Parents of Vyomika Singh: विंग कमांडर व्योमिका सिंह की अनसुनी कहानी, कैसे उन्होंने मां से छुपाकर एयरफोर्स ज्वॉइन किया, और बनीं ऑपरेशन सिंदूर की हीरो, पढ़ें पूरी कहानी।

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विंग कमांडर व्योमिक सिंह के माता-पिता

न्यूज तक

• 07:34 PM • 09 May 2025

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Parents of Vyomika Singh: ऑपरेशन सिंदूर को सफल बनाने के पीछे कई लोगों की मेहनत है. उन्हीं लोगों में एक नाम है विंग कमांडर व्योमिका सिंह. आज देश के लगभग लोग इस नाम से परिचित हो चुके है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद जब प्रेस ब्रीफिंग हुई तब पहली बार विंग कमांडर सिंह को लोगों ने देखा और उसके बाद से ही उनके बारें में जानने के लिए लोगों की दिलचस्पी बढ़ गई. आज तक ने भारतीय सेना और रक्षा मंत्रालय का जाना माना चेहरा विंग कमांडर व्योमिका सिंह के माता-पिता से खास बातचीत की. इस दौरान व्योमिका सिंह से जुड़े कुछ मजेदार किस्सों का पता चला.

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विंग कमांडर व्योमिका सिंह की भारतीय वायुसेना में शामिल होने की यात्रा एक बचपन के सपने से शुरू हुई. स्कूल के दिनों से ही उन्हें उड़ान भरने का जुनून था. अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए उन्होंने नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी) जॉइन किया और बाद में इंजीनियरिंग पूरी की. वह अपने परिवार की पहली सदस्य बनीं, जिन्होंने सशस्त्र बलों में कदम रखा. 18 दिसंबर, 2019 को उन्हें भारतीय वायुसेना में हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में स्थायी कमीशन प्राप्त हुआ.

बचपन से ही पायलट बनने का सपना 

विंग कमांडर व्योमिक सिंह(Wing Commander Vyomika Singh) को आज की तारीख में किसी विशेष पहचान की जरूरत नहीं है. आज वे भारतीय सेना की सबसे मजबूत स्तंभों में से एक है. उनकी वीरता की कहानी पूरे देश में गूंज रही हैं. व्योमिका के पिता आरएस निम और माता करुणा सिंह भी अपनी बेटी की इस सफलता पर गर्व महसूस कर रहे है. आज तक से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि क्लास 10 से ही व्योमिका सिंह के मन में पायलट बनने की इच्छा थी, हालांकि पहले उन्होंने इस बात का जिक्र नहीं किया था.

बचपन से ही थी एक्टिव

व्योमिका के माता-पिता कहते है कि आज व्योमिका जैसी है वो बचपन से भी ऐसी ही है. वह बचपन से ही किसी ना किसी चीज में भाग लेकर एक्टिव रहती थी. खेलकूद से लेकर डिबेट कंपीटिशन या फिर कोई दूसरी प्रतियोगिता, व्योमिका सब समय अच्छा करती थी. व्योमिका के पिता कहते हैं कि वो बचपन से ही बहुत ही अलग लड़की थी. व्योमिका स्कूल में हमेशा प्रथम स्थान लाती थी और साथ ही खेल कूद में भी भाग लेकर अव्वल आती थी.

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लड़के-लड़कियों में नहीं मानती थी अंतर

व्योमिका के घर वालों का कहना है कि वो बचपन से ही आत्मविश्वास से भरपूर और काफी संघर्षशील लड़की है. व्योमिका के पिता आरएस निम किस्सा बताते हुए कहते हैं कि एक बार वह मार्केट में लड़कों से कंपीटिशन जीतकर 800 रुपए का इनाम जीती थी. फिर एकबार व्योमिका जब सीढ़ियों पर चढ़ते समय सीटी बजा रही थी तो उसकी मां ने उसे टोका. मां करुणा ने जब कहा कि लड़कियां ऐसा नहीं करती तो व्योमिका ने आत्मविश्वास और जोश के साथ कहा कि लड़का और लड़की में अंतर क्यों करना है? लड़कियां भी जो चाहे कर सकती है.

"डैडी, प्लीज मम्मी को मत बताना"

व्योमिका सिंह के माता-पिता एक दिलचस्प किस्सा साझा करते हुए बताते हैं कि जब उनकी बेटी ने कुछ महत्वपूर्ण पुरस्कार जीते, तो पूरे परिवार ने उन्हें गर्व के साथ सहेज लिया. वे कहते हैं, "वो सिर्फ ट्रॉफी नहीं थी, हमारे लिए तो जैसे एक अमूल्य धरोहर बन गई थी." जब व्योमिका ने एयरफोर्स जॉइन करने का सपना देखा, तो शुरुआत में उन्होंने यह बात अपनी मां से छुपाकर रखी.  उन्होंने सबसे पहले अपने पिता को भरोसे में लिया और कहा, “डैडी, प्लीज मम्मी को मत बताना, वो मना कर देंगी.” लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था.

रिजल्ट सुनकर मां को नहीं हुआ था विश्वास

 जब व्योमिका ने सभी टेस्ट पास कर लिए और उन्हें भारतीय वायुसेना में चयनित कर लिया गया, तो उन्होंने यह खबर सबसे पहले अपनी मां को सुनाई. मां को शुरुआत में इस पर यकीन ही नहीं हुआ. उन्होंने कहा, “सब कुछ बहुत जल्दी और अचानक हो गया। यह खबर सुनकर हम चकित रह गए थे.” आज व्योमिका सिर्फ अपने परिवार की नहीं, बल्कि पूरे देश की बेटियों के लिए एक मिसाल बन चुकी हैं. उन्होंने साबित किया है कि लड़कियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं और हर ऊंचाई को छू सकती हैं.

व्योमिका सिंह की सफलता सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि उस संघर्ष और साहस की कहानी है, जो हर उस लड़की को हौसला देती है, जो अपने सपनों के लिए जूझ रही है. उन्होंने भारतीय सेना को गौरवान्वित किया और साथ ही उन अनगिनत महिलाओं को भी, जो सीमाओं को लांघकर इतिहास रचने का हौसला रखती हैं.

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