अमेरिका की कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस ने भारत के CAA पर उठाए सवाल, संविधान के उल्लंघन से जोड़ा

देश में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने तो 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अपने मैनीफेस्टो में ये वादा किया है कि, कांग्रेस की सरकार आने पर CAA को निरस्त कर दिया जाएगा.

NewsTak

अभिषेक

22 Apr 2024 (अपडेटेड: 22 Apr 2024, 12:27 PM)

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Citizenship Amendment Act: केंद्र सरकार ने  11 मार्च 2024 को नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी CAA को लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी थी. इसके साथ ही देश में रह रहे अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी. हालांकि देश में इसे लेकर विरोध भी चल रहा है. इन्हीं सब के बीच अमेरिका संसद की एक स्वतंत्र शोध इकाई ने CAA को लेकर एक बड़ा दावा कर दिया है. 'कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस' (CRS) का दावा है कि, भारत में CAA को लागू करने से संविधान के कई अनुच्छेदों का उल्लंघन होगा. आइए आपको बताते हैं CAA क्या है और उसपर आई इस रिपोर्ट में कौन-कौन से दावे कीये गए है.  

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पहले जानिए आखिर क्या है CAA?

CAA भारत में बसे शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान करता है. केंद्र सरकार ने 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान इन तीन देशों के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने के लिए नागरिकता संशोधन ऐक्ट (CAA) लाया था. 12 दिसंबर 2019 को यह कानून बन भी गया था लेकिन चार साल बीत जनेके बाद भी ये लागू नहीं हो पाया था. अब 11 मार्च 2024 को गृह मंत्रालय ने इसे लागू कर दिया है. 

अब CRS की रिपोर्ट में क्या है ये जानिए

'कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस' (CRS) की तीन पन्नों वाली 'इन फोकस' रिपोर्ट में कहा गया है कि, भारत सरकार के राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) और CAA कानून से भारत के करीब 20 करोड़ मुस्लिम अल्पसंख्यकों के अधिकारों को खतरा है. रिपोर्ट में दावा किया गया कि, CAA के प्रावधानों से भारतीय संविधान के कुछ अनुच्छेदों का उल्लंघन हो सकता है. CRS रिपोर्ट ने अमेरिकी संसद को बताया कि, वर्ष 2019 में अमेरिकी राजनयिक ने CAA के प्रति चिंता व्यक्त की थी. हालांकि इससे भारत और अमेरिका के संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ा. 

क्या कहना है CAA के विरोधियों का 

नागरिकता संशोधन अधिनियम(CAA) कानून लागू करने पर इसके विरोधियों ने चेतावनी दी है कि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी हिंदू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) एक हिंदू बहुसंख्यकवादी, मुस्लिम विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ा रही हैं, जिससे भारत को आधिकारिक रूप से धर्मनिरपेक्ष गणराज्य का दर्जा देने वाली छवि धूमिल होती है जो भारतीय संविधान का मूलभूत तत्व है. उन्होंने कहा कि, इससे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानदंडों और दायित्वों का भी उल्लंघन होता है. 

देश में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने तो 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अपने मैनीफेस्टो में ये वादा किया है कि, कांग्रेस की सरकार आने पर CAA को निरस्त कर दिया जाएगा. वहीं पिछले दिनों हमने देखा कि, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने ये साफ-साफ कहा था कि, वो अपने राज्य में CAA लागू होने नहीं देंगे.

सरकार ने CAA को लागू करने पर लगे आरोपों से किया इनकार 

भारत सरकार ने CAA के खिलाफ की गई आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा कि, इसे 'वोट-बैंक की राजनीति' का नाम नहीं देना चाहिए जबकि ये संकट में फंसे लोगों की मदद के लिए एक 'प्रशंसनीय पहल' है. वहीं पश्चिम बंगाल में एक चुनावी रैली में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि, भारत में CAA को लागू होने से कोई नहीं रोक सकता. उन्होंने कहा कि CAA किसी की नागरिकता छीनने के लिए नहीं है, बल्कि यह धार्मिक आधार पर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से विस्थापित लोगों को भारतीय नागरिकता देने का कानून है.

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