Shesh Bharat: कांग्रेस की केरल टेंशन खत्म? 2021 की हार का बदला लेने को तैयार कांग्रेस, सतीसन-चेन्निथला में सुलह!

Kerala Assembly Election 2026: केरल निकाय चुनाव में कांग्रेस (UDF) ने LDF और BJP को पछाड़कर बड़ी जीत हासिल की है. इस जीत के बाद पार्टी के दो बड़े प्रतिद्वंद्वी नेताओं, वीडी सतीसन और रमेश चेन्निथला के बीच सुलह हो गई है. मुख्यमंत्री पद की दौड़ को दरकिनार कर दोनों नेता आगामी विधानसभा चुनावों के लिए एकजुट हुए हैं.

Kerala Congress Unity
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रूपक प्रियदर्शी

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Kerala Assembly Election 2026: केरल के विधानसभा चुनावों से पहले जो हुआ है वो कांग्रेस और यूडीएफ की कल्पनाओं से परे हुआ है. पिछले दो लोकसभा चुनाव तो कांग्रेस के यूडीएफ अलायंस ने दमखम के साथ जीता लेकिन दो विधानसभा और दो निकाय चुनावों में एलडीएफ की पकड़ मजबूत रही. कई चुनावों के बाद ऐसा हुआ जब कांग्रेस अलायंस ने विधानसभा चुनाव से पहले निकाय चुनावों में बड़ी जीत हासिल की है. एलडीएफ मुंह के बल के गिरा और बीजेपी का एनडीए अलायंस सिर नहीं उठा सका. 

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बड़े चुनावों से पहले लोकल चुनावों में जीत कांग्रेस के लिए बड़े बूस्टर का काम कर रही है. केरल में कांग्रेस जितनी मजबूत है उतनी ही मजबूत है गुटबंदी. वीडी सतीसन, रमेश चेन्निथला, सनी जोसेफ, केसी वेणुगोपाल-जितने नेता उतने गुट. गुटबाजी की समस्या कांग्रेस हाईकमान को परेशान करती रही है. इसे खत्म करने के लिए दिल्ली में बड़ी बैठकें भी हो चुकी हैं लेकिन जो बैठकों से नहीं हो सका, वो लोकल चुनावों की जीत ने कर दिया. 

बड़े नेताओं के बीच सुलह!

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक दो बड़े नेताओं वीडी सतीसन और रमेश चेन्निथला ने सुलह हो गई है. पिछले कुछ दिनों में सतीसन और चेन्निथला ने आपस में कई बैठकें की ताकि जो मनमुटाव या क्लैश चल रहा था उसे दूर किया जा सके. इस सुलह-समझौते में सबसे बड़ा मुद्दा ये सैटल हुआ कि दोनों कौन बनेगा मुख्यमंत्री के झगड़े में एक-दूसरे के खिलाफ नहीं जाएंगे. 

हालांकि कांग्रेस हाईकमान के लिए भी ये मुद्दा सुलझाना आसान नहीं कि कुछ महीने बाद जब चुनाव होंगे तो किसे सीएम प्रोजेक्ट करना है. केरल कांग्रेस के बहुत सारे गुटों को ये आशंका रही है कि हम आपस में रहते रहे तो दिल्ली के केसी वेणुगोपाल आकर बैठ जाएंगे. कांग्रेस हाईकमान में केसी वेणुगोपाल नॉन गांधी ग्रुप में सबसे पावरफुल माने जाते हैं. 

हाईकमान की नजर में कौन उपयोगी होगा?

वीडी सतीसन केरल में कांग्रेस की ओर से विपक्ष के नेता हैं. उन्हें केरल से बाहर की कांग्रेस राजनीति से कोई मतलब नहीं. रमेश चेन्निथला केरल की राजनीति में भी एक्टिव होते हैं और नेशनल पॉलिटिक्स में भी. हाईकमान की नजर रमेश चेन्निथला उपयोगी हैं. महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य के प्रभारी हैं. उनकी निगरानी में एमवीए ने लोकसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल की थी जो विधानसभा चुनाव में बुरी हार में बदल गई. 

2021 की हार के बाद चेन्निथला को जाना पड़ा

2021 के चुनावों के बाद केरल कांग्रेस के अंदर चीजें एकदम बदल गईं. तब रमेश चेन्निथला पार्टी के फेस और सीएम के दावेदार माने जा रहे थे लेकिन चुनावों में कांग्रेस अच्छा नहीं कर पाई. चेन्निथला केरल कांग्रेस अध्यक्ष रहे. 2016 के चुनाव में भी कांग्रेस हारी तब रमेश चेन्निथला विपक्ष के नेता बनाए गए. फिर भी 2021 कांग्रेस मुकाबले में नहीं टिक पाई. चेन्निथला को विदा होना पड़ा.

उसी दौर में वीडी सतीसन सीन में आए. रमेश चेन्निथला के मुकाबले उतने पुराने नहीं लेकिन विपक्ष के नेता बनने के बाद कई गुटों के बीच सहमति के नेता बने. जब खुद ताकतवर होने लगे तो उनका भी गुट बना जिसका टकराव बाकी गुटों से होने लगा. कांग्रेस हाईकमान ने जब केरल चुनावों के रिव्यू की बैठक बुलाई तो सतीसन निशाने पर आए कि सबको साथ लेकर नहीं चल रहे. 

सतीसन ने मजबूत बनाए रखी स्थिति

सनी जोसेफ के कांग्रेस अध्यक्ष होने के बाद भी वीडी सतीसन ही कांग्रेस का चेहरा हैं. असंभव से लग रहे लोकल चुनावों में कांग्रेस की जीत के बाद सतीसन और मजबूत हुए हैं. उससे पहले 2024 के लोकसभा चुनाव, वायनाड में प्रियंका गांधी के उपचुनाव और कुछ विधानसभा सीटों पर उपचुनावों में कांग्रेस की जीत से सतीसन ने मजबूत स्थिति बनाए रखी. ये संभव है कि रमेश चेन्निथला ने पार्टी की एकता के नाम पर सतीसन के साथ होने में ही भलाई समझी हो.

कांग्रेस के लिए केरल मजबूत राज्य 

केरल अरसे से कांग्रेस के लिए मजबूत राज्य बना है. अरसे से केरल कांग्रेस के अंदर जमकर गुटबाजी रही है. एक दौर था जब के करुणाकरण और एके एंटनी में रार छिड़ी होती थी. फिर ओमान चांडी आए तो चेन्निथला, सतीसन, सुधीरन ने चुनौती पेश की. चेन्निथला की मुश्किल ये रही है कि उनके कार्यकाल में कांग्रेस सिमटने लगी. लोकसभा चुनाव तो निकल गया. केरल के चुनावों में चोट लगी. वीडी सतीसन ने यही स्थिति बदल दी है. लोकल, लोकसभा जीत चुके हैं. अगर अगले साल विधानसभा चुनाव भी निकाल लिए तो फिर कोई रोक नहीं पाएगा.

लोकल निकाय चुनावों में कांग्रेस रही मजबूत

केरल के लोकल निकाय चुनावों में कांग्रेस ने 941 में से 505 सीटें जीती. 152 ब्लॉक में से 79 जीती. 14 जिला पंचायतों में से 7 पर जीत हासिल हुई. 81 नगरपालिकाओं में 54 पर जीत हासिल की. 6 नगर निगम में से 4 में जीत मिली. पंचायत से राजधानी तक जीत में बस एक झटका लगा कि बीजेपी ने तिरुवनंतपुरम नगर निगम में जीत हासिल कर ली.  

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