संसद का मानसून सत्र इस बार सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा. पहले SIR (Special Investigation Right) पर घमासान फिर सरकार ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों की गिरफ्तारी के बाद पद छिनने वाला (130वां संविधान संशोधन) बिल जिसने और हंगामा खड़ा कर दिया.
ADVERTISEMENT
मामला इतना बिगड़ गया कि बिल की प्रति फाड़कर गृहमंत्री अमित शाह पर उछाली गई. आखिरकार बिल ज्वाइंट पर्लियामेंट्री कमेटी (JPC) में भेज दिया गया. जेपीसी के सुझावों के बाद इसे दोबारा पेश किया जाएगा.
सवाल उठता है कि इस बिल में है क्या ? इस बिल की जरूरत क्यों थी? क्या इससे पहले कोई नियम था ? विपक्ष का तर्क क्या है ? सरकार का तर्क क्या है ? और आखिर सवाल...क्या ये बिल पास होकर कानून का रूप ले पाएगा ? आइए इस एक्सप्लेनर में जानते हैं.
बिल में क्या है ?
लोकसभा में 3 अलग-अलग बिल पेश किए गए. इसमें केंद्र राज्य सरकारों, जम्मू-कश्मीर और केंद्र शासित राज्यों के लिए अलग-अलग प्रावधान का प्रस्ताव है. इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या केंद्र-राज्य के मंत्री यदि किसी ऐसे मामले में आरोपी हैं जिसमें सजा 5 साल या इससे ज्यादा है तो 30 दिन के भीतर जमानत नहीं मिलने पर 31वें दिन वे पद से हटा दिए जाएंगे.
बिल की जरूरत क्यों पड़ी?
सरकार का तर्क है कि हाल के कुछ मामलों ने इस तरह का बिल के लिए मजबूर किया है.
- अरविंद केजरीवाल- आबकारी घोटाले में मार्च 2024 में गिरफ्तार हुए, 6 महीने जेल में रहे, फिर भी सीएम बने रहे. जमानत पर रिहा होने के बाद इस्तीफा दिया.
- सत्येंद्र जैन (AAP मंत्री)- मनी लॉन्ड्रिंग केस में लगभग एक साल जेल में रहकर भी मंत्री पद पर काबिज रहे.
- वी सेंथिल बालाजी (तमिलनाडु ट्रांसपोर्ट मंत्री)- जून 2023 में गिरफ्तार, फरवरी 2024 में जेल से इस्तीफा, लेकिन जमानत मिलने पर फिर मंत्री बनाए गए. सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद आखिरकार इस्तीफा दिया.
अभी क्या नियम है?
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA) के तहत किसी विधायक या सांसद को तब अयोग्य ठहराया जाता है, जब उसे 2 साल या उससे अधिक की सजा सुनाई जाए.
- यानी गिरफ्तारी या ट्रायल के दौरान कोई भी नेता पद पर बने रह सकता है.
PMLA की एंट्री क्यों?
- इस बिल के बाद धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) अचानक चर्चा में आ गया.
- PMLA के तहत ED (प्रवर्तन निदेशालय) किसी विधायक-सांसद को भी गिरफ्तार कर सकती है.
- गिरफ्तारी के बाद 30 दिनों या इससे ज्यादा दिनों तक आरोपी को जमानत नहीं मिल सकती.
- विपक्ष का तर्क: सरकार इसी प्रावधान का इस्तेमाल विपक्षी नेताओं को टारगेट करने के लिए कर रही है.
विपक्ष की दलीलें
- महज 30 दिनों में कोई खुद को निर्दोष कैसे साबित करेगा?
- न्याय का सिद्धांत है- जब तक दोष साबित न हो, व्यक्ति निर्दोष माना जाता है.
- जांच एजेंसियां और पावरफुल हो जाएंगी और गैरभाजपा शासित राज्यों में एक्शन लेकर जिसे चाहें पद से हटवा देंगी.
- इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 से 2022 तक ED के 95% केस विपक्षी नेताओं के खिलाफ दर्ज हुए.
- यानी बीजेपी की सरकार आने के बाद विपक्ष को टारगेट किया गया.
सरकार का तर्क
- पीएम मोदी- भ्रष्टाचार की लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाना है. किसी छोटे-मोटे कर्मचारी को 50 घंटे हिरासत में रखा जाता है तो वो सस्पेंड हो जाता है. वहीं पीएम, सीएम और मंत्री जेल में रहकर भी सत्ता का सुख पा सकते हैं. पर कानून बनने के बाद ऐसा नहीं होगा.
- अमित शाह: अरविंद केजरीवाल जेल में जाने से पहले इस्तीफा दे दिए होते तो इस कानून की जरूरत नहीं पड़ती.
पास हो पाएगा ये बिल?
- कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल का दावा: बिल पास होना मुश्किल है।
- वजह: ये संविधान संशोधन है, जिसके लिए विशेष बहुमत (2/3rd majority) चाहिए।
- लोकसभा में कुल संख्या = 543
- पास कराने के लिए ज़रूरी मत = 362
- NDA के पास = सिर्फ 305
यह भी पढ़ें:
एक्सप्लेनर: डॉग बाइट के आंकड़े चिंताजनक, दुनिया भर में सबसे ज्यादा 36 फीसदी केस भारत में ही
ADVERTISEMENT