एक्सप्लेनर: डॉग बाइट के आंकड़े चिंताजनक, दुनिया भर में सबसे ज्यादा 36 फीसदी केस भारत में ही
भारत में डॉग बाइट और रैबीज के बढ़ते मामलों पर सुप्रीम कोर्ट और राजस्थान हाईकोर्ट के सख्त निर्देश, राज्यवार आंकड़े, कानून और सजा का प्रावधान जानें.
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भारत में आवारा कुत्ते एक बड़ी परेशानी का सबब बनते चले जा रहे हैं. परेशानी का आलम इस कदर है कि लोग अपने ही घरों के आसपास खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. ये चुनौती बहुत हद तक बच्चों के साथ है जो ऐसे असुरक्षित माहौल में सर्वाजनिक स्थानों पर खेल-कूद भी नहीं सकते हैं. यदि वे खेलने जाते भी हैं तो पैरेंट्स के चेहरे पर चिंता की लकीरें होती हैं.
संसद में डॉग बाइट को लेकर पेश एक रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रसंज्ञान लेकर सुनवाई की. कोर्ट ने दिल्ली-NCR के नगर निकायों को निर्देश दिया है कि आवारा कुत्तों को तुरंत पकड़कर नसबंदी करें और उन्हें स्थायी रूप से शेल्टर होम में रखें. कोर्ट ने ये भी कहा कि 'इस काम में कोई ढिलाई बर्दाश्त नहीं होगी और अगर कोई व्यक्ति या संगठन इसके बीच में आया, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी'. ऐसा ही निर्देश राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश के स्थानीय निकायों को दिया है.
दुनिभर के कुल डॉग बाइट मामलों में अकेले भारत में 36 फीसदी केस
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक दुनिया के 150 से ज्यादा देशों में रैबीज की समस्या है. इनमें 99 फीसदी समस्या डॉग बाइट से है. WHO का दावा है कि दुनिया भर में हो रही डॉग बाइट रिपोर्ट में 36 फीसदी मामले अकेले भारत में ही हैं. भारत में होने वाली डॉग बाइट में 30-60% मामले 15 साल के कम उम्र के बच्चों के साथ है.
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साल 2024 में 37 लाख से ज्यादा
पशुपालन राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने 22 जुलाई को लोकसभा में बताया था कि 2024 में 37 लाख से ज्यादा डॉग बाइट्स के मामले आए. इसके अलावा 54 लोगों की मौत रेबीज से हुईं.ये रिपोर्ट दिल्ली में छह साल की बच्ची छवि शर्मा की मौत को लेकर सामने आई है.
रिपोर्ट में और क्या कहा गया?
- डॉग बाइट के हर 5 पीड़ितों में एक बच्चा शामिल.
- डॉग बाइट के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में सामने आए.
- दिल्ली में डॉग बाइट के मामलों में साल दर साल 143 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है.
WHO के आंकड़े हैरान करने वाले
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन का दावा है कि भारत में हर साल हर साल लगभग 55,000 लोग रैबीज से मरते हैं. इनमें से लगभग 18,000-20,000 मौतें हर साल केवल भारत में होती हैं.ये पूरे विश्व का करीब 36 फीसदी है. इनमें 15 साल से कम उम्र के बच्चे ज्यादा असुरक्षित हैं.
राज्यवार डॉग बाइट के केस
- डॉग बाइट के मामले में महाराष्ट्र 485,345 केस के साथ नंबर वन है.
- बिहार 263,930 केस रजिस्टर्ड हैं.
- यूपी में 164,009 मामले सामने आए हैं.
- देश की राजधानी दिल्ली 25,210 मामले दर्ज हुए हैं.
- राजस्थान में 2024 में 140,543 मामले डॉग बाइट के आए हैं.
- डॉग बाइट के मामले में मध्य प्रदेश 142948 केस दर्ज हैं.
- हरियाणा में 60,417 केस कुत्तों के काटने के आए हैं.
- पंजाब में भी 22,912 केस दर्ज हुए हैं.
महाराष्ट्र के आंकड़े काफी डरावने हैं. डॉग बाइट में के अलावा रेबिज से मरने वालों में महाराष्ट्र सबसे टॉप पर है. 2023 और 2024 में महाराष्ट्र में 14-14 मौतें डॉग बाइट से हुई हैं.
2030 तक देश को रैबिज रहित करने का लक्ष्य
भारत में 2030 तक रैबिज उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है. हालांकि साल 2025 में आंकड़े बेहद भयावह हैं. इन्हें देखकर ऐसा नहीं लगता कि 2030 तक देश रैबिज रहित हो जाएगा. PIB की तरफ से जारी आंकड़ों पर नजर डाला जाए तो चंडीगढ़, पुदुचेरी, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश को छोड़कर सभी राज्यों में पिछले साल के मुकाबले डॉग बाइट के केस बढ़े हैं. कई राज्यों में तो ये संख्या दो गुने से भी ज्यादा है. लक्ष्यद्वीप में 0 डॉग बाइट के केस दर्ज हुए हैं.
डॉग को लेकर क्या कहता है संविधान
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 246(3) के मुताबिक, पशुधन (इसमें डॉग भी) का संरक्षण, सुरक्षा और सुधार के अलावा रोगों की रोकथाम के मामले राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं. अनुच्छेद 243(W) और 246 के अनुसार, स्थानीय निकायों को आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने का अधिकार है.
डॉग बाइट के मामले के लिए जिम्मेदार कौन?
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) कुत्तों के काटने और रेबिज से होने वाले नुकसान जिसमें मौतें भी शामिल हैं, उनके लिए जिम्मेदार है.
2023 में लागू हुआ नया नियम
केंद्र सरकार ने अनिमल बर्थ कंट्रोल (कुत्ते) नियम, 2001 के स्थान पर पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 को अधिसूचित किया है. इसके तहत आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने, रेबीज की रोकथाम के अलावा मानव-कुत्ते के संघर्ष को कम करने के लिए आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण का प्रावधान किया गया है.
वो कानून जो डॉग को सुरक्षा देता है?
पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के सेक्शन 11 के मुताबिक किसी भी जानवर को पीड़ा, चोट या जान से मार देना क्रूरता माना जाता है. सेक्शन 38 कहता है कि AWBI (Animal Welfare Board of India) को rules बनाने का अधिकार है, जैसे पशु (डॉग) जन्म नियंत्रण कानून, 2001/2023.
ऐसे अपराध की क्या है सजा?
अगर कोई व्यक्ति आवारा कुत्तों को मारता, घायल करता या हटाकर कहीं मारने की कोशिश करता है, तो PCA Act के तहत यह अपराध माना जाता है.
- मौजूदा सजा का प्रावधान
- पहली बार अपराध पर
- जुर्माना: ₹10 से ₹50
- तीन साल के भीतर दूसरी बार अपराध पर
- जुर्माना: ₹25 से ₹100
- अधिकतम 3 महीने की कैद या दोनों