T Raja Singh Resignation: तेलंगाना की सियासत में टी राजा सिंह एक ऐसा नाम है, जो अपनी जीत से ज्यादा विवादित बयानों के लिए सुर्खियों में रहता है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) के फायरब्रांड नेता और गोशामहल से तीन बार के विधायक टी राजा सिंह ने हाल ही में पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर हलचल मचा दी. यह इस्तीफा एन रामचंदर राव को तेलंगाना BJP का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चाओं के बीच आया है. आइए, जानते हैं कि कौन हैं टी राजा सिंह, क्यों रहते हैं विवादों में और तेलंगाना BJP के लिए उनकी क्या अहमियत है.
ADVERTISEMENT
इस्तीफे से सियासी तूफान
टी राजा सिंह ने रामचंदर राव को तेलंगाना BJP का अध्यक्ष बनाए जाने की खबरों पर नाराजगी जताते हुए इस्तीफा दे दिया. उन्होंने इसे “हैरानी भरा फैसला” बताया और कहा कि जब BJP तेलंगाना में सरकार बनाने की दिशा में बढ़ रही है, तब यह चयन पार्टी की दिशा पर सवाल उठाता है. राजा सिंह ने पार्टी नेतृत्व से फैसले पर पुनर्विचार की मांग की, लेकिन साथ ही हिंदुत्व और गोशामहल की जनता की सेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.
गोशामहल में लगातार जीत
टी राजा सिंह ने 2014, 2018 और 2023 के तेलंगाना विधानसभा चुनावों में गोशामहल सीट से जीत हासिल की. 2018 में जब BJP के ज्यादातर उम्मीदवार हारे, तब भी राजा सिंह ने अपनी सीट बरकरार रखी. हैदराबाद की इस हिंदू बाहुल्य सीट, जो AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी की लोकसभा सीट के तहत आती है, पर राजा सिंह का हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण उनकी जीत का बड़ा कारण रहा.
ये भी पढ़ें: BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर सस्पेंस: संघ-आलाकमान के बीच फैसला बाकी, कई राज्यों में भी बदलेगी कमान!
विवादों का दूसरा नाम
टी राजा सिंह का विवादों से गहरा नाता रहा है. 2023 तक उनके खिलाफ करीब 80 आपराधिक मामले दर्ज थे, जिनमें से 36 धार्मिक भावनाएं भड़काने से जुड़े हैं. 2017 में उन्होंने हैदराबाद के पुराने शहर को “मिनी पाकिस्तान” कहा और पद्मावत फिल्म के प्रदर्शन के खिलाफ थिएटर जलाने की धमकी दी. 2022 में मुनव्वर फारुकी के शो का विरोध करते हुए पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी की, जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी हुई और BJP ने उन्हें 6 साल के लिए निलंबित कर दिया. हालांकि, 2023 चुनाव से पहले उनकी वापसी हुई। 2020 में फेसबुक और इंस्टाग्राम ने उन्हें बैन कर दिया था.
सियासी शुरुआत से BJP तक
हैदराबाद के धूलपेट में उत्तर भारतीय लोध परिवार में जन्मे टी राजा सिंह ने आर्थिक तंगी के कारण पढ़ाई छोड़ दी और परिवार के मूर्ति बनाने के व्यवसाय में लग गए. बाद में उन्होंने ऑडियो-वीडियो कैसेट बेचे. 2009 में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) से पार्षद बनकर सियासत में आए और 2013 में BJP में शामिल हुए.
BJP के लिए कितने जरूरी?
टी राजा सिंह गोशामहल और हैदराबाद के हिंदू बाहुल्य इलाकों में हिंदुत्ववादी छवि के कारण लोकप्रिय हैं. लेकिन उनकी पहुंच पुराने हैदराबाद से बाहर सीमित है. तेलुगु भाषा में महारत न होना और अन्य नेताओं के साथ तालमेल की कमी उनकी राज्यव्यापी छवि को कमजोर करती है. उनके विवादित बयान BJP के लिए अक्सर मुश्किलें खड़ी करते हैं. यही वजह है कि BJP ने तेलुगु भाषी और RSS से जुड़े रामचंदर राव को अध्यक्ष पद के लिए चुना.
इस्तीफे का BJP पर असर
गोशामहल में राजा सिंह की मजबूत पकड़ के बावजूद, उनके इस्तीफे का तेलंगाना में BJP के समग्र प्रदर्शन पर ज्यादा असर पड़ने की संभावना कम है. उनकी विद्रोही छवि और किशन रेड्डी, बंदी संजय जैसे नेताओं से तनावपूर्ण रिश्ते उनकी सीमित स्वीकार्यता दिखाते हैं. हालांकि, गोशामहल में उनकी गैरमौजूदगी BJP के लिए नुकसानदेह हो सकती है.
यह खबर भी पढ़ें: बीजेपी में साइडलाइन हो चुकीं स्मृति ईरानी ने तोड़ी चुप्पी, जानें क्यों खुद की तुलना 'सचिन तेंदुलकर' से की?
ADVERTISEMENT