देश की राजनीति का बहुत चर्चित किस्सा है कि जब एक वोट से अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिर गई थी. कांग्रेस सांसद गिरधर गमांग उड़ीसा के सीएम चुने गए थे लेकिन उन्होंने सांसद पद से इस्तीफा नहीं दिया था. उन्हीं के एक वोट को वाजपेयी की सरकार गिरने का क्रेडिट दिया जाता है. राजनीति में एक वोट से हारने का ये तो एक किस्सा है. एक वोट से जीतने का एक किस्सा तेलंगाना के पंचायत चुनाव हुआ. निर्मल जिले के बागापुर पंचायत में मुथ्याला श्रीवेदा ने एक वोट से सरपंच का चुनाव जीत लिया. श्रीवेदा की एक जीत का क्रेडिट दिया जा रहा है उनके ससुर मुथ्याला इंद्रकरण रेड्डी को जो बहू के चुनाव में वोट डालने खास तौर से अमेरिका से पहुंचे थे.
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पंचायत चुनाव में रेवंत रेड्डी की मजबूत पकड़
बागापुर पंचायत में 426 वोटों में से 378 वोट पड़े. श्रीवेदा को 189 वोट मिले, जबकि उनके मुकाबले में चुनाव लड़ रही स्वाति को 188 वोट मिले. एक वोट अमान्य घोषित हुआ. इससे श्रीवेदा सिर्फ एक वोट से जीत गईं. रेड्डी परिवार दो जेनरेशन से सरपंच का चुनाव जीत रहा है. थर्ड जेनरेशन में परिवार की बहू ने ये जिम्मेदारी संभाली है. ऐसा ही एक चुनाव निजामाबाद जिले के सिरिकोंडा गांव में हुआ. BRS समर्थित मल्लाल साई चरण कांग्रेस समर्थित चिट्याला रविशंकर से सिर्फ एक वोट ज्यादा हासिल करके सरपंच बन गए. केरल के बाद तेलंगाना से भी कांग्रेस को बड़ी जीत मिली है. सीएम रेवंत रेड्डी के पक्ष में माना जा रहा जनादेश है. पंचायत चुनाव पार्टियों के सिंबल पर नहीं लड़ जाते लेकिन बिना पार्टियों के चुनाव होते भी नहीं हैं. पंचायत चुनाव से गांवों के सरपंच चुने जाते हैं. अभी तक तेलंगाना में दो चरणों के चुनावों के नतीजे आएं हैं. तीसरे चरण का चुनाव आज होना है.
कांग्रेस के लिए बूस्टर, बीजेपी को झटका
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 8 हजार 568 पंचायतों में से 5 हजार 246 सीटों पर जीत हासिल की है. जीत का परसेंट 61 परसेंट से ज्यादा है. दूसरे नंबर पर केसीआर की पार्टी बीआरएस रही जिसने 2 हजार 320 सीटों पर जीत हासिल की. बीजेपी को 500 और निर्दलीयों ने 467 सीटों पर जीत हासिल की. पंचायत चुनाव कांग्रेस और रेवंत रेड्डी के लिए बूस्टर माने जा रहे हैं जबकि बीजेपी के लिए बड़ा झटका क्योंकि तेलंगाना में अरसे से पार्टी के विस्तार पर काम कर रही थी लेकिन पंचायत जैसे सबसे माइक्रो चुनाव में भी उसे कामयाबी नहीं मिली. पंचायत चुनावों में करीब एक करोड़ लोगों ने वोट डाले. और वोटिंग परसेंट 84 परसेंट के पार रहा. ये चुनाव भी राज्य चुनाव आयोग कराता है.
तेलंगाना और केरल में कांग्रेस की लय बरकरार
तेलंगाना विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के बाद पहला चुनाव जुबली हिल्स में हुआ था. वहां भी कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. कांग्रेस की सरकारों के साथ समस्या रही है कि एक बार चुनाव जीतने के बाद दूसरे चुनाव में लीड नहीं टिक पाती. तेलंगाना में ये थ्योरी गलत साबित हो रही है. विधानसभा चुनावों के बाद भी तेलंगाना में भी कांग्रेस ने बढ़िया कर दिखाया. उपचुनावों के बाद पंचायत चुनावों ने भी साबित किया कि रेवंत रेड्डी की पकड़ मजबूत बनी है. केरल, तेलंगाना निकाय चुनाव हुए हैं. महाराष्ट्र में होने वाले हैं. देश में बहुत चर्चा है कि विधानसभा चुनाव से पहले केरल में कांग्रेस के यूडीएफ अलायंस ने निकाय चुनावों में लेफ्ट और बीजेपी को पीट दिया. हालांकि बीजेपी ने तिरुवनंतपुरम का चुनाव जीतकर अलग शोर मचाया है. यूडीएफ की जीत इसलिए अहम मानी जा रही है कि पिछले दो बार से लेफ्ट अलायंस ही निकाय और विधानसभा चुनाव जीतता रहा. इस बार यूडीएफ ने सिलसिला तोड़ा है.
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