उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद के मानूसन सत्र के पहले दिन अचानक इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया. अब सवाल ये है कि क्या उपराष्ट्रपति का चुनाव होगा? यदि नहीं तो अब आगे क्या होगा? ये पद खाली रहेगा या इसके लिए कोई और प्रावधान है?
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ऐसे कई सवालों पर पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने कहा कि उपराष्ट्रपति के चुनाव की दो परिस्थितियां हैं. अव्वल तो नियमित रूप से कार्यकाल पूरा होने की तारीख से 60 दिन के भीतर नए उपराष्ट्रपति का चुनाव हो जाना चाहिए.
दूसरी परिस्थिति अचानक इस्तीफे या अन्य प्राकृतिक वजहों से हुई रिक्ति में जितनी जल्द संभव हो नए उपराष्ट्रपति का चुनाव हो जाना चाहिए. इस बारे में अवधि तय तो नहीं है, लेकिन अमूमन 45 से 50 दिन में प्रक्रिया पूरी हो जाती है.
इस्तीफे की अधिसूचना के बाद चुनाव की होती है घोषणा
ओपी रावत ने आगे कहा- संविधान के अनुच्छेद 67 में उपराष्ट्रपति अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को भेजते हैं. सरकार इस्तीफा मिलने की अधिसूचना जारी कर देती है. इसके बाद निर्वाचन आयोग चुनाव की घोषणा और फिर अधिसूचना जारी करता है. इस दौरान निर्वाचन अधिकारियों और पूरी टीम को प्रशिक्षण भी दिया जाता है.
ऐसे होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव
एकल संक्रमणीय मत प्रणाली पर अनुपातिक निर्वाचन पद्धति के जरिए उपराष्ट्रपति का चुनाव होता है. रावत ने बताया कि मतदान दिल्ली में ही होता है. लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य इस चुनाव में निर्वाचक होते हैं. लिहाजा प्रचार यानी कैंपेन की अवधि भी बड़ी नहीं होती है. इस तरह संभवतः अगस्त महीने में देश को नए उप राष्ट्रपति मिल सकते हैं.
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