जयपुर हादसे के बाद भीषण अग्निकांड में अब तक 14 की मौत, हादसे को लेकर आया बड़ा अपडेट

जयपुर में सड़क हादसे में हुए अग्निकांड कांड की जांच के लिए राजस्थान पुलिस ने डीसीपी अमित कुमार के निर्देशन में एसआईटी का गठन किया है. हादसे के आद अभी तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 80 घायल हैं. इनमें 30 की हालत गंभीर बनी हुई है.

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तस्वीर: राजस्थान तक.

शरत कुमार

20 Dec 2024 (अपडेटेड: 22 Dec 2024, 01:23 PM)

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न्यूज़ हाइलाइट्स

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इस हादसे के लिए प्रथम दृष्टया LPG टैंकर चालक की बताई जा रही गलती.

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टक्कर मारने वाले ट्रक का ड्राइवर जिंदा जल गया.

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हादसे के लिए जिम्मेदार सरकारें भी हैैं. रिंग रोड के लिए क्लोवर लीफ होता तो ये हादसा न हुआ होता.

राजस्थान की राजधानी जयपुर में शुक्रवार के हादसे ने कई परिवारों को सदियों का दर्द दे दिया. सड़क पर निर्वस्त्र दौड़ रहे जले लोग और धू-धू कर जल रही कारों, बस और ट्रक से निकलती लपटें आसमान में परिंदों को भी खाक में मिला रही थीं. आग का गोला ऐसे लोगों की तरफ बढ़ा जैसे सुनामी हो. बाइक सवार का हेलमेट उसके चेहरे से चिपक गया. कार आग का गोला बन गई. आसमान में लपटे उठीं तो उड़ते परिदें भी जल गए. हादसे में करीब 37 जले हुए लोगों को अस्पताल पहुंचाया जा सका जिसमें 14 दम तोड़ चुके हैं. बाकियों का इलाज चल रहा है. 

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हादसे में अभी तक महज 9 लोगों की शिनाख्त हो पाई है. 5 लोगों का डीएनए टेस्ट करने के लिए सैंपल लिया गया है. इस सैंपल के आधार पर जानने की कोशिश होगी कि ये कौन हैं. कुछ लोग इतना जल गए हैं कि चेहरा पहचान में नहीं आ रहा है. राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को 5 लाख और घायलों को 1 लाख देगी. वहीं केंद्र सरकार ने मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख देने का ऐलान किया है. 

LPG टैंकर के पीछे आ रही स्पीकर बस जलकर भस्म हुई 

जयपुर में हुए अग्निकांड का शिकार बस उदयपुर के एक निजी ट्रेवल्स की है. इस बस में जिसमें कुल 34 यात्री सवार थे. इनमें से 31 उदयपुर के और तीन राजसमंद के थे. निजी ट्रेवल्स के मुताबिक 34 यात्रियों में से 21 से उनका संपर्क हो चुका है. वे स्वस्थ्य हैं. बाकी के 13 यात्रियों से संपर्क करने की कोशिश की जा रही है. बाकी यात्रियों के मोबाइल बंद आ रहे हैं. 

कैसे हुआ ये हादसा? 

शुक्रवार को सुबह करीब पौने 6 बजे जयपुर से करीब 10 किमी पहले यू-टर्न ले रहे एलपीजी टैंकर को कंबल से भरे ट्रक ने टक्कर मार दिया. एलपीजी टैंकर के पीछे सेफ्टी वॉल्व और नोज़ल टूट गए जिससे तेजी से गैस निकलना शुरू हो गया. ये गैस 500 मीटर के दायरे में तेजी से फैल गया. इसके बाद उधर से गुजर रही एक के बाद एक गाड़ियां चपेट में आने लगीं. 10 सेकेंड में ही वहां से गुजर रहीं पेट्रोल की गाड़ियां आग का गोला बन गईं. 

ये हादसा और भयानक हो सकता था 

जयपुर अजमेर रोड पर दिल्ली पब्लिक स्कूल के सामने जहां हादसा हुआ वहीं पास में पेट्रोलपंप है. हादसे के स्थान से कुछ ही दूरी पर माचिस से भरा ट्रक और एलपीजी से फुल एक और टैंकर था जिसे समय रहते साइड कर लिया गया. पेट्रोल पंप को भी सुरक्षित कर लिया गया. चूंकि हादसा सुबह के पौने 6 बजे हुआ. यही डेढ़-दो घंटे देरी से होता तो तब तक स्कूल भी खुल चुका होता. कुुल मिलाकर इन परिस्थितियों में ये हादसा होता तो भी ऐसा तांडव होता है जिसे आज पूरा देश हिल जाता. 

हादसे के लिए जिम्मेदार कौन 

बताया जा रहा है कि एलपीजी गैस से भरा टैंकर नायरा पेट्रोल पंप के पास कट से यू-टर्न ले रहा था. दूसरी तरफ से तेजी से आ रहे कंबल से भरे ट्रक ने टक्कर मार दी. टैंकर चालक ने लापरवाही से कट से यूटर्न लेने की कोशिश की. वो रिंग रोड की तरफ जाना चाह रहा था. 

कट पर क्यों मुड़ रहा था टैंकर? ये समस्या 6-7 साल पुरानी है 

अब सवाल ये उठ रहा है कि टैंकर का ड्राइवर कट पर क्यों यू-टर्न ले रहा था. दरअसल जिस हाईवे पर हर घंटे हजारों वाहन निकल रहे हैं वहां सरकारों ने बीते 6-7 सालों से गंभीर जानलेवा लापरवाही कर रखी है. यहां नेशनल हाईवे 8 यानी दिल्ली अजमेर हाईवे पर यू टर्न लेने की मजबूरी सरकारों की लापरवाही का नतीजा है.

साल 2016 में वसुंधरा सरकार में रिंग रोड बना और उद्घाटन 2018 के आखिर में हुआ. काम अधूरा था इसलिए मार्च 2019 में गहलोत सरकार के आने के बाद यातायात शुरू कराया गया. गहलोत सरकार ने भी रिंग रोड पर चढ़ने के लिए क्लोवर लीफ नहीं बनाए, जिससे अजमेर की तरफ से आ रहा ट्रैफिक घूमकर दूसरे साइड के ऊपर से निकल कर रिंग पर चढ़े. तब से रिंग रोड के क्लोवर लीफ के पीलर बस खड़े हैं. भजनलाल सरकार आ गई फिर भी ये अधूरी पड़ी है. किसी ने उसे पूरा करने की ज़हमत नहीं उठाई. 

रिंग रोड पर जाने के लिए कट से यूटर्न मजबूरी 

जिसे भी आगरा-कोटा जाना होता है वो रिंग रोड पर चढ़ने के लिए यहां से यू-टर्न लेता है, जिससे आए दिन हादसे होते हैं, मगर आज बड़ा हादसा हो गया. इस बीच मुंबई-दिल्ली एक्सप्रेस वे भी बन गया. हादसे वाले नेशनल हाईवे-8 को यही रिंग रोड मुंबई-दिल्ली एक्सप्रेस वे जोड़ता है. अचानक इस यू-टर्न पर ट्रैफिक बढ़ा तो आठ साल बाद पिछले महीने फिर से क्लोवर लीफ़ पर काम शुरू हुआ तब तक तो बड़ा हादसा हो गया. 

सरकारों की लापरवाही से गई जानें  

देखा जाए तो सरकारों की नाकामी की वजह से ये हादसा हुआ है. हाईवे पर यू-टर्न लेकर मुंबई-दिल्ली हाईवे, आगरा और टोंक हाईवे पर जाने की मजबूरी है. 2018 क्लोवर लीफ का काम शुरू हुआ. सोना बिल्ड्स और भारती स्पन कंपनी को क्लोवर लीफ का टेंडर मिला था जो बैंकरप्ट होकर काम छोड़ कर चार साल पहले भाग गईं. अब एनएचआई ने नए सिरे से बिड कर इसी महीने काम 107 करोड़ में शुरू करवाया है जो मार्च 2026 में पूरा होना है.

सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान

सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ऑन रोड सेफ्टी ने राजस्थान के मुख्य सचिव से रिपोर्ट मांगी है. राजस्थान मुख्य सचिव सुधांश पंत के निर्देश पर हुई हादसे में कमेटी गठित की गई है. दुर्घटना के लिए उत्तरदायी सड़क निर्माण व विभाग के उत्तरदायित्व के अलावा अन्य पहलू पर जांच होगी. सुप्रीम कोर्ट ने 20 जनवरी तक टाईमलाइन दी है. कमेटी अगले सप्ताह ही करवाएगी रिपोर्ट समिट करेगी. 

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