Alwar: जेल में सिखाया जा रहा फास्ट फूड तैयार करना तो कोई कर रहा है बीए-एमए...सामने आई कैदियों के ये तस्वीर

अपराध करने के बाद जेल में बंदियों की जिंदगी बदल जाती है. अपराध के पीछे वजह चाहे जो हो, लेकिन पुलिस प्रशासन कोशिश करता है कि अपनी सजा पूरी करने के बाद कैदी मुख्यधारा में आए.

NewsTak

Himanshu Sharma

• 09:12 PM • 12 Jul 2024

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अपराध करने के बाद जेल में बंदियों की जिंदगी बदल जाती है. अपराध के पीछे वजह चाहे जो हो, लेकिन पुलिस प्रशासन कोशिश करता है कि अपनी सजा पूरी करने के बाद कैदी मुख्यधारा में आए. इसके लिए कई बार कैदियों को अलग-अलग काम से भी जोड़ा जाता है. जिसमें जेल के भीतर कई तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शामिल होते हैं. ऐसा ही कुछ खास देखने को मिल रहा है अलवर सेंट्रल जेल में. जहां कैदी चाऊमीन, बर्गर और छोले भटूरे जैसे फास्ट फूड तैयार कर रहे हैं तो वहीं, कई बंदी बीए, एमए और डिप्लोमा जैसे प्रोफेशनल कोर्स कर रहे हैं. दरअसल, जेल प्रशासन की ओर से विशेष कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. ताकि कैदी आत्मनिर्भर बन सके और जेल की सजा पूरी होने के बाद जीवन यापन कर सकें.

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बता दें कि फिलहाल अलवर सेंट्रल जेल में 900 कैदी हैं. जिसमें राजस्थान ही नहीं, हरियाणा, यूपी, दिल्ली और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों के अपराधी सजा काट कर रहे हैं. इन अपराधियों पर हत्या, लूट, दुष्कर्म, गैंगरेप, रंगदारी जैसे गंभीर मामलों में मुकदमा दर्ज है.

 

 

साल 2023 से अब तक कुल 530 कैदियों को डिप्लोमा कॉर्सेज कराए जा चुके हैं. वहीं, 16 ने पोस्ट ग्रेजुएशन और 120 ने ग्रेजुएशन कॉर्सेज किया है. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय खुला विश्वविद्यालय (इग्नू) से 379 कैदियों ने डिग्री और डिप्लोमा लिया है. कैदियों को जो प्रोफेशनल कोर्स कराए जा रहे हैं, उनमें से हाउस वायरिंग, बागवानी, फूड और योग शामिल है.

ITI ट्रेनिंग भी ले रहे कैदी 

इसके अलावा आईटीआई की ट्रेनिंग लेने में भी बंदी पीछे नहीं है. सेंट्रल जेल में 98 बंदी आईटीआई की ट्रेनिंग ले चुके हैं और 24 बंदियों ने इस साल आइटीआई में प्रवेश लिया है. राजस्थान सरकार की तरफ से चलने वाले आरएसएलडीसी कोर्स में 310 बंदियों ने पढ़ाई की. अब तक जेल में 588 बंदी साक्षर हो चुके हैं.

 

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