Alwar: अपनी कमाई से शिक्षक ने बदल डाली सरकारी स्कूल की तस्वीर, बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए ऐसे-ऐसे फैसले!

Alwar: बिना सरकार व भामाशाह के किसी सरकारी स्कूल की सूरत बदलना नामुमकिन लगता है. लेकिन अलवर के एक सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक और स्कूल में पढ़ने वाले शिक्षकों के प्रयास ने ना सिर्फ स्कूल की सूरत बदली. बल्कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के साथ ही बच्चों को जूते, आई कार्ड, ड्रेस सहित सभी जरूरी चीज भी उपलब्ध कराई.

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Himanshu Sharma

11 May 2024 (अपडेटेड: 11 May 2024, 10:49 AM)

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Alwar: कहते हैं शिक्षक समाज को रोशन करने का काम करते हैं. यह कहावत अलवर में सच होती नजर आई. मुंडावर उपखंड के गांव कादर नगला स्थित शहीद श्याम सिंह राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत शिक्षक सुमित यादव ने असंभव को संभव करके दिखाया है. जो खुद जलकर विद्यार्थियों को रोशन कर रहे हैं. इस स्कूल के प्रधानाचार्य व शिक्षकों की पहल की अब पूरे देश में चर्चा हो रही है.

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बिना सरकार व भामाशाह के किसी सरकारी स्कूल की सूरत बदलना नामुमकिन लगता है. लेकिन अलवर के एक सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक और स्कूल में पढ़ने वाले शिक्षकों के प्रयास ने ना सिर्फ स्कूल की सूरत बदली. बल्कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के साथ ही बच्चों को जूते, आई कार्ड, ड्रेस सहित सभी जरूरी चीज भी उपलब्ध कराई. साथ ही गांव के बच्चों को स्कूल तक लाना भी शिक्षकों के लिए बड़ी चुनौती था. लेकिन शिक्षकों के प्रयास ने असंभव को संभव कर दिखाया. तो अब स्कूल के शिक्षकों की तारीफ पूरे देश में होने लगी है.

2012 से कर रहे प्रयास

मुंडावर उपखंड के गांव कादर नगला स्थित शहीद श्याम सिंह राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में सुमित यादव 2012 से प्रधानाध्यापक के पद पर पदस्थापित हैं. वो जब इस विद्यालय में आए थे. उस समय विद्यालय की स्थिति अच्छी नहीं थी. कादर नंगला छोटा गांव है, तो विद्यालय के प्रति बच्चों का रुझान कम था. माता पिता बच्चों को स्कूल में पढ़ने के लिए नही भेजते थे. ऐसे में सुमित ने घर-घर जाकर बच्चों व उनके परिजनों को मोटिवेट किया. बच्चों को शिक्षा का महत्व समझाया गया. इसका परिणाम नजर आया अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल में भेजना शुरू किया. 

बदल डाली स्कूल की तस्वीर

स्कूल के शिक्षकों के सहयोग से विद्यालय में कई प्रकार के पौधे लगवाए. पूरी तरह से इस सरकारी विद्यालय में प्राइवेट विद्यालयों जैसी सुविधाएं जुताई गई. भामाशाहों का सहयोग नहीं मिला. इस पर स्कूल के शिक्षकों ने अपनी नेक कमाई में से विद्यालय विकास के सहयोग में हाथ बढ़ाया. शिक्षकों के सहयोग से बच्चों को जूते, बेल्ट, आईकार्ड दिए गए. पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखकर शिक्षकों द्वारा विद्यालय परिसर में वृक्षारोपण किया. उन्होंने जब विद्यालय में कार्यभार ग्रहण किया. तब गांव के अधिकतर लोग 10वीं पास ही थे, लेकिन आज इस विद्यालय से पढ़कर बच्चे सरकारी सेवा में जाने लगे हैं. प्रधानाध्यापक सुमित यादव ने जब देखा कि स्कूली बच्चे अलग-अलग रंग-बिरंगे कपड़ों में स्कूल आते हैं और उनके पास जूते भी नहीं है. तो उन्हें बच्चों की स्कूल यूनिफॉर्म भी होगी और खेलते समय सभी बच्चों के पास एक ही तरह के लोअर टीशर्ट तथा जूते भी होंगे. उन्होंने यह बात विद्यालय स्टाफ के सामने रखी. तभी सभी की सहमति से अपनी अपनी सैलरी से राशि एकत्रित कर स्कूली बच्चों को स्कूल यूनिफॉर्म लोअर टीशर्ट और जूते वितरित किए गए. स्कूल में लगातार बच्चों की संख्या बढ़ रही है. तो शिक्षकों के इस प्रयास की कब देखभर में चर्चा होने लगी है.

 

मंदिर और स्टेज का करवाया निर्माण

बसंत पंचमी के दिन शिक्षा की देवी मां सरस्वती की पूजा के लिए स्कूल में तस्वीर मंगाई जाती थी. इसको देखकर स्कूल प्रांगण में शिक्षा की देवी मां सरस्वती का मंदिर और एक स्टेज बनाने का फैसला लिया गया. इस दौरान खर्च का 70 प्रतिशत हिस्सा सुनील यादव ने दिया और 20 प्रतिशत हिस्सा 7 शिक्षकों ने दिया और 10 प्रतिशत राशि दानदाताओं की ओर से सहयोग के रूप में ली गई.

हर माह की सैलरी से देते हैं 20 प्रतिशत सहयोग राशि

विद्यालय विकास कार्यों में प्रधानाध्यापक सुनील यादव अपनी हर माह की सैलरी से 20 प्रतिशत सहयोग राशि विद्यालय में देते हैं. इसके अलावा जब भी कोई विकास काम कराया जाता है. तो उसमें विद्यालय परिवार के बाकी सुदेश यादव, मनीषा चौधरी, आदित्य शर्मा, आशा रानी, अंजू बाई, पूनम यादव, ललिता मेहरा आदि शिक्षक शिक्षिकाएं विद्यालय के कार्य में अपना सहयोग करते हैं.

वाटर कूलर और प्रोजेक्टर लगेगा

प्रधानाध्यापक सुनील यादव बताते हैं कि विद्यालय प्रांगण में बच्चों को पीने का पानी की समस्या है. साथ ही आधुनिक युग में प्रोजेक्टर की पढ़ाई अति आवश्यक है. इसको लेकर कुछ भामाशाहों से भी बात की जा रही है. अगर भामाशाह सहयोग नहीं करते हैं. तो विद्यालय परिवार के सहयोग से ही विद्यालय प्रांगण में वाटर कूलर और बच्चों की पढ़ाई के लिए प्रोजेक्टर लगाए जाएंगे.
 

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