Bhilwara: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मालासेरी यात्रा के दौरान भगवान देवनारायण के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों को भीलवाड़ा की प्रख्यात चित्रकला फड़ द्वारा पीएम मोदी को समझाया जाएगा. इसके लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त प्रख्यात फड़ चित्रकार कल्याण जोशी मालासेरी पहुंच चुके हैं और उन्होंने यह फड़ वहां लगा दी. भगवान देवनारायण की इस फड़ को तीन भागों में बांटा गया है. एक भाग में भगवान देवनारायण को, एक में पाबूजी और एक भाग में भगवान रामदेव जी के जीवन का चित्रण है. भगवान देवनारायण की यह भारत की सबसे बड़ी फड़ है, जिसकी कुल लम्बाई 75 फुट और चौड़ाई 9 फुट है, जिसमें से देवनारायण की फड़ की लंबाई 40 फीट और चौड़ाई 9 फीट है, पाबू जी की फड़ 20 फुट लम्बी और 9 फुट चौड़ी और रामदेव जी की फड़ 15 फुट लंबी और 9 फुट चौड़ी है, जिसमें 2000 चित्रों के माध्यम से यह प्रदर्शित किया जाएगा.
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फड़ चित्रकार कल्याण जोशी के पिता पद्मश्री लाल जोशी भी फड़ कला में पारंगत थे. कल्याण जोशी ने बताया कि मालासेरी देव डूंगरी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अवलोकनार्थ उन्होंने यह फड़ बनाई है. इसमें भगवान देवनारायण के जीवन से जुड़े 40 एपिसोड बनाए गए हैं. इसमें भगवान देवनारायण के पूर्वजों 24 बगड़ावतों की कहानी भी शामिल की गई है. इस फड़ के माध्यम से चित्रकार जोशी प्रधानमंत्री मोदी को सारी चीजें बताएंगे.
चित्रकार जोशी ने बताया जी भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय के आदेश पर डेढ़ महीने में मेरे साथ 15 अन्य फड़ चित्रकारों ने मिल कर इसे बनाया है. जिसे भगवान देवनारायण के पैनोरमा के पास ही लगाई है. इसके पास ही पीएम मोदी एक नीम का पौधा भी लगाएंगे.
लोक देवता देवनारायण का कोरिडोर कैसे बनेगा इसको लेकर भी गुर्जर समाज के साथ-साथ इस क्षेत्र के लोगों में उत्सुकता बढ़ी हुई है. मालासेरी डूंगरी में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समय में बनाए गए पैनारोमा में देवनारायण के जीवन से जुड़ी कहानियों को पहले से ही चित्रित किया गया है और अब बनने वाले इस कॉरिडोर की थीम देवनारायण की इस सबसे बड़ी फड़ से ली जाएगी. तीन-चार दिन पहले भारत सरकार की रिसर्च टीम मालासेरी पहुंच गई थी. उन्होंने मालासेरी के साथ-साथ सवाई भोज मंदिर आसींद और अन्य स्थानों पर रिसर्च करना शुरू कर दिया है
भगवान देवनारायण का प्राकट्य स्थल मालासेरी डूंगरी राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के आसींद उपखंड मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर है. जहां 1111 साल पहले माता साडू की तपस्या से भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर संवत 968 माघ माह की सप्तमी को भगवान देवनारायण को जन्म दिया था. इस डूंगरी के सबसे ऊपरी भाग पर जमीन फटकर निकले कमल के फूल की नाभि से भगवान देवनारायण का प्रकट होना माना जाता है. इसलिए यह मंदिर समस्त गुर्जर समाज का आराध्य स्थल है.
भीलवाड़ा जिले की तत्कालीन शाहपुरा रियासत से निकली यह चित्रकारी फड़ कला के बारे में बताते हैं. इसमें उकेरे चित्रों को कहानी के माध्यम से गाकर सुनाया जाता है. यह प्रमुख रूप से लोक देवता देवनारायण और पाबूजी महाराज के जीवन पर बनाई जाती थी. पाबूजी महाराज जोधपुर रियासत के लोक देवता हैं. फड़ चित्रकला 750 साल पुरानी मानी जाती है. इसमें हाथ से बुने मोटे कपड़े का उपयोग किया जाता था. जिसे रेजी भी कहा जाता है. आजकल सूती कपड़े के साथ-साथ सिल्क पर फड़ चित्रकारी की जाने लगी है.
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