कोटा में 2 दोस्तों ने गजब कर दिया...एक बेटे की शादी और दूसरी का निकाह एक ही मंडप में

Kota News: कोटा में दो दोस्तों की दोस्ती ने अनोखी मिसाल कायम कर दी है. धर्म की सीमाएं लांघते हुए इन्होंने कुछ ऐसा कर दिया है जिससे की पूरे शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है.

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एक ही मंडप में हुआ शादी और निकाह

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21 Apr 2025 (अपडेटेड: 21 Apr 2025, 01:23 PM)

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Kota News: राजस्थान के कोटा से एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने कि एक अलग ही मिसाल कायम कर दी है. यहां दोस्ती ने धर्म की सीमाओं को लांघते हुए एक ऐसा काम कर दिखाया जो कि समाज में एकता और सौहार्द का प्रतीक माना जा रहा है. यहां दो दोस्तों ने अपने बेटों की शादी और निकाह एक ही मंडप में कराया. साथ ही दोनों का रिसेप्शन भी एक ही जगह किया गया. एक ही मंडप और दो अलग-अलग रीति-रिवाज से ये मामला पूरे शहर के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है. 

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40 साल से घर और व्यापार एक साथ

कोटा में 40 साल की दोस्ती ने अनोखी मिसाल पेश की. यहां एक ही पंडाल के एंट्री गेट पर लिखा हुआ है "अंसारी परिवार और चक्रवर्ती परिवार आपका हार्दिक स्वागत करता है". इससे आप भी शायद ये सोच रहे होंगे कि दो अलग-अलग धर्मों में शादी हो रही है. लेकिन आप बिल्कुल ही गलत सोच रहे हैं. ये एक दोस्ती का मिसाल है जो कि चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल कोटा के अब्दुल रऊफ और विश्वजीत चक्रवर्ती लगभग 40 साल सालों से गहरी दोस्ती है. दोनों का साथ में व्यापार भी है और घर भी. दोस्ती का ये सिलसिला दोनों के बच्चों ने भी खूब निभाया हैं. 

एक ही मंडप में शादी और निकाह

जब दोनों दोस्तों के बेटों की शादी की बात शुरू हुई तो ये तय हुआ कि क्यों ना शादी एक ही जगह, एक साथ और एक ही मंडप में की जाए. ये सिलसिला यहां ही नहीं रूका. दोनों के शादी का कार्ड भी एक ही छपा जिसमें की विश्वजीत के बेटे सौरभ के शादी की जानकारी तो वहीं अब्दुल के बेटे युनूस के निकाह की जानकारी दी गई. इतनी गहरी दोस्ती के कारण इनके मेहमान भी लगभग कॉमन ही थे.

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सौरभ ने लिए फेरे तो युनूस ने पढ़ा निकाह

17 अप्रैल को युनूस का फरहीन के साथ निकाह हुआ जहां उनके धर्म के हिसाब से सारे रीति-रिवाज पूरे हुए. उसी पंडाल में 18 अप्रैल को सौरभ ने श्रेष्ठा राय के साथ सात फेरे लेकर हिंदू धर्म के हिसाब से शादी की. साथ ही अगले दिन यानी  19 अप्रैल को दोनों का एक ही  रिसोर्ट में एक साथ रिसेप्शन भी हुआ.

दोनों दोस्तों ने संभाला एक दूसरे का काम

दोनों परिवारों की गहरी दोस्ती इस कदर झलकती है कि जब युनूस की बारात और निकाह हुआ, तो मेहमानों को संभालने से लेकर उनके स्वागत की जिम्मेदारी विश्वजीत रॉय और उनके परिवार ने निभाई. वहीं, जब सौरभ घोड़ी चढ़कर बारात के लिए रवाना हुआ तो सारी जिम्मेदारी रऊफ और उनके परिवारजनों ने निभाई. इन शादियों में शरीक होने वाले लोगों का कहना है कि ऐसी शादी पहली बार देखी. शादी का कार्ड आने के साथ ही इसमें जाने और कार्यक्रम देखने के लिए काफी उत्सुकता थी. अब जब कार्यक्रमों में शामिल हुए तो ये अनोखी शादी देखने को मिली जो हमेशा याद रहेगी.

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