हनुमानगढ़ में किसानों की बड़ी जीत, हनुमानगढ़ के टिब्बी में नहीं लगेगा एथनॉल प्लांट, कंपनी ने छोड़ा राजस्थान

हनुमानगढ़ के टिब्बी क्षेत्र में प्रस्तावित एथनॉल प्लांट को लेकर किसानों के लगातार विरोध के बाद कंपनी ने राजस्थान से बाहर प्लांट लगाने का फैसला लिया है. इसे किसानों के आंदोलन की बड़ी जीत माना जा रहा है.

टिब्बी में किसानों के दबाव के आगे झुकी कंपनी
टिब्बी में किसानों के दबाव के आगे झुकी कंपनी

गुलाम नबी

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राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में टिब्बी कस्बे के पास प्रस्तावित एथनॉल प्लांट को लेकर चल रहा किसानों का आंदोलन आखिरकार असर दिखा गया. लगातार विरोध और प्रदर्शन के बाद अब कंपनी ने बड़ा फैसला लेते हुए एथनॉल प्लांट को राजस्थान के बाहर लगाने का फैसला लिया है. इस फैसले को आंदोलन कर रहे किसानों की बड़ी जीत मानी जा रही है.

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एथनॉल फैक्ट्री के सीनियर मैनेजर जय प्रकाश शर्मा ने साफ तौर पर कहा कि कंपनी अब यह प्लांट राजस्थान में नहीं लगाएगी और दूसरे राज्य में शिफ्ट करेगी. वहीं किसान महासभा और किसान सभा ने इसे जनता और किसानों के संघर्ष की ऐतिहासिक जीत बताया है. 

फैक्ट्री रुकने की बात नहीं

किसान सभा के जिला सचिव मंगेज चौधरी ने कहा कि यह सिर्फ एक फैक्ट्री रुकने की बात नहीं है, बल्कि यह किसानों की एकजुटता की जीत है. हालांकि उन्होंने यह भी साफ किया कि आंदोलन पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. जब तक किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस नहीं लिए जाते, तब तक संघर्ष जारी रहेगा.

बनाई गई थी एथनॉल फैक्ट्री की योजना 

दरअसल, टिब्बी शहर में चंडीगढ़ की एक कंपनी द्वारा राठी खेड़ा इलाके में एथनॉल फैक्ट्री लगाने की योजना बनाई गई थी. इसके विरोध में बुधवार से ही किसान हनुमानगढ़ में प्रदर्शन कर रहे थे. इस आंदोलन को स्थानीय कांग्रेस नेताओं का भी समर्थन मिला और देखते ही देखते यह विरोध महापंचायत का रूप ले बैठा.

किसानों का क्या था आरोप 

किसानों का आरोप था कि एथनॉल फैक्ट्री से इलाके में प्रदूषण बढ़ेगा और भूजल स्तर को गंभीर नुकसान पहुंचेगा. इन आशंकाओं को देखते हुए फॉरेस्ट एंड एनवायरनमेंट डिपार्टमेंट ने एक जांच समिति का गठन भी किया था. इस कमेटी की अध्यक्षता बीकानेर डिविजन के कमिश्नर कर रहे हैं, जबकि फॉरेस्ट एंड एनवायरनमेंट के स्पेशल सेक्रेटरी को मेंबर सेक्रेटरी बनाया गया है.

कमेटी में हनुमानगढ़ जिला कलेक्टर, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सीनियर एनवायरनमेंटल इंजीनियर और ग्राउंडवाटर डिपार्टमेंट के चीफ इंजीनियर भी शामिल हैं. इस समिति को संभावित प्रदूषण और भूजल पर असर को लेकर रिपोर्ट तैयार कर राज्य सरकार को सौंपनी थी. 

क्या है किसानों की मांग 

किसानों की मांग सिर्फ फैक्ट्री रोकने तक सीमित नहीं थी. वे इस प्रोजेक्ट से जुड़े MoU को रद्द करने, आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मामलों को वापस लेने और टिब्बी में हुई झड़पों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग भी कर रहे थे.

बता दें कि जुलाई में जैसे ही कंपनी ने फैक्ट्री की बाउंड्री वॉल बनाना शुरू किया, विरोध तेज हो गया. 10 दिसंबर को किसानों ने टिब्बी SDM कार्यालय के सामने बड़ी सभा की. शाम होते-होते सैकड़ों किसान ट्रैक्टर लेकर फैक्ट्री साइट पर पहुंच गए और बाउंड्री वॉल गिरा दी. इस दौरान पुलिस और किसानों के बीच तनाव और झड़प की स्थिति भी बनी.

अब कंपनी के राज्य से बाहर जाने के फैसले के बाद इलाके में सुकून का माहौल है. किसान इसे अपनी एकता और संघर्ष की ताकत बता रहे हैं, वहीं प्रशासन और सरकार की आगे की भूमिका पर भी सबकी नजरें टिकी हुई हैं.

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