Defamation case against Chief Minister Ashok Gehlot: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने मानहानि के मामले में समन जारी किया है. ये मुकदमा केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) ने गहलोत के खिलाफ मानहानि (Defamation case ) का मुकदमा दायर किया है. इसकी सुनवाई के बाद कोर्ट ने गुरुवार को मुख्यमंत्री गहलोत को समन जारी किया है.
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समन के मुताबिक गहलोत को 7 अगस्त को राऊज एवेन्यू अदालत में पेश होना है. अशोक गहलोत ने गजेंद्र सिंह शेखावत पर संजीवनी घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया था. अशोक गहलोत ने घोटाले में शेखावत के माता-पिता, पत्नी और साले की संलिप्तता की बात भी कही थी. अशोक गहलोत ने कहा था कि शेखावत ने घोटाले का पैसा दूसरे देशों में लगा रखा है. इसके बाद केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने गहलोत के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था.
ध्यान देने वाली बात है कि एमपी एमएलए कोर्ट के जज हरजीत सिंह जसपाल ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इस मुद्दे पर फैसला सुरक्षित रखा था कि कोर्ट तय करेगा कि समन जारी किया जाए या नहीं. आज गुरुवार को कोर्ट ही तय कर दिया कि अशोक गहलोत को अदालत के सामने पेश होना होगा. अब गहलोत को इस समन पर रोक लगवाने या फिर व्यक्तिगत पेशी से छूट के लिए ऊंच्च अदालत में गुहार लगानी होगी.
गौरतलब है कि सुनवाई के दौरान राउज एवेन्यू कोर्ट में शेखावत के वकील ने कहा था कि अदालत ने मामले की जांच का निर्देश दिया था. जांच में संकेत मिले हैं कि अशोक गहलोत की ओर से लगाए गए आरोप झूठे हैं. वकील ने कहा कि मुख्यमंत्री जांच से जुड़े दस्तावेज को अपने पास नहीं मंगा सकते है. ऐसे में आधिकारिक दस्तावेजों के बिना लगाए गए आरोप मानहानि है.
शेखावत की ओर से दलील दी गई कि सरकार के पास जांच में दखल देने का कोई अधिकार नहीं होता है. मुख्यमंत्री लंबित जांच के बारे में बोल रहे हैं. ऐसे में सवाल यह है कि जांच पर किसका कंट्रोल है?
केंद्रीय मंत्री के वकील का कहना है कि मुख्यमंत्री इस तरह से लंबित जांच के बारे में कोई खुलासा नहीं कर सकते हैं. उनके पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है. राउज ऐवेन्यू स्थित कोर्ट ने दलील सुनने के बाद मानहानि मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा.
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