Rajasthan Tourism: राजस्थान में मौजूद है एशिया का सबसे भूतिया महल, इसके पीछे की ये कहानी जानते हैं आप?

Rajasthan Tourism: देश में भूतिया जगह ‘हॉन्टेड प्लेस’ (Haunted Places) का नाम आते ही सबसे पहले जहन में अलवर स्थित भानगढ़ किले (Bhangarh Fort) का नाम आता है. देश की राजधानी दिल्ली व राजस्थान की राजधानी जयपुर के नजदीक भानगढ़ का किला अलवर के सरिस्का क्षेत्र में मौजूद है. इस किले में कई मंदिर, बाजार, […]

Rajasthan Tourism: राजस्थान में मौजूद है एशिया का सबसे भूतिया महल, इसके पीछे की ये कहानी जानते हैं आप?

Rajasthan Tourism: राजस्थान में मौजूद है एशिया का सबसे भूतिया महल, इसके पीछे की ये कहानी जानते हैं आप?

Himanshu Sharma

• 04:05 AM • 07 Sep 2023

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Rajasthan Tourism: देश में भूतिया जगह ‘हॉन्टेड प्लेस’ (Haunted Places) का नाम आते ही सबसे पहले जहन में अलवर स्थित भानगढ़ किले (Bhangarh Fort) का नाम आता है. देश की राजधानी दिल्ली व राजस्थान की राजधानी जयपुर के नजदीक भानगढ़ का किला अलवर के सरिस्का क्षेत्र में मौजूद है. इस किले में कई मंदिर, बाजार, घर, गार्डन व राजा रानी का महल है. लेकिन कोई भी चीज या कहें कोई भी भवन सुरक्षित नहीं है. मंदिर की मूर्ति से लेकर पूरे किले की दीवार सभी खंडित हैं. कहते हैं एक श्राप के कारण यह पूरी नगरी खंडित हो गई थी. भानगढ़ किले को भूतों की नगरी भी कहा जाता है.

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वैसे तो घूमने के लिए हजारों पर्यटन स्थल है. लेकिन जब मन में कुछ अलग की चाहत होती है. तो भूतों की नगरी भानगढ़ का नाम आता है. जयपुर से महज 80 किलोमीटर दूर और दिल्ली से करीब 300 किलोमीटर की दूरी पर अलवर के सरिस्का जंगल क्षेत्र के नजदीक भानगढ़ का किला देश दुनिया में हॉन्टेड प्लेस के नाम से जाना जाता है. इस किले में भगवान सोमेश्वर, गोपीनाथ, मंगला देवी और केशवराज के मंदिर हैं. इन मंदिरों और खाबो की नक्काशियां इसके इतिहास व गौरव को बयां करती हैं. यह किला भव्य व खूबसूरत है. लेकिन पूरा किला खंडित है. दरसअल एक तांत्रिक के श्राप के चलते यह किला खंडित हो गया और उसमें रहने वाले सभी लोगों की आत्माएं उस किले में भटक रही हैं. इस किले में घूमने का अलग ही अनुभव मिलता है. शाम ढलते ही किला खाली हो जाता है व यहां किसी को रुकने की अनुमति नहीं है.

क्या मिला था श्राप!

भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती बहुत ही खूबसूरत थी. राजकुमारी की खूबसूरती की चर्चा पूरे राज्य में थी. कई राज्यों से रत्नावती के लिए विवाह के प्रस्ताव आए. इस दौरान एक दिन किले में अपनी सखियों के साथ राजकुमारी बाजार में निकली. बाजार में वो इत्र की दुकान पर पहुंची और इत्र को हाथ में लेकर उसकी खुशबू सूंघ रही थी. उसी समय उसे दुकान से कुछ दूरी पर सिंधु सेवड़ा नाम का व्यक्ति खड़ा होकर राजकुमारी को निहार रहा था. सिंधु इस राज्य का रहने वाला था और वो काला जादू जानता था व उसमें महारथी था. राजकुमारी के रूप को देख तांत्रिक मोहित हो गया व राजकुमारी से प्रेम करने लगा ओर राजकुमारी को हासिल करने के बारे में सोचने लगा. लेकिन रत्नावती ने कभी उसे पलट कर नहीं देखा. जिस दुकान से राजकुमारी के लिए इत्र जाता था. उसे दुकान में रत्नावती के इत्र पर काला जादू कर उसे पर वशीकरण मंत्र का प्रयोग किया. जब राजकुमारी को सच्चाई का पता चला. तो उसने इत्र की शीशी को हाथ नहीं लगाया व एक पत्थर फेंक कर उसे तोड़ दिया. इत्र की शीशी टूट गई और इत्र बिखर गया. उसे पर काला जादू का असर था. इसलिए पत्थर सिंधु सेवाड़ा के पीछे लग गया और पत्थर ने जादूगर को कुचल दिया. इस घटना में जादूगर की मौत हो गई. लेकिन मरने से पहले उसे तांत्रिक ने श्राप दिया कि इस किले में रहने वाले सभी लोग जल्द ही मर जाएंगे और दोबारा उनका जन्म नहीं होगा. उनकी आत्मा इसी किले में भटकती रहेंगी. उसके बाद से आज तक इस किले में रात के समय कोई नहीं रुकता है. कहते हैं रात के समय यहां भूतों का वास रहता है व कई तरह की आवाज आती है.

सूर्यास्त के बाद नहीं मिलता लोगों को प्रवेश

इस समय भारत सरकार की देखरेख में भानगढ़ का किला है. किले के चारों तरफ आर्कियोलॉजी सर्वे आफ इंडिया की टीम मौजूद रहती है. रात के समय यहां किसी को रुकने की अनुमति नहीं दी जाती है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को खुदाई के बाद सबूत मिले कि यह एक प्राचीन ऐतिहासिक शहर था. भानगढ़ की किला कहानी रहस्य में और रोचक है. 1573 में आमेर के राजा भगवानदास ने भानगढ़ के किले का निर्माण करवाया था. किला बसावट के 300 साल तक आबाद रहा. 16वीं शताब्दी में राजा सवाई मानसिंह के छोटे भाई राजा माधव सिंह ने भानगढ़ किले को अपना निवास बना लिया था. भानगढ़ किले को भूतिया किला भी कहा जाता है. इसके अनेकों किस्से हैं. इसलिए लाखों लोग यहां घूमने आते हैं. इस जगह को पैरानॉर्मल एक्टिविटी का केंद्र भी माना जाता है.

कैसे पहुंचे भानगढ़

इस किले में घूमने का समय सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक है. उसके बाद यहां अनुमति नहीं दी जाती है. जयपुर से किले की दूरी करीब 80 किलोमीटर है. तो दिल्ली से करीब 300 किलोमीटर की दूरी है. सड़क मार्ग से किला जुड़ा हुआ है. तो ट्रेन से आने के लिए अलवर स्टेशन पर पहुंचना होगा वहां से टैक्सी की मदद से भानगढ़ पहुंचा जा सकता है.

दिल्ली व जयपुर के नजदीक है भूतों की नगरी! शाम होते ही खाली हो जाती है जगह

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