RPSC ने RAS इंटरव्यू से पहले फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट पर कस दिया शिकंजा, उठाया ये बड़ा कदम

RPSC ने RAS भर्ती-2024 के इंटरव्यू से पहले फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्रों पर कड़ा एक्शन शुरू कर दिया है. आयोग ने स्पष्ट किया है कि लो-विजन और हार्ड-हियरिंग वाले अभ्यर्थियों की मेडिकल बोर्ड से गहन जांच होगी. केंद्र सरकार के नए नियमों के तहत अब केवल सक्रिय UDID कार्ड ही मान्य होगा. फर्जीवाड़ा करते पकड़े जाने पर जुर्माना, कैद और आजीवन डिबार तक की कार्रवाई संभव है.

RAS भर्ती-2024 के इंटरव्यू से पहले कड़ा एक्शन
Strict action before the interview of RAS Recruitment-2024

चंद्रशेखर शर्मा

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RPSC RAS Exam Update: राजस्थान लोक सेवा आयोग ने आरएएस भर्ती परीक्षा-2024 के इंटरव्यू में फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के जरिए नौकरी पाने वालों पर शिकंजा कस दिया है. आयोग ने स्पष्ट किया है कि आरएएस-2023 की तरह ही इस बार भी इंटरव्यू से पहले दिव्यांग अभ्यर्थियों की मेडिकल बोर्ड के जरिए 'सर्जिकल स्ट्राइक' जैसी सघन जांच की जाएगी. आयोग के रडार पर विशेष रूप से 'लो-विजन' और 'हार्ड हियरिंग' (कम सुनाई देना) श्रेणी के अभ्यर्थी हैं, क्योंकि पिछली जांचों में सबसे अधिक गड़बड़ी इन्हीं मामलों में मिली थी.

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आयोग के सचिव ने बताया कि केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 24 नवंबर 2025 कों एक सर्कुलर जारी किया था. इसके तहत अब किसी भी दिव्यांग अभ्यर्थी को लाभ तभी मिलेगा जब उसके पास 'सक्रिय यूडीआईडी' कार्ड होगा. जिनके पास पुराने प्रमाण-पत्र हैं, उन्हें भी पोर्टल के जरिए पुनः सत्यापन करवाना अनिवार्य होगा. ये कदम प्रमाण-पत्रों के दुरुपयोग को खत्म करने के लिए उठाया गया है.

फर्जीवाड़ा पकड़े जाने पर लगेगा जुर्माना

फर्जीवाड़ा रोकने के लिए आयोग ने 'दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम-2016' का कड़ा पहरा बैठा दिया है. यदि कोई अभ्यर्थी फर्जी प्रमाण-पत्र के साथ पकड़ा जाता है तो उस पर सख्त कानूनी कार्रवाई होगी. जानकारी के अनुसार धारा 89 के तहत पहली गलती पर 10,000 रुपये और बाद में 50,000 रुपये तक का जुर्माना  लग सकता है. वहीं,  धारा 91 में धोखाधड़ी से लाभ लेने पर 2 साल की कैद और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना शामिल है.

524 अभ्यर्थियों  किया जा चुका है डिबार

आयोग की सख्ती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि फर्जी दस्तावेजों और गलत तथ्यों के चलते अब तक विभिन्न परीक्षाओं के 524 अभ्यर्थियों को डिबार किया जा चुका है. इनमें से 415 को तो आजीवन आयोग की किसी भी परीक्षा में बैठने नहीं दिया जाएगा. शेष 109 अभ्यर्थियों को एक से पांच वर्ष तक के लिए डिबार किया गया है.

डॉक्टरों के खिलाफ भी कार्रवाई की तैयारी

जांच में यह भी सामने आया है कि कई लोग फर्जी प्रमाण-पत्रों के आधार पर पहले से ही सरकारी नौकरी कर रहे हैं. आयोग ने ऐसे कर्मचारियों और उन्हें प्रमाण-पत्र जारी करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए संबंधित विभागों और चिकित्सा निदेशालय को पत्र लिखा है.

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