RSMSSB Pashu Parichar Bharti 2025: राजस्थान में पशु परिचर भर्ती विवादों में है, जब से नतीजे जारी हुए तब से मामला लगातार सुर्खियों में हैं, अब इस परीक्षा को लेकर कई अभ्यर्थियों ने राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ का दरवाजा खटखटाया है.
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आरोप है कि परीक्षा प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं हुई हैं. इस संबंध में 300 से ज्यादा अभ्यर्थियों ने याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई अगले सप्ताह संभावित है. मामले की पैरवी अधिवक्ता हरेन्द्र नील पैरवी करेंगे. इन अभ्यर्थियों की ओर से कोर्ट में 4 प्रमुख प्वांइट्स पर आपत्तियां दर्ज करवाई गई है.
अभ्यर्थियों की आपत्तियां – ये हैं चार प्रमुख वजहें
1. विवादित स्केलिंग फॉर्मूला: उम्मीदवारों का कहना है कि बोर्ड ने जिस स्केलिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया है, वह पहले ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज किया जा चुका है. जब परीक्षा अलग-अलग शिफ्टों में होती है, तब ‘इक्वल परसेंटाइल’ फॉर्मूला लागू होना चाहिए था.
2. कटऑफ के बिना जारी की गई सूची: अभ्यर्थी सवाल उठा रहे हैं कि बिना कटऑफ अंक बताए ही डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए सूची जारी कर दी गई. इससे चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
3. स्कोर कार्ड अभी तक नहीं जारी: अब तक न तो उम्मीदवारों के स्कोर कार्ड जारी किए गए हैं और न ही उन्हें यह पता चल पा रहा है कि उन्होंने कितने अंक हासिल किए.
4. फाइनल आंसर की जारी किए बिना लिस्ट: सबसे गंभीर आरोप यह है कि बोर्ड ने अंतिम उत्तर कुंजी (फाइनल आंसर की) जारी किए बिना ही डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन सूची प्रकाशित कर दी.
नॉर्मलाइजेशन बना सबसे बड़ा मुद्दा
हाल ही में एक शिक्षक संतोष विश्नोई ने दावा किया है कि पशु परिचर भर्ती परीक्षा के परिणामों में भारी गड़बड़ी हुई है. उनके मुताबिक, टॉप 1000 छात्रों में कुल 6 पारियों में से सिर्फ छठी पारी में 73% उम्मीदवारों का चयन हुआ, जबकि पहली और चौथी पारी में एक भी उम्मीदवार पास नहीं हुआ.
क्या है विवाद की असल वजह?
पशु परिसर भर्ती परीक्षा में 10 लाख से ज्यादा उम्मीदवार शामिल हुए थे. परीक्षा छह पारियों में आयोजित की गई. टीचर संतोष विश्नोई ने बताया कि टॉप 100 उम्मीदवारों में 99 छठी पारी से हैं. टॉप 1000 में भी 733 उम्मीदवार छठी पारी के हैं, जबकि पहली और चौथी पारी से शून्य चयन हुआ. इसके अलावा, टॉप 500 में भी यही हाल है. छठी पारी से 432 उम्मीदवार चुने गए, लेकिन पहली और चौथी पारी से एक भी नहीं.
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि शिफ्ट के हिसाब से स्केलिंग में भारी असमानता रही. उनका कहना है कि कुछ अभ्यर्थियों के 20-25 अंक बढ़ा दिए गए, तो कुछ के अंक 10-20 तक घटा दिए गए. इससे कई प्रतिभाशाली अभ्यर्थी मेरिट से बाहर हो गए.
डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन को लेकर नाराजगी
शुरुआत में 63 गुना उम्मीदवारों को मेरिट लिस्ट में शामिल किया गया था. लेकिन दस्तावेज सत्यापन के लिए सिर्फ 1.25 गुना उम्मीदवारों को बुलाया गया.
इससे करीब 4 लाख से ज्यादा उम्मीदवारों की उम्मीदों पर झटका लगा है. इस भर्ती के लिए कुल 17.63 लाख आवेदन आए थे, जिनमें से 10.5 लाख उम्मीदवार परीक्षा में शामिल हुए थे.
हाईकोर्ट की सुनवाई पर सभी की नजरें टिकी?
अब सभी की नजर राजस्थान हाईकोर्ट की सुनवाई पर टिकी है. अगर याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला आता है, तो भर्ती प्रक्रिया पर रोक भी लग सकती है.
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