'स्मार्टफोन नहीं चलाएंगी महिलाएं, उन्हें लत...', राजस्थान के 24 गांवों में सुनाया गया तुगलकी फरमान, अब मचा घमासान

राजस्थान के जालोर के सुंधा माता पट्टी चौधरी समाज ने 24 से ज्यादा गांवों की बहुओं-बेटियों पर स्मार्टफोन बैन लगाया है, जिससे सोशल और राजनीतिक हलकों में हंगामा मचा है.

24 से ज्यादा गांवों में फरमान (Photo: itg)
24 से ज्यादा गांवों में फरमान (Photo: itg)

नरेश बिश्नोई

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Rajasthan News: जालोर जिले के सुंधा माता पट्टी चौधरी (पटेल) समाज ने एक ऐसा फैसला किया है जिसने सोशल और राजनीतिक हलकों में हंगामा मचा दिया है. 21 दिसंबर यानी रविवार को हुई समाज की बैठक में तय किया गया कि समाज के 24 से ज्यादा गांवों की बहुएं और बेटियां अब स्मार्टफोन इस्तेमाल नहीं कर पाएंगी. 

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सरकारें दे रही हैं डिजिटल सशक्तिकरण का संदेश

यह फैसला इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि एक तरफ जहां सरकार देश की महिलाओं को सशक्तिकरण करने के लिए तमाम बड़े उठा रही हैं. राजस्थान सरकार ने हाल ही में लखपति दीदी योजना के तहत हजारों महिलाओं को टैबलेट भी बांटा गया था और उन्हें आगे बढ़कर राज्य का भविष्य बदलने के लिए प्रेरित किया गया था. वहीं दूसरी तरफ ऐसे में समाज का यह फरमान काफी विरोधाभासी नजर आता है.

की-पैड मोबाइल से काम चलाएगी महिलाएं

समाज के अध्यक्ष सुजानाराम चौधरी ने कहा कि बैठक में कई सुझावों के बाद यह तय हुआ कि बहुओं-बेटियों को अब स्मार्टफोन की जगह की-पैड मोबाइल इस्तेमाल करने की इजाजत होगी. फैसले की घोषणा पंच हिम्मताराम ने की.

कई बड़े राजनीतिक नेता भी जुड़े हैं

इस फरमान को लेकर जानने पर पंचायत के पंचों ने कैमरे से दूर रहना ही बेहतर समझा. उनका कहना है कि यह फैसला छोटे बच्चों में मोबाइल की लत को रोकने के लिए लिया गया, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इसी समाज से कई बड़े राजनीतिक नाम जुड़े हुए हैं, जिनमें जालोर-सिरोही सांसद लुंबाराम चौधरी, पूर्व सांसद देवजी एम. पटेल, प्रदेश के कानून मंत्री जोगाराम पटेल, सांचौर विधायक जीवाराम चौधरी और पूर्व विधायक पूराराम चौधरी शामिल हैं.

कौन-कौन से गांव शामिल हैं?

फरमान में गजापुरा, गजीपुरा, पावली, मालवाड़ा, राजपुरा, राजीकावास, खानपुर, आलडी, रोपसी, साविदर, कोड़ी, चितरोडी, कागमाला और कई अन्य गांवों की महिलाओं के स्मार्टफोन पर पाबंदी लगाई गई है.

बहस और विरोध शुरू

जालोर के पुलिस अधीक्षक शैलेन्द्र इंदोलिया ने कहा कि उन्हें इस फैसले की आधिकारिक जानकारी नहीं है. अगर किसी महिला ने शिकायत की, तो पुलिस नियम के अनुसार कार्रवाई करेगी. फिलहाल यह फरमान महिलाओं के अधिकार, समानता और डिजिटल आजादी को लेकर नई बहस को जन्म दे रहा है.

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