यूपी: स्वास्थ्य विभाग में बड़े घोटाले का पर्दाफाश, एक ही शख्स की 6 जिलों मे नौकरी, 3 करोड़ से ज्यादा तनख्वाह हड़पी!

UP health Department scam : यूपी स्वास्थ्य विभाग में बड़ा घोटाला! एक ही नाम से 6 जिलों में नौकरी, 3 करोड़ से ज्यादा तनख्वाह हड़पी, FIR दर्ज, जांच में और नामों का खुलासा.

UP health department salary fraud
प्रतीकात्मक तस्वीर

संतोष शर्मा

09 Sep 2025 (अपडेटेड: 09 Sep 2025, 11:07 AM)

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उत्तर प्रदेश से गड़बड़ झाला का एक बड़ा मामला सामने आया है. 5 साल पहले शिक्षा विभाग में एक महिला टीचर के 25 जिलों में नौकरी करने का मामला पकड़ में आया था. अब ऐसा ही मामला यूपी के स्वास्थ्य विभाग में एक्स-रे टेक्नीशियन की साल 2016 में हुई भर्ती में पकड़ में आया है. जहां पर एक एक्स रे टेक्नीशियन के नाम पर 6 जिलों में नौकरी हो रही थी. अब तक 3 करोड़ से अधिक की तनख्वाह एक एक्स-रे टेक्नीशियन के नाम से 6 जिलों से निकल जा चुकी है.

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मामला पकड़ में आया तो लखनऊ के वजीरगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज हुई. विभागीय जांच जारी है अभी कुछ और लोग भी कई जिलों में नौकरी करते पकड़े में आए हैं. फिलहाल 6 जिलों में नौकरी कर  रहे अर्पित सिंह पर शिकंजा कस गया है. अर्पित सिंह के बाद अंकित सिंह और अंकुर के नामों वाले एक्स रे टेक्नीशियन पर जांच और एफआईआर की तलवार लटकी है. क्या है यह स्वास्थ्य विभाग में एक-रे टेक्नीशियन के पद पर हुई भर्ती का गड़बड़झाला किस पर हुई FIR और कौन है रडार पर, विस्तार से जानिए पूरा मामला.

पहले जानिए पूरा मामला?

साल 2015 के आखिरी में समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में 403 पदों पर एक-रे टेक्नीशियन की भर्ती निकाली गई. 25 मई 2016 को इस भर्ती के 403 पदों पर एक्सरे टेक्नीशियन को चयनित किया गया. 9 साल बाद इसी एक्सरे टेक्नीशियन की भर्ती में गड़बड़झाला पकड़ में आया है. यह गड़बड़ झाला विभाग के ही मानव संपदा पोर्टल के जरिए पकड़ में आया.

चयनित अभ्यर्थियों की सूची में 80 नंबर पर आगरा के रहने वाले अर्पित सिंह, पिता का नाम अनिल कुमार सिंह, पता- सी 22 प्रताप नगर शाहगंज आगरा, रजिस्ट्रेशन नंबर 5090041299, का अंतिम चयन हुआ. आगरा के रहने वाले अर्पित सिंह, वर्तमान में हाथरस की मुरसान सीएचसी में एक-रे टेक्नीशियन के पद पर तैनात हैं. इसी अर्पित सिंह के नाम पता वाले छह अर्पित सिंह उत्तर प्रदेश के 6 जिलों में एक-रे टेक्नीशियन की नौकरी कर रहे हैं.

नाम एक, लेकिन अलग-अलग जगहों पर हो रहा काम

बलरामपुर वाले अर्पित सिंह ने साल 2016 में सीएमओ ऑफिस रामपुर में जॉइनिंग के बाद तहसील बिलासपुर के सीएचसी पर साल 2023 तक काम किया. तबादला हुआ तो  जिला क्षय रोग दफ्तर में 30 अगस्त 2025 तक तैनात था, लेकिन मामला खुलने के बाद से 1 सितंबर से रामपुर वाला अर्पित सिंह फरार है. ऐसे ही बांदा का अर्पित सिंह नरैनी सीएचसी में तैनात था. हालांकि 16 महीने बाद ही मामला पकड़ में आया तो सीएमओ ने तीन सदस्य जांच कमेटी गठित की, जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर बांदा की नरेनी कोतवाली में डेढ़ साल बाद एफआईआर हो गई और 2017 से बांदा की नरेनी सीएचसी में तैनात अर्पित सिंह फरार है.

इस तरह से एक अर्पित सिंह बलरामपुर, फर्रुखाबाद, रामपुर, बांदाअमरोहा और शामली में नौकरी कर रहा था. मानव संपदा पोर्टल पर इन सभी जिलों में जिस अर्पित सिंह का ब्यौरा दर्ज है उनमें पिता का नाम अनिल कुमार सिंह, पता प्रताप नगर शाहगंज आगरा लिखा गया है. लेकिन सबसे ताज्जुब की बात इन सभी 6 जिलों में जिस अर्पित सिंह का ब्यौरा मानव संपदा पोर्टल में दर्ज है और जिनके आधार कार्ड नंबर दर्ज हैं वह सभी अलग-अलग हैं. यानी नाम, पिता का नाम, पता एक, जन्म तिथि एक, लेकिन आधार कार्ड फर्जी बनाकर मानव संपदा पोर्टल पर अर्पित सिंह एक्स-रे टेक्नीशियन के तौर पर नौकरी कर रहे हैं और तनख्वाह भी उठा रहे हैं.

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3 करोड़ से ज्यादा ले चुके सैलरी

अगर हिसाब लगाया जाए तो औसतन एक एक्स-रे टेक्निशियन ₹50000 हर महीने मिलती है, इस तरह से 1 साल में 6 लाख और 9 साल में 54 लाख रु एक अर्पित सिंह सरकारी खजाने से तनख्वाह के तौर पर ले चुका है. ऐसे 6 अर्पित सिंह काम कर रहे हैं तो 3 करोड़ 24 लख रुपए यह लोग सरकारी धन से हड़प चुके हैं.

ऐसे कई और मामलों की सामने आई जानकारी

मामले का खुलासा हुआ तो डीजी हेल्थ रतन पाल सुमन ने डायरेक्टर पैरामेडिकल डॉ रंजना खरे की अगुवाई में जांच कमेटी बनाई और जांच कमेटी ने इस मामले में लखनऊ की वजीरगंज कोतवाली में अर्पित सिंह के नाम से 6 जिलों में नौकरी करने वाले जालसाज पर एफआईआर दर्ज करवा दी है.

लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती है. जांच समिति को इस एक्स-रे टेक्नीशियन के 403 पदों पर हुई नियुक्ति में कुछ और नाम भी ऐसे ही कई जिलों में मानव संपदा पोर्टल पर दर्ज मिले हैं. जिसमें मैनपुरी के रहने वाला अंकुर मुजफ्फरनगर की शाहपुर सीएचसी में और मैनपुरी वाला अंकुर भोगांव सीएचसी में एक्स-रे टेक्नीशियन के तौर पर काम करते मानव संपदा पोर्टल पर मिले है.

ऐसे ही हरदोई का रहने वाला अंकित सिंह पुत्र राम सिंह, इसके नाम पर भी 5 जिलों, ललितपुर, लखीमपुर, गोंडा बदायूं, हरदोई में एक-रे टेक्निशियन के तौर पर काम करने की डिटेल मिली है. फिलहाल जांच समिति अंकित सिंह, अंकुर समेत कई अन्य नाम पर जांच कर रही है और जांच के बाद फर्जीवाड़ा करने वाले अन्य लोगों पर भी एफआईआर दर्ज होगी.

आसान नहीं होगी वसूली और कार्रवाई

जानकारों की माने तो समाजवादी पार्टी की सरकार में एक्स-रे टेक्नीशियन के पदों पर हुई इस भर्ती में घोटाला करने वाले अफसरो पर शिकंजा कसना भी आसान नहीं होगा. क्योंकि भर्ती के 9 साल बीत चुके हैं, ऐसे में कई जिम्मेदार पदों पर रहने वाले अफसर रिटायर हो चुके हैं उनसे वसूली के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी होगी.

वहीं दूसरी तरफ दूसरे के नाम पर नौकरी कर रहे जालसाजों की जालसाजी तो पकड़ में आ गई, एफआईआर भी दर्ज हो गई. लेकिन इनका पकड़ा जाना और फिर इनसे तनख्वाह के तौर पर ली गई सरकारी रकम की वसूली करना भी आसान नहीं होगा. क्योंकि फर्जी दस्तावेज और फर्जी आधार कार्ड से नौकरी पाई तो जिन बैंक खातों में तनख्वाह जा रही वह भी ऐसे ही फर्जी दस्तावेजों से खुले होंगे. लिहाजा इनका चिन्हीकरण/गिरफ्तारी और फिर वसूली दोनों ही आसान नहीं होगा.

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