Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां एक छात्र नाम पिछले 11 वर्षों से लगातार एक ही कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है. उसने वर्ष 2014 में एससी कोटे के तहत मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया था. लेकिन हैरानी की बात ये है कि 2025 खत्म होने में अब सिर्फ कुछ ही दिन बचे हैं और छात्र की पढ़ाई अब तक पूरी नहीं हो सकी है. आखिर ऐसा क्या हुआ कि एमबीबीएस की पढ़ाई 11 सालों में भी पूरी नहीं हो पाई? पूरा मामला क्या है और इसके पीछे की वजह क्या है, चलिए आपको जानते हैं इस खबर में.
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क्या है पूरा मामला?
दरअसल, मामला गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज है. छात्र ने साल 2014 में सीपीएमटी टेस्ट के जरिए एससी कोटे से एडमिशन लिया था. लेकिन हैरानी की बात है कि इन 11 वर्षों के दौरान उसने केवल एक बार फर्स्ट ईयर के एग्जाम दिए और इसमें वो सभी सब्जेक्ट में फेल हो गया. ऐसे में तब से लेकर अब तक छात्र परीक्षा देने से बच रहा है. हालांकि, कॉलेज के शिक्षकों ने उसे विशेष रूप से पढ़ाने और मदद करने का प्रस्ताव भी दिया. लेकिन छात्र ने किसी भी प्रकार की सहायता लेने से साफ इनकार कर दिया. बताया जा रहा है कि अब छात्र न तो एग्जाम दे रहा है और न तो कॉलेज का हॉस्टल छोड़ रहा है. ऐसे में कॉलेज प्रशासन उससे परेशान है.
छात्र के लंबे समय तक जमे रहने के कारण हॉस्टल वार्डन ने कई बार कॉलेज प्रशासन को लिखित शिकायत दे चुका है. इसमें छात्र के कारण अन्य छात्रों को हो दिक्कतों के बारे में बताया गया है. लेकिन. लेकिन इसके बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई.
कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. रामकुमार ने क्या कहा?
मामले में बोलते हुए बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. रामकुमार ने कहा कि भी कुछ दिन पहले ही मुझे इस मामले की जानकारी मिली है. उन्होंने बताया कि छात्र की कई बार काउंसलिंग की गई और उसे परीक्षा देने के लिए मोटिवेट किया गया है, लेकिन वह पढ़ाई से दूर भागता है. अब इस प्रकरण को कॉलेज की अकादमिक टीम के सामने रखा जाएगा और मामले की रिपोर्ट राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) को भेजी जाएगी, जिससे आगे की दिशा निर्देश तय हो सके कि उस छात्र के भविष्य को लेकर क्या करना है.
फार्स्ट ईयर पास करने के लिए चार मौके
गौरतलब है कि वर्तमान राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के स्नातक चिकित्सा शिक्षा नियम (जीएमईआर) 2023 के मुताबिक, एमबीबीएस में फार्स्ट ईयर को पास करने के लिए अधिकतम चार मौके मिलते हैं. फेल होने वाले स्टूडेंट को चार साल के अंदर इसे पास करना होता है और पूरे कोर्स को नौ साल में खत्म करना होता है. इसमें इंटर्नशिप शामिल नहीं है.
नियमाें से ऐसे बच रहा है छात्र
नियमों के मुताबिक 75 फीसदी थ्योरी और 80 फीसदी प्रैक्टिकल के दौरान क्लास में अटेंडेंस जरूरी है. इस मामले में छात्र ने इन नियमों का घोर उल्लंघन किया है. एनएमसी के एफएक्यू में स्पष्ट है कि चार प्रयासों में सप्लीमेंट्री परीक्षा भी गिनी जाती है. हालांकि, छात्र का मामला थोड़ा अलग है क्योंकि उसका दाखिला 2014 में हुआ था और तब एमसीआई (MCI) के नियम प्रभावी थे.
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