आजकल अधिकांश लोग बाजार से भुने चने खरीदकर खाते हैं. कई बार इस चने का छिलका भी पीलापन लिए होता है. भुने चले जरूरत से ज्यादा पीले दिखते हैं. यदि ऐसा कुछ दिखे तो चौकन्ना हो जाइए. गोरखपुर में भुने चने की ऐसी खेप पकड़ी गई है जिसे पीले रंग से रंगा गया है. रंग भी वो इस्तेमाल हुआ जिससे कपड़े रंगने और कागज को कलर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. ये रंग इतना खतरनाक है कि शरीर में जाने पर लीवर, किडनी समेत कई अंगों पर असर करता है.
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मुनाफाखोरों ने लोगों के जीवन की परवाह किए बिना भुने चने को भी रंगना शुरू कर दिया. इसका खुलासा गोरखपुर के एक गोदाम से हुआ. गोदाम में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से भूने चने की दो गाड़ियां आई थीं. 750 बोरे भूने चने का सैंपल जब खाद्य विभाग ने चेक किया तो उनके होश फाख्ता हो गए. इन चनों से पीला रंग निकल रहा था.
क्या है पूरा मामला?
गोरखपुर खाद्य विभाग ने कलर्ड भूने चने की 750 बोरी जब्त किया है. खाद्य विभाग को 15 दिसंबर को सूचना मिली कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से भूने चने की दो गाड़ी राजघाट थाना क्षेत्र के लाल डिग्गी में आई हुई है. सूचना के बाद टीम ने छापा मारकर 750 बोरा भूना चना बरामद किया. जब इसके नमूने की जांच कराई गई तो उसमें सिंथेटिक एलोडाई मिला हुआ था. यह सिंथेटिक एलोडाई खाने के लिए इस्तेमाल नहीं होता है. इसका उपयोग कपड़े रंगने और कागज को पीला रंग देने में होता है जो काफी खतरनाक होता है.
30 हजार किलो भूने चने जब्त
सिंथेटिक डाई से कलर की हुई 750 बोरियां खाद्य विभाग ने जब्त की है. एक बोरी का वजन 40 किलो है. यानी कुल 30 हजार किलो भूना चला जब्त हुआ है जो बाजारों में खपने के लिए जाने वाला था. खाद्या विभाग ने बताया कि लैब में इसकी पुष्टि की गई है कि इसे सिंथेटिक डाई से कलर किया गया है. ये इंडस्ट्रियल यूज़ के लिए होता है.
कहां होनी थी इसकी सप्लाई?
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चने का खूब उत्पादन होता है. वहां से फैक्ट्रियों में भूने चने तैयार करके भेजा जाता है. इस चने को गोरखपुर मंडल से देवरिया, बस्ती, आजमगढ़, मऊ समेत 10 से 12 जिलों में सप्लाई होती है.
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