Kavad Yatra 2025: दिव्यांग पति को पीठ पर बैठाकर पत्नी ने करवाई 150 KM की कांवड़ यात्रा, कहानी जानकर हो जाएंगे भावुक!

Kavad Yatra 2025: कांवड़ यात्रा के दौरान दिल को भावुक कर देने वाली एक तस्वीर सामने आई है. इस यात्रा में एक पत्नी अपने दिव्यांग पति को पीठ पर बैठाकर यात्रा करवा रही है. उनकी ये यात्रा लगभग 150 किलोमीटर की बाताई जा रही है. इस दौरान उनके साथ उनके बच्चे भी चल रहे हैं.

Kavad Yatra 2025
दिव्यांग पति को पीठ पर बैठाकर ले जाती पत्नी. (तस्वीर: इंडिया टुडे)

न्यूज तक

19 Jul 2025 (अपडेटेड: 19 Jul 2025, 12:44 PM)

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Kavad Yatra 2025: एक तरफ जहां आए दिन पत्नी के प्रेमी संग फरार होने या पति की हत्या जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं. वहीं इस बीच एक पत्नी के निस्वार्थ प्रेम और समर्पण की तस्वीर सबका दिल छू रही है. दरअसल, एक पत्नी अपने दिव्यांग पति को पीठ पर उठाकर हरिद्वार से पैदल गंगाजल लेकर आ रही है. उनकी ये यात्रा लगभग 150 किलोमीटर की बताई जा रही है. महिला की कामना है कि जल्दी से उसका पति अपने पैरों पर चलने लगे.

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जानकारी के अनुसार, ये पति-पत्नी गाजियाबाद के माेदीनगर के रहने वाले हैं. महिला का नाम आशा है, वहीं उनके पति का नाम सचिन है. इस यात्रा में महिला के दो बच्चे भी उनके साथ चल रहे हैं. आशा बताती हैं कि सचिन पहले 13 बार खुद कांवड़ ला चुके हैं. लेकिन पिछले साल स्पाइन की सर्जरी के बाद चल नहीं पा रहे. इसलिए उन्होंने पति को हरिद्वार ले जाकर नहलाया और फिर उन्हें पीठ पर बैठाकर गंगाजल ला रही हैं. इस यात्रा में उनके दो बेटे भी उनके साथपैदल चल रहे हैं.

कांवड़ियों का मिला रहा है साथ

आशा कहती हैं इस यात्रा में रास्ते में मिलने वाले शिवभक्त उनका मनोबल बढ़ाते रहते हैं. साथ ही वे उनके इस समर्पण की सराहना भी करते हैं. आशा बताती हैं कि वो रुक-रुककर चलती हैं. लेकिन इस दौरान हर कदम पर उनका हौसला बढ़ता रहता है. उनका मानन है कि भगवान भोलेनाथ उनकी पुकार जरूर सुनेंगे और एक दिन उनके पति खुद के पैरों पर चलकर कांवड़ लाएंगे.

आर्थिक तंगी के बाद भी नहीं टूटा हौसला

बताया जा रहा है कि सचिन घर के इकलौते कमाने वाले थे. वे रंगाई-पुताई का काम  किया करते थे. लेकिन जब से बीमार हुए हैं तब से उनके पास आया का कोई जरिया नहीं है. उनका कहना है कि आयुष्मान भारत योजना के तहत उनकी सर्जरी तो हो गई, लेकिन अब रोजगार नहीं है. वहीं, उनकी पत्नी आशा सरकार से मदद की लगाए हैं  कि उनके पति को कोई काम मिले, जिससे की उनका घर चल सके.

एक साल पहले हुआ ऑपरेशन

सचिन का ऑपरेशन 1 अगस्त को हुआ था. उसी दिन इस यात्रा को एक साल पूरा हो जाएगा. आशा को उम्मीद है जा उन्होंने ये संकल्प लिया है, वो उनके पति की हालत में सुधार जरुर लाएगा. उनका कहना है कि इस कठिन यात्रा में बच्चों ने भी उनका पूरा साथ दिया है और इस दौरान कभी कोई शिकायत नहीं की.

कैसे तय हुआ हरिद्वार जाना

इसे लेकर सचिन कहते हैं कि एक शाम जब वह खाना खाकर बैठे थे. इसी बीच पत्नी ने अचानक कहा कि चलो हरिद्वार चलते हैं. उन्होंने मना किया, लेकिन पत्नी ने जिद पकड़ ली और कहने लगी कि उन्हें नहलाकर वे हर की पैड़ी से गंगाजल लेकर आएंगी. इस दौरान आशा ने कहा कि वो सचिन को खुद अपनी अपनी पीठ पर बैठा कर हरिद्वार लेकर जाएंगी.

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