इटावा के दंदरपुर गांव में भागवत कथा कहने आए मणि मुकुट यादव और उनके सहयोगी संत कुमार यादव की चोटी काटने के मामले पर शंकराचार्य का रिएक्शन आया है. ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने मामले पर अपना रिएक्शन दिया है.
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यूपी तक के सवालों का जवाब देते हुए अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि कुछ लोग जाति की आड़ में अपने कुकृत्यों को छुपाने की कोशिश करते हैं. आप यादव हैं, जाटव हैं...तो इसमें खराबी क्या है? आप क्यों अपनी जाति छुपा रहे हैं? क्यों ब्राह्मणों के बीच में ब्राह्मण बनकर जा रहे हैं?
ये तो दुस्साहस है- अविमुक्तेश्वरानंद
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य ने आगे कहा- 'ये तो दुस्साहस है. पोल खुलनी थी...खुल गई. हालांकि ये एक पक्ष है.' अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि उनके साथ मारपीट नहीं करनी चाहिए थी. यदि कोई व्यक्ति ठग रहा है, वो जो नहीं है वो बता रहा है तो उसके लिए कानून है.
वे हिंदू ही तो हैं...चोटी क्यों काटी?
शंकराचार्य ने आगे कहा- मारपीट नहीं करनी चाहिए. चोटी काटने की क्या जरूरत. हिंदू ही तो थे. चोटी क्यों काटी?
भागवत कथा कौन कर सकता है?
भागवत कथा कौन कर सकता है या किसे करना चाहिए के सवाल पर अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि यदि कोई भी अपने घर में अपनों को, अपनी जाति के लोगों को भागवत कथा सुना सकता है. यदि सभी जाति के लोगों को कथा सुनानी हो तो वो अधिकार केवल ब्राह्मणों को है. उससे किसी भी जाति के लोगों को आपत्ति नहीं होगी. सभी जातियों के लोग बैठकर कथा सुन सकेंगे.
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