CM धामी का बड़ा एक्शन, हरिद्वार जमीन घोटाले में DM, SDM समेत कई अधिकारी सस्पेंड

Haridwar land scam: हरिद्वार जमीन घोटाले में धामी सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है. इस मामले में कार्रवाई करते हुए DM-SDM समेत दर्जन भर अफसरों को सस्पेंड किया है. क्या है पूरा मामला जानिए इस खबर में.

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उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी. (फाइल फोटो)

न्यूज तक

03 Jun 2025 (अपडेटेड: 03 Jun 2025, 09:34 PM)

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Haridwar land scam: उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में भूमि घोटाले के एक मामले में सरकार ने बड़ा एक्शन लिया गया है. यहां के चर्चित नगर निगम के भूमि घोटाले में हरिद्वार के जिलाधिकारी, एसडीएम और नगर निगम आयुक्त को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है. ये पहली बार है जब एक साथ इतने वरिष्ठ अधिकारी सस्पेंड किए गए हैं. 

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बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की 'जीरो टॉलरेंस' नीति के तहत की गई इस कार्रवाई में दो IAS और एक PCS अधिकारी समेत कुल 12 अधिकारी नप गए. यह घोटाला करोड़ की सरकारी भूमि खरीदने से जुड़ा है. सरकार की इस कार्रवाई के बाद अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है.

क्या था मामला?

आपको बता दें कि ये मामला हरिद्वार नगर निगम द्यारा ग्राम सराय इलाके का है. यह एक कूड़े के ढेर के पास स्थित अनुपयुक्त 2.3070 हैक्टेयर 14 करोड़ की भूमि को 54 करोड़ में खरीदे जाने का आरोप है. शिकायत मिलने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर इस मामले की जांच कराई गई. जांच की जिम्मेदारी उत्तराखंड शासन के सचिव रणवीर चौहान को सौंपी गई थी. चौहान ने खुद हरिद्वार जाकर जांच की और 100 पन्नों की रिपोर्ट शासन को सौंपी. इसी के आधार पर सरकार ने ये कार्रवाई की.

रिपोर्ट में क्या खुलासा हुआ?

जांच रिपोर्ट के मुताबिक, खरीदी गई जमीन की प्रक्रिया शुरुआत में कृषि भूमि के मूल्य पर शुरू की गई. लेकिन बाद में उसे वाणिज्यिक दरों (commercial rates) पर खरीदा गया. हैरानी की बात ये है कि इस दौरान लैंड कमिटी तक नहीं बनाई गई. रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि एसडीएम ने सिर्फ 2 से 3 दिनों में ही धारा 143 की पूरी प्रक्रिया निपटा दी और फाइल को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए अपने स्टेनो से राजस्व अभिमत (Revenue Opinion) दिलवा दिया.

बताया गया है कि यह भूमि कचरे के ढेर के पास स्थित थी और इसकी तत्काल कोई आवश्यकता भी नहीं थी. रिपोर्ट में साफ तौर पर सामने आया कि इस डील में भूमि चयन, कीमत तय करने, प्रक्रिया पालन और भूमि उपयोग बदलने जैसे हर स्तर पर गंभीर गड़बड़ियां हुईं.

इन अधिकारियों पर गिरी गज 

इस मामले में इन तीनों अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से उनके पद से हटा दिया गया है और इनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई हैं. 

  • कर्मेंद्र सिंह (DM, हरिद्वार) - भूमि क्रय की अनुमति और प्रशासनिक स्वीकृति में संदेहास्पद भूमिका.
     
  • वरुण चौधरी (नगर आयुक्त, हरिद्वार) - बिना प्रक्रिया के प्रस्ताव पारित किया और वित्तीय अनियमितताओं में भूमिका निभाई.
     
  • अजयवीर सिंह (PCS, SDM) - निरीक्षण और सत्यापन में लापरवाही, जिससे गलत रिपोर्ट शासन तक पहुंची.

अन्य अधिकारी भी किया गए सस्पेंड

  • कमलदास – मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, तहसील
     
  • निकिता बिष्ट – वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम
     
  • विक्की – वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक
     
  • राजेश कुमार– कानूनगो, रजिस्ट्रार


वहीं जांच के शुरू होने के बाद ही इन अधिकारियों पर भी कार्रवाई की गई थी और इन्हें निलंबित किया गया था:

  • रविंद्र कुमार दयाल – प्रभारी सहायक नगर आयुक्त
     
  • आनंद सिंह मिश्रवाण – प्रभारी अधिशासी अभियंता
     
  • लक्ष्मीकांत भट्ट – कर एवं राजस्व अधीक्षक
     
  • दिनेश चंद्र कांडपाल – अवर अभियंता

नियमों की अवहेलना पर कार्रवाई - CM धामी 

वहीं इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, "हमारी सरकार ने पहले ही दिन से स्पष्ट किया है कि लोकसेवा में “पद’ नहीं बल्कि ‘कर्तव्य’ और ‘जवाबदेही’ महत्वपूर्ण हैं. चाहे व्यक्ति कितना भी वरिष्ठ हो, अगर वह जनहित और नियमों की अवहेलना करेगा, तो कार्रवाई निश्चित है. हम उत्तराखंड में भ्रष्टाचार मुक्त नई कार्य संस्कृति विकसित करना चाहते हैं. सभी लोक सेवकों को इसके मानकों पर खरा उतरना होगा."

भू-स्वामियों को दी गई राशि की वसूली के निर्देश

मुख्यमंत्री ने इस भूमि घोटाले से जुड़े विक्रय पत्र (Sale Deed) को रद्द करने का आदेश दिया है, साथ ही भू-स्वामियों को दी गई राशि की वसूली के निर्देश भी दिए हैं. इस मामले में तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी की संदिग्ध भूमिका को देखते हुए, सीएम ने उनके कार्यकाल में नगर निगम हरिद्वार द्वारा कराए गए सभी कार्यों का विशेष ऑडिट कराने का आदेश दिया है.

आगे की जांच करेगा विजिलेंस विभाग

इसके साथ ही, रिटायर्ड हो चुके लिपिक वेदपाल का सेवा विस्तार भी खत्म  कर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी गई है. बताया जा रहा है कि अब इस घोटाले की आगे की जांच विजिलेंस विभाग करेगा. मुख्यमंत्री ऑफिस से मिली जानकारी के अनुसार वरुण चौधरी के द्वारा जितनी भी वितीय स्वीकृति की गई है, उसकी जांच भी विजिलेंस विभाग करेगा.

इनपुट: अंकित शर्मा / मुदित अग्रवाल

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