Kainchi Dham Mela 2025: उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित बाबा नीब करौरी महाराज का पवित्र आश्रम कैंची धाम एक बार फिर भक्ति और आस्था के रंग में रंगने को तैयार है. यहां हर वर्ष की तरह इस साल भी कैंची धाम स्थापना दिवस बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा. इसमें देश ही नहीं विदेश से भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है.
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आपको बता दें कि कैंची धाम में हर साल 15 जून को बाबा नीब करौरी महाराज की मूर्ति स्थापना और मंदिर स्थापना की स्मृति में विशेष आयोजन होता है. इस दिन यहां हजारों भक्त बाबा के दर्शन के लिए आते हैं.
देश-विदेश की हस्तियों ने किए हैं दर्शन
कैंची धाम की लोकप्रियता सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है. फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग, एप्पल के पूर्व CEO स्टीव जॉब्स और क्रिकेटर विराट कोहली जैसे बड़े नाम भी यहां बाबा के दर्शन के लिए आ चुके हैं.
हनुमानजी का अवतार माने जाते हैं बाबा
नीब करौरी बाबा को उनके भक्त हनुमानजी का अवतार मानते हैं. कहा जाता है कि बाबा के दरबार से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता. यही वजह है कि हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं.
कैसे पहुंचें कैंची धाम?
कैंची धाम, नैनीताल से करीब 17 किलोमीटर दूर स्थित है. यदि आप ट्रेन से आना चाहते हैं, तो काठगोदाम रेलवे स्टेशन सबसे नजदीकी स्टेशन है, जो आश्रम से लगभग 38 किलोमीटर दूर है. यहां से टैक्सी या बस के जरिए आश्रम आसानी से पहुंचा जा सकता है.
दिल्ली से कैंची धाम की यात्रा कैसे करें?
दिल्ली से श्रद्धालु कश्मीरी गेट बस अड्डे से नैनीताल के लिए बस पकड़ सकते हैं. नैनीताल से कैंची धाम की दूरी करीब 19 किलोमीटर है. यहां से आप शेयरिंग टैक्सी या कैब से आश्रम तक पहुंच सकते हैं. इसके अलावा आप दिल्ली से ट्रेन या एयरप्लेन के जरिए भी यहां पहुंच सकते हैं. बता दें कि यहां नजदीकी हल्द्वानी है और एयरपोर्ट पंतनगर स्थित है.
कितना आएगा खर्च?
अगर आप कम बजट में यात्रा करना चाहते हैं तो बस और लोकल ट्रांसपोर्ट से कैंची धाम की यात्रा केवल कुछ हाज़र रुपये में पूरी की जा सकती है. बस किराया 350 से 800 रुपये के बीच है. वहीं, टैक्सी खर्च 150 से 300 रुपये और आश्रम में ठहरने के लिए 1000 से 5000 रुपये में रूम मिल जाता है.
बाबा नीब करौरी की जीवनी
बाबा नीब करौरी का जन्म उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में लक्ष्मीनारायण शर्मा के रूप में हुआ था. 1973 में उन्होंने वृंदावन में शरीर त्याग दिया. आज भी उनके भक्त उन्हें हनुमान जी का साक्षात रूप मानते हैं.
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