उत्तराखंड के दो रिटायर्ड अफसर बने ग्राम प्रधान, एक ने खेती से बदली गांव की किस्मत तो दूसरी संभालेंगी बॉर्डर गांव की कमान

Uttarakhand Gram Pradhan Chunav: उत्तराखंड के पहाड़ों में पलायन की कहानियां आम हैं. लेकिन इन दिनों दो रिटायर्ड अधिकारियों ने इसके उलट गांवों बसने की कहानी खूब वायरल हो रही है. इनमें पहला नाम कर्नल यशपाल नेगी और दूसरा नाम आईजी विमला गुंज्याल का है. खास बाद ये है कि दाेनों को ही अपने अपने गांव में निर्विरोध ग्राम प्रधान चुन लिया है.

Colonel Yashpal Negi and Retired IPS Vimla Gunjiyal
Colonel Yashpal Negi and Retired IPS Vimla Gunjiyal (तस्वीर: इंडिया टुडे)

न्यूज तक

• 04:41 PM • 07 Jul 2025

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Uttarakhand Gram Pradhan Chunav: उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में अक्सर लोग बेहतर रोजगार, शिक्षा और सुविधाओं की तलाश में अपने गांव छोड़कर शहरों की ओर जाते हैं. लेकिन इस बार एक ऐसी खबर सामने आई है जो न केवल दिल को छूती है, बल्कि लोकतंत्र में विश्वास को और मजबूत करती है. दो रिटायर्ड अधिकारी कर्नल यशपाल नेगी (Colonel Yashpal Negi) और आईजी विमला गुंज्याल (Retired IPS Vimla Gunjiyal) अपने पैतृक गांवों में न केवल लौटे हैं, बल्कि निर्विरोध ग्राम प्रधान भी चुने गए हैं. अब दोनों अधिकारियों की ये कहानी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. 

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कर्नल नेगी का गांव को पुनर्जनन

पौड़ी गढ़वाल के बीरोंखाल ब्लॉक के बिरगण गांव से ताल्लुक रखने वाले रिटायर्ड कर्नल यशपाल नेगी ने पलायन की कहानी को उलट दिया है. आर्मी ऑर्डनेंस कोर में देशभर में सेवा देने के बाद, उन्होंने अपने गांव लौटने का फैसला किया. 'आज तक' से बातचीत में नेगी ने कहा, “गांव का अपनापन और पलायन का मुद्दा हमेशा मुझे कचोटता था.” अपनी पत्नी के सहयोग से उन्होंने बंजर जमीन को जैविक खेती में बदला, पहले साल मिर्च की खेती से 70 से 80 हजार रुपये कमाए. उनकी मेहनत ने युवा किसानों के लिए एक मॉडल स्थापित किया है.

पहाड़ों को फिर से बसाने की अपील

निर्विरोध प्रधान चुने जाने पर नेगी कहते हैं, “गांव वालों ने मेरे काम को देखकर ही मुझे चुना होगा. फौज में सालों की नौकरी ने मुझे अनुभव दिया है.” वे बंजर जमीन और पानी की कमी को बड़ी समस्या मानते हैं और कहते हैं, “अगर गांव समृद्ध होगा, तो राज्य और देश भी समृद्ध होगा.” नेगी रिटायर्ड पेशेवरों, खासकर फौजियों, से पहाड़ लौटने की अपील करते हैं. वे कहते हैं, “वोकल फॉर लोकल कहना आसान है, लेकिन उसे लागू करना चुनौतीपूर्ण है.”

पूर्व IG संभालेंगी बॉर्डर गांव की जिम्मेदारी

उत्तराखंड पुलिस में तीन दशक तक सेवा देने के बाद, राष्ट्रपति पदक से सम्मानित विमला गुंज्याल ने सेवानिवृत्ति के बाद दिल्ली या देहरादून में बसने की जगह अपने पैतृक गांव गुंजी लौटने का फैसला किया. अब गांव वालों ने उन्हें भी निर्विरोध ग्राम प्रधान चुन लिया है. यह गांव चीन सीमा पर स्थित है और सामरिक दृष्टि से अहम है.

कहां है गुंजी गांव और क्यों है खास?

पिथौरागढ़ जिले की व्यास घाटी में स्थित गुंजी गांव कभी भारत-तिब्बत व्यापार मंडी हुआ करता था. यह गांव समुद्र तल से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर है और आदि कैलाश व ओम पर्वत यात्रा का प्रमुख पड़ाव है. 2024 में इसे भारत सरकार ने "बेस्ट वाइब्रेंट विलेज" का अवॉर्ड भी दिया है.

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