उत्तराखंड पुलिस के लिए 'मिशन संवाद' की शुरुआत, तनाव प्रबंधन के लिए ऐप और काउंसलिंग की अनूठी पहल
'मिशन संवाद' के जरिए उत्तराखंड पुलिस में पहली बार मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी गई है. सीएम पुष्कर सिंह धामी द्वारा लॉन्च किए गए इस कार्यक्रम और संवाद ऐप के माध्यम से अब पुलिसकर्मियों को तनाव और मानसिक दबाव से निपटने के लिए प्रोफेशनल काउंसलिंग और सुरक्षित संवाद की सुविधा मिलेगी.
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उत्तराखंड पुलिस बल के मानसिक सशक्तिकरण की दिशा में एक अनूठी शुरुआत हुई है. ‘मिशन संवाद’ नामक इस कार्यक्रम की पहल महिला आईपीएस और कुमायूं रेंज की आईजी रिद्धिम अग्रवाल द्वारा की गई है. इसका उद्देश्य पुलिसकर्मियों को मानसिक रूप से मजबूत करना और संवाद के माध्यम से तनाव को दूर करना है.
नैनीताल से हुई 'मिशन संवाद' की शुरुआत
इस अभिनव कार्यक्रम का शुभारंभ नैनीताल में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा किया गया. डीजीपी दीपम सेठ ने वर्चुअली कार्यक्रम में भाग लिया. इस योजना में 'School of Life' एनजीओ की विशेषज्ञ टीम को शामिल किया गया है, जो मानसिक स्वास्थ्य, काउंसलिंग और जीवनशैली सुधार के क्षेत्र में कार्यरत है.
तीन चरणों में लागू होगा कार्यक्रम
‘मिशन संवाद’ को तीन चरणों में लागू किया जाएगा. पहले चरण में नैनीताल और ऊधमसिंहनगर जिलों में वर्कशॉप आयोजित होंगी, जिसमें पुलिसकर्मी व्यक्तिगत रूप से और ऑनलाइन जुड़ सकेंगे. दूसरे चरण में तनावग्रस्त कार्मिकों की पहचान कर योग, ध्यान और परामर्श की सुविधा दी जाएगी. तीसरे चरण में गंभीर मामलों में परिजनों को साथ लेकर गहन काउंसलिंग की जाएगी.
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संवाद ऐप बनेगा तकनीकी सहारा
इस कार्यक्रम की तकनीकी रीढ़ है 'संवाद ऐप', जिसे विशेष रूप से पुलिसकर्मियों की मानसिक समस्याओं के समाधान के लिए तैयार किया गया है. यह ऐप पूरी तरह सुरक्षित और गोपनीय है. पुलिसकर्मी कभी भी इस ऐप के माध्यम से अपनी समस्या साझा कर सकते हैं, जिससे उन्हें सही समय पर सहायता मिल सकेगी.
संवाद से बढ़ेगा आत्मबल और कार्यक्षमता
'संवाद ऐप' न केवल तनाव कम करने में मदद करेगा, बल्कि उत्तराखंड पुलिस के आत्मबल, कार्यक्षमता और उत्तरदायित्व भावना को भी नई दिशा देगा. हर जिले में नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की गई है जो संवाद टीम से समन्वय स्थापित कर कार्यक्रम को सुचारु रूप से संचालित करेंगे.
‘तनाव से नहीं, संवाद से होगी जीत’ का संकल्प
‘मिशन संवाद’ केवल एक योजना नहीं, बल्कि उत्तराखंड पुलिस के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा. यह अभियान इस संदेश के साथ आगे बढ़ रहा है कि मानसिक तनाव को छुपाने के बजाय संवाद से हल किया जाना चाहिए. आने वाले समय में यह मॉडल पूरे देश के लिए उदाहरण बन सकता है.
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