बिहार NDA के दलित नेताओं में संग्राम, चिराग पासवान को जीतन राम मांझी ये क्या कह गए ?

ऋचा शर्मा

केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने इशारों- इशारों में ही केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान पर निशाना साधा है. हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी ने सोशल मीडिया के एक पोस्ट को आधार बनाते हुए चिराग पासवान पर चुटकी ली, कि बिहार के लिए कुछ ना कर पाने से बेहतर है मर जाना.

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Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर कुछ ही महीनों का वक्त बचा है लेकिन उससे पहले ही एनडीए में खटपट देखने को मिल रही है. केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने इशारों- इशारों में ही केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान पर निशाना साधा है. हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी ने सोशल मीडिया के एक पोस्ट को आधार बनाते हुए चिराग पासवान पर चुटकी ली, कि बिहार के लिए कुछ ना कर पाने से बेहतर है मर जाना. जीतन राम मांझी के इस पोस्ट से नई सियासी कयासबाजी शुरू हो गई है.

चिराग पासवान को किसने लिखी चिट्ठी?

दरअसल, सोशल मीडिया पर सत्या नाम के यूजर ने एक पोस्ट किया. इस यूजर ने पोस्ट कर जीतन राम मांझी और बिहार के उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा की तारीफ की है. साथ ही चिराग पासवान पर कटाक्ष कर गया. यूजन ने पोस्ट कर लिखा 'प्यारे चिराग पासवान,  नमस्कार, बहुत उम्मीद से ये पत्र आपको लिख रहा हूं. आशा करता हूं, आप स्वस्थ होंगे. आज कल सोशल मीडिया पर बिहार के विकास की बातें हो रही हैं. बहुत अच्छा लग रहा है कि जो पहले असंभव लग रहा था जीतन राम मांझी और नीतीश मिश्रा ने दिखाया है कि कैसे सोशल मीडिया के माध्यम से जनता से सकारात्मक संवाद संभव है.

हम जैसे कुछ पेज की हार्दिक इच्छा थी कि आप भी सोशल मीडिया के माध्यम से बता पाते कि फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में आपने क्या क्या करने की कोशिश की और किस किस कोशिश में आप को सफलता मिली. हमें आपके फेल्योर अटेंप्ट पर भी उतना ही गर्व होगा कि आपने कोशिश की. हो सके तो एक पोस्ट इस विषय पर जरूर करिएगा.

'बिहार के लिए कुछ ना कर पाने से बेहतर से मर जाना'

यूजर ने इसी पोस्ट पर जीतन राम मांझी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. इस पोस्ट को रिपोस्ट करते हुए मांझी ने लिखा है 'पद पर रहकर अगर बिहार और बिहारियत के लिए कुछ ना कर पाऊं तो उससे बेहतर मर जाना है. खैर आप जैसे युवा ही हमारी ताकत है जो कुर्सी पर बैठे जनप्रतिनिधियों से सवाल खड़ा करके लोकतंत्र को मजबूती प्रदान कर रहें हैं. बहुत-बहुत-बहुत आभार.'

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क्यों बेचैन हैं मांझी?

अब सवाल ये है कि जीतन राम मांझी ने इशारों में ही सही चिराग पासवान को क्यों घेरा ? जीतनराम मांझी के इस बेचैनी के पीछे एक वजह चिराग पासवान का गठबंधन में बढ़ता प्रभाव. दरअसल चिराग पासवान और जीतनराम मांझी, दोनों ही बिहार में दलित पॉलिटिक्स का चेहरा हैं. बिहार में जातीय समीकरण पर ही नेता तय किए जाते हैं. ये भी एक सत्य है. मांझी मुसहर जाति से आते हैं जो महादलित कैटेगरी में आती है और चिराग पासवान की जाति दलित वर्ग में आती है. 

जातीय समीकरण पर टिका है सब खेल 

  • बिहार में कुल 19 फीसदी दलित आबादी है.
  • इन दोनों ही नेताओं की सियासत का आधार दलित वोटबैंक है.
  • बिहार की आबादी में पासवान जाति की भागीदारी 5.311 फीसदी है.
  • मुसहर जाति की भागीदारी करीब तीन फीसदी है. 

चिराग पासवान हो या जीतन राम मांझी, इन दोनों नेताओं की राजनीति का आधार 19 फीसदी वाली दलित आबादी ही हैं..अब ऐसे में गठबंधन में बढ़ता प्रभाव भी अंदरखाने मांझी की चिंता की एक वजह हो सकती है.

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