Haryana: हुड्डा की मरोड़ पर हाईकमान दिखा लाचार, नेता विपक्ष पर फिर अटका फैसला!

Haryana: हरियाणा में 8 अक्तूबर 2024 को विधानसभा चुनाव परिणाम जारी हुए थे और 17 अक्टूबर को हरियाणा सरकार का गठन हुआ था. इतने महीने बीत जाने के बाद भी कांग्रेस विधायक दल का नेता नहीं चुन पाई है. 20 साल में ऐसा पहली बार हो रहा कि हरियाणा को नेता प्रतिपक्ष के लिए इतना लंबा इंतजार करना पड़ रहा है.

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Haryana: हरियाणा में 8 अक्तूबर 2024 को विधानसभा चुनाव परिणाम जारी हुए थे और 17 अक्टूबर को हरियाणा सरकार का गठन हुआ था. इतने महीने बीत जाने के बाद भी कांग्रेस विधायक दल का नेता नहीं चुन पाई है. 20 साल में ऐसा पहली बार हो रहा कि हरियाणा को नेता प्रतिपक्ष के लिए इतना लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. जिन नेताओं को लेकर पहले से चर्चा चल रही है, उनमें से अभी तक कोई नाम सिरे नहीं चढ़ा है.

नेता प्रतिपक्ष चुनने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने 18 अक्तूबर 2024 को चार पर्यवेक्षक भेजे थे, लेकिन विधायक दल की बैठक में हाईकमान पर फैसला छोड़ दिया गया तो इसी बीच बुधवार को दिल्ली में ऑल इंडिया कांग्रेस की बैठक हुई. माना जा रहा था कि इस बैठक में नेता विपक्ष का फैसला हो जाएगा लेकिन बुधवार को सस्पेंस बना रहा. कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से नेता विपक्ष को लेकर कोई संकेत नहीं दिए, इसके बाद गुरुवार को चंडीगढ़ में हरियाणा कांग्रेस कार्यालय में विधायक दल की बैठक बुलाई गई लेकिन इस बैठक में भी नए प्रदेश अध्यक्ष और नेता विपक्ष का कोई फैसला नहीं हुआ.एक बार फिर से हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में कांग्रेस बिना विधायक दल के नेता के उतर रही है.

कशमकश वाली परिस्थिति में कांग्रेस

सूबे के कांग्रेसी नेताओं के अलावा कांग्रेस हाईकमान नेता विपक्ष के फैसले पर मीटिंग कर चुकी है लेकिन सवाल बना हुआ है कि आखिर भूपिंदर सिंह हुड्डा के नेता विपक्ष बनने की ठसक की काट कांग्रेस हाईकमान के पास नहीं है? लग रहा है कि कांग्रेस हाईकमान के लिए हुड्डा का हाथ छोड़ना और पकड़े रहना दोनों ही कशमकश वाली परिस्थिति हैं, ना तो कांग्रेस हाईकमान हुड्डा का हाथ छोड़ सकती है और हुड्डा का हाथ पकड़े रहने से भी कोई बड़ा बदलाव नहीं देखा जा सकता है.

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32 विधायकों ने हुड्डा के नाम पर सहमति जताई थी

सूबे के मुखिया बनने के बाद हुड्डा की अगुवाई में जितने विधानसभा चुनाव हुए उनमें कांग्रेस सत्ता की कुर्सी तक नहीं पहुंच पाई. नेता प्रतिपक्ष चुनने के लिए कांग्रेस हाईकमान की पहली बैठक में 37 में से 32 विधायकों ने हुड्डा के नाम पर सहमति जताई थी तो ये माना जा रहा है कि हाईकमान को लगता है कि हुड्डा के बिना पार्टी को हरियाणा में नुकसान होगा और साथ ही शैलजा-सुरजेवाला खेमे के नेता भी नाराज होंगे. गुटबाजी का खामियाजा कांग्रेस विधानसभा चुनाव में भुगत चुकी है लेकिन अब लग रहा है कि हरियाणा में गुटबाजी ''न्यूए चाल्लैगी''. हालांकि चौधरी बीरेंद्र सिंह, कैप्टन अजय यादव, कुमारी सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला, सुरेश गुप्ता और रामकिशन गुर्जर के समर्थक नेता नहीं चाहते कि हुड्डा को विधायक दल का नेता बनाया जाए लेकिन अधिकतर हुड्डा समर्थक विधायकों की राय है कि कांग्रेस को हुड्डा को इग्नोर करना घाटे का फैसला साबिता हो सकता है.

गेंद अब राहुल गांधी के पाले में

तो वहीं बुधवार को नई दिल्ली में हरियाणा कांग्रेस के नेताओं की बैठक के बाद कांग्रेस प्रभारी बीके हरिप्रसाद ने कहा कि- हरियाणा कांग्रेस के नेताओं के मन की बात सुनी-जानी और रिपोर्ट पार्टी के अध्यक्ष और राहुल गांधी को सौंप दी है. अब आगे का फैसला उन्हें फैसला करना है.उन्होंने ये भी बताया कि कुछ नेता ग्रुप में भी मिले तो सैलजा और सुरजेवाला बिना मिले चले गये, जिन्होंने बाद में प्रभारी से फोन पर बात कर अपनी राय दी.

ओबीसी नेता को बनाया जा सकता है नेता प्रतिपक्ष

चर्चा है कि कांग्रेस विपक्ष के नेता और प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव अबकी बार जाट और SC गठजोड़ से बाहर निकलकर कर सकती है. बीजेपी की जाट-गैर जाट राजनीति की काट के लिए कांग्रेस ये दोनों पद ओबीसी नेता के नाम कर सकती है. अब देखना होगा कि नेता विपक्ष और नए अध्यक्ष का फैसला कब होता है. देखना ये भी होगा कि हुड्डा की चाल्लैगी अक कांग्रेस हाईकमान की क्योंकि हाईकमान बदलाव चाहता है और हुड्डा साब कांग्रेस के भीतर उनकी चौधर.
 

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