क्या होती है आदर्श आचार संहिता और इसके लगने के बाद कैसे चलती है राज्य की मशीनरी, विस्तार से जानिए
MP Election 2023: भारतीय चुनाव आयोग ने मध्यप्रदेश समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है. इस घोषणा के साथ ही सभी राज्यों में आचार संहिता लागू हो चुकी है. हम आपको बताएंगे कि आदर्श आचार संहिता के दौरान आप या राजनीतिक दल क्या-क्या काम कर पाएंगे और क्या नहीं? […]
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MP Election 2023: भारतीय चुनाव आयोग ने मध्यप्रदेश समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है. इस घोषणा के साथ ही सभी राज्यों में आचार संहिता लागू हो चुकी है. हम आपको बताएंगे कि आदर्श आचार संहिता के दौरान आप या राजनीतिक दल क्या-क्या काम कर पाएंगे और क्या नहीं? आइए इस बारे में इम आपको विस्तार से जानकारी दे रहे हैं.
चुनाव की घोषणा के बाद आचार संहिता लागू हो चुकी है. इसके तहत कई नियम हैं, जिनका पालन पूरी चुनावी प्रक्रिया के दौरान जरूरी होता है. साथ ही नियम तोड़ने वालों को लिए सजा का भी प्रावधान है. इस बार चुनाव आयोग आचार संहिता के पालन के लिए एक ऐप भी जारी किया गया है. जिसके जरिए आप अपनी शिकायत भी दर्ज करा सकते हैं. बता दें आप चाहें तो इस ऐप के जरिए अपनी जानकारी गुप्त कर सकते हैं, या चाहें तो रिवील भी कर सकते हैं.
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क्या होती है आचार संहिता?
जैसे ही चुनाव आयोग विधानसभा या लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा करता है, वैसे ही मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट यानी आदर्श आचार संहिता लग जाती है. मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट है क्या? इसकी जरूरत क्यों पड़ती है? और इसके नियम क्या कहते हैं. देश में लोकतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग ने कुछ नियम तैयार किए हैं. इन नियमों को ही आचार संहिता कहते हैं. इन नियमों को मानना चुनाव में भाग ले रहे सभी राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के लिए अनिवार्य है. अगर कोई प्रत्याशी या राजनीतिक दल आचार संहिता का उल्लंघन करता है तो चुनाव आयोग नियमानुसार कार्रवाई करता है. जैसे उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है और जरूरी होने पर आपराधिक मुकदमा भी दर्ज करवाया जा सकता है.
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किन-किन कामों पर रहेगा प्रतिबंध
कोई भी नेता या जनप्रतिनिधि सरकारी खर्चे पर किसी नेता के आवास पर इफ्तार पार्टी या अन्य पार्टियों का आयोजन नहीं कराया जा सकता है. हालांकि वो अपने खर्च पर कार्यक्रम को आयोजित करा सकते हैं. आचार संहिता के दौरान सार्वजनिक उद्घाटन, शिलान्यास बंद जैसे कार्यक्रम पूर्ण रूप से बंद रहेगें. सरकार इस दौरान किसी भी नए कामों की स्वीकृति भी नहीं दे सकती है. सरकार की उपलब्धियों वाले लगे हुए होर्डिंग्स-पोस्टर भी इस दौरान हटाए जाएंगे. पूरी चुनावी प्रक्रिया के दौरान कोई सरकारी भर्ती नहीं की जाएगी.
आचार संहिता के दौरान सरकार जो विज्ञापन पेपर और प्रिंट मीडिया के जरिए रिलीज करती थी, उन पर भी पूर्ण रूप से रोक रहेगी. अगर ऐसा किया जाता है तो कार्रवाई भी की जा सकती है. इसके अलावा भी कई ऐसे कार्यक्रम हैं जिनपर चुनाव आयोग की नजर रहेगी, जो सीधे तौर पर जनता या वोटर को प्रलोभन देने का काम करते हों.
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