कांग्रेस को जहां कोई नहीं हरा पाता वहां लड़ेंगे ओवैसी! किशनगंज के बहाने होगी ये सियासत

रूपक प्रियदर्शी

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Asaduddin Owaisi: लोकसभा चुनाव में अकेले चुनाव लड़ने जा रही है असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन(AIMIM ). AIMIM ने तीन ऐसी सीटें कन्फर्म कर दी हैं जहां से चुनाव लड़ेगी. दिलचस्प बात ये है कि इन तीनों सीटों पर मुसलमान वोटों की भरमार है. हैदराबाद तो वो सीट है, जहां से असदुद्दीन ओवैसी पिछले चार चुनाव से अजेय रहे हैं. 2019 के चुनाव में एक चौंकाने वाला रिजल्ट महाराष्ट्र की औरंगाबाद लोकसभा सीट पर आया था जहां AIMIM हैदराबाद से बाहर पहली बार किसी सीट पर जीती थी. ऐसे ही बिहार की किशनंज तीसरी ऐसी सीट है जहां मुसलमान वोटर फैसला करते हैं कि, उनकी नुमाइंदगी कौन करेगा.

क्या रहा है किशनगंज का चुनावी इतिहास?

किशनगंज लोकसभा सीट एक ऐसी सीट है, जहां हिंदू अल्पसंख्यक हैं और मुसलमान बहुसंख्यक. मुसलमानों की आबादी करीब 68 फीसदी और हिंदुओं की आबादी करीब 32 फीसदी मानी जाती है. साल 1967 के चुनाव छोड़ दे तो किशनगंज में अबतक मुसलमानों के जीतने का रिकॉर्ड चला आ रहा है. पार्टी या उम्मीदवार बार-बार जीत नहीं पता लेकिन जीत हर बार उसी की होती है जो मुसलमान होता है. 2019 के चुनाव में बिहार से कांग्रेस ने जो इकलौती सीट जीती थी वो किशनगंज ही थी. जीतने वाले थे मुसलमान उम्मीदवार मोहम्मद जावेद. आपको बता दें कि, 2020 में किशनगंज में आने वाली 6 विधानसभा सीटों पर भी मुसलमान उम्मीदवार ही चुने गए थे.

मुसलमानों की इतनी आबादी के कारण ही ओवैसी को लग रहा है कि 2019 में जो कसर रह गया उसे 2024 में पूरा कर लिया जाएगा. ओवैसी की पार्टी AIMIM हैदराबाद तक सीमित पार्टी मानी जाती है. AIMIM ने पूरे आंध्र प्रदेश, तेलंगाना में भी विस्तार की कोशिश नहीं की लेकिन 10 से ज्यादा राज्यों में पैर पसारने के लिए चुनाव लड़ चुकी है. हालांकि थोड़ी बहुत शुरूआती कामयाबी महाराष्ट्र, बिहार में ही मिल सकी. इसी चुनावी स्ट्रैटजी के कारण ओवैसी को कांग्रेस जैसी पार्टियों से सुनना पड़ता है कि वो बीजेपी की बी टीम हैं.

कांग्रेस के भी रडार पर है मुस्लिम वोटबैंक

राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा निकाले हुए हैं. पश्चिम बंगाल के रास्ते यह यात्रा बिहार में दाखिल हुई तो पहला इलाका किशनगंज ही था. कांग्रेस ने साल 2009 से ही किशनगंज से लगातार तीन बार जीतकर हैट्रिक बनाई है. राहुल के किशनगंज जाने का मकसद यही है कि, किशनगंज में जीत का सिलसिला बनाए रखा जाए साथ ही किशनगंज से देशभर के मुसलमानों को ये मैसेज जाए की कांग्रेस पार्टी आज भी उनके साथ है. असल में मुसलमान एक ऐसा वोट बैंक है जिसके लिए कांग्रेस की टक्कर बीजेपी से टक्कर नहीं होती है.

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2019 के चुनाव में किशनगंज का ये था परिणाम

2019 के चुनाव AIMIM ने बीजेपी, कांग्रेस, जेडीयू, आरजेडी के रहते किशनगंज में तीसरी पोजिशन हासिल करके सनसनी मचाई थी. चुनाव कांग्रेस जीती. बीजेपी से अलायंस करके चुनाव लड़ी जेडीयू का उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहा लेकिन AIMIM के अख्तरुल इमान ने करीब 27 परसेंट वोट शेयर के साथ करीब 3 लाख वोट हासिल कर लिए.

बिहार विधानसभा चुनाव में AIMIM ने मारी थी बाजी

दूसरा धमाका हुआ 2020 के विधानसभा चुनाव में जब AIMIM ने बिहार में 20 विधानसभा सीटें लडकर 5 सीटें जीत ली थी. ये सारे विधायक किशनगंज इलाके से जीते थे. हालांकि 2022 में पांच में से चार विधायकों के आरजेडी में शामिल हो जाने से बिहार में AIMIM के विस्तार को करारा झटका लगा था.

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2019 और 2020 के चुनावी ट्रेंड को देखते हुए ही असदुद्दीन ओवैसी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी AIMIM के लिए किशनगंज की सीट को टॉप 3 में शामिल किया है.

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