ई-सिगरेट बैन करने वाली प्रीति सुदन बनीं UPSC चीफ अध्यक्ष, जानिए इनके बारे में
प्रीती सुदन 2022 से यूपीएससी मेंबर के पद पर कार्यरत हैं. मनोज सोनी के बाद उन्हें अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया है.
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UPSF Chief: मनोज सोनी के इस्तीफे के बाद प्रीति सुदन UPSC के नई अध्यक्ष होंगी. मनोज सोनी ने 20 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. मनोज सोनी ने अपना कार्यकाल खत्म होने से लगभग पांच साल पहले "व्यक्तिगत कारणों" से इस्तीफा दिया. अब उनके स्थान की जगह प्रीति सुदन ने ले ली है. प्रीति सुदन 1983 बैच की आईएएस अधिकारी और पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव रही हैं. प्रीति सूदन अब मनोज सोनी की जगह 1 अगस्त से कार्यभर संभालेंगी. UPSC की नई अध्यक्ष प्रीति सूदन के बारे में विस्तार से जानते हैं.
कौन हैं प्रीति सुदन?
प्रीती सुदन 2022 से यूपीएससी मेंबर के पद पर कार्यरत हैं. मनोज सोनी के बाद उन्हें अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया है. प्रीति सुदन हरियाणा की रहने वाली है. उन्होंने साल 1983 में यूपीएससी परीक्षा पास की थी. यूपीएससी के अलावा प्रीति सुदन महिला एवं बाल विकास और रक्षा मंत्रालय के अलावा खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव के रूप में भी अपनी सेवा दे चुकी हैं. प्रीति आंध्र प्रदेश कैडर की IAS हैं. 37 साल के एक्सपीरियंस के साथ जुलाई 2020 में में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव के रूप में रिटायर हुई थीं.
ई-सिगरेट की थी बैन
प्रीति सुदन को ई-सिगरेट बैन करने को लेकर बनान कानून के लिए काफी सराहा जाता है. इस कानून को उनकी करियर की बड़ी उपलब्धियों में से एक माना जाता है. इसके अलावा उन्होंने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान, आयुषमान भारत और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग, एलाइड हेल्थ प्रोफेशनल आयोग के कामों में भी अहम योगदान दिया है. प्रीति सुदन ने इकोनॉमिक्स में M.Phil की डिग्री ली है. इसके अलावा उन्होंने यूके, लंदन के स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड सोशल साइंस में एमएससी की है.
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राष्ट्रपति करता है नियुक्ति
देश के राष्ट्रपति यूपीएससी अध्यक्ष की नियुक्ति करते हैं. संविधान 316(1) के तहत ये नियुक्ति की जाती है. सदस्य के तौर पर कम से कम आधे सदस्य किसी लोक सेवा के सदस्य (कार्यरत या अवकाशप्राप्त) होते हैं, जिन्हें भारत या राज्य की सरकार के तहत कम से कम 10 साल का अनुभव होता है. राष्ट्रपति के पास ही अध्यक्ष को हटाने की पावर होती है. आपको बता दें UPSC के सदस्य अपने पद ग्रहण की तारीख से 6 साल की अवधि तक या 65 साल की आयु प्राप्त कर लेने तक (जो भी पहले हो) अपने पद पर रहते हैं. राज्य आयोग या संयुक्त आयोग के सदस्यों के लिए आयु सीमा 62 साल है.
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