ट्रंप ने भारत-अमेरिका के बीच 'बहुत बड़ी' ट्रेड डील के दिए संकेत, चीन से किया ये बड़ा समझौता!

ललित यादव

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इशारा किया कि भारत के साथ जल्द ही एक "बहुत बड़ी" डील हो सकती है. ट्रंप ने यह बात "बिग ब्यूटीफुल बिल इवेंट" में बोलते हुए कही.

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने बताया कि अमेरिका ने चीन के साथ एक व्यापार समझौते पर दस्तखत किए हैं. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी इशारा किया कि भारत के साथ जल्द ही एक "बहुत बड़ी" डील हो सकती है. ट्रंप ने यह बात "बिग ब्यूटीफुल बिल इवेंट" में बोलते हुए कही.

भारत और चीन के साथ डील की उम्मीद

ट्रंप ने अपनी स्पीच में व्यापार समझौतों की ओर इशारा करते हुए कहा, "हर कोई एक डील करना चाहता है और उसका हिस्सा बनना चाहता है. कुछ महीने पहले, प्रेस कह रही थी, 'क्या वाकई कोई ऐसा है, जिसे इसमें कोई दिलचस्पी हो?' खैर, हमने कल ही चीन के साथ दस्तखत किए हैं. हम कुछ बेहतरीन सौदे कर रहे हैं. हम एक और सौदा करने जा रहे हैं, शायद भारत के साथ, बहुत बड़ा सौदा."

ट्रंप ने यह भी साफ किया कि अमेरिका हर देश के साथ डील नहीं करेगा. उन्होंने कहा, "कुछ लोगों को हम सिर्फ एक पत्र भेजकर बहुत-बहुत धन्यवाद कहेंगे. आपको 25, 35, 45 प्रतिशत का भुगतान करना होगा. यह करने का आसान तरीका है और मेरे लोग इसे इस तरह से नहीं करना चाहते हैं. वे कुछ सौदे करना चाहते हैं, लेकिन वे मुझसे ज्यादा सौदे करना चाहते हैं."

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"ऐसी चीजें जो कभी नहीं हो सकती थीं..."

ट्रंप ने आगे कहा, "हम कुछ बेहतरीन सौदे कर रहे हैं. हम एक और सौदा करने जा रहे हैं, जहां हम भारत के लिए दरवाजे खोलने जा रहे हैं, वहीं चीन के साथ सौदे में हम चीन के लिए दरवाजे खोलने जा रहे हैं. ऐसी चीजें जो यकीनन कभी नहीं हो सकती थीं और हर देश के साथ हमारे संबंध बहुत अच्छे रहे हैं."

चीन डील की खास बातें

हालांकि, ट्रंप ने चीन के साथ हुए समझौते की ज्यादा जानकारी नहीं दी. लेकिन बाद में व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने बताया कि यह समझौता चीन से अमेरिका में रेयर अर्थ शिपमेंट्स (Rare Earth Shipments) को तेज करने पर केंद्रित है. यह एक ऐसा मुद्दा है जिससे वैश्विक सप्लाई चेन में रुकावट आ रही थी.

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारी ने कहा, "प्रशासन और चीन ने जिनेवा समझौते को लागू करने के लिए एक रूपरेखा पर सहमति जताई है." इस समझौते का मकसद महत्वपूर्ण खनिजों और चुंबकों पर चीन के प्रतिबंधों के कारण होने वाली देरी को दूर करना है. इन प्रतिबंधों से अमेरिका के ऑटोमोटिव, रक्षा और टेक्नोलॉजी जैसे कई उद्योग काफी प्रभावित हुए थे.

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