NEET में कम नंबर आने पर प्रिंसिपल पिता ने बेटी को दी ऐसी सजा कि फैल गई सनसनी, हर कोई हैरान

News Tak Desk

महाराष्ट्र के सांगली में NEET मॉक टेस्ट में कम नंबर आने पर पिता ने 17 साल की बेटी साधना की डंडे से पिटाई कर दी. अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. आरोपी पिता गिरफ्तार.

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प्रतीकात्मक तस्वीर AI, इनसेट में आरोपी पिता और मृतका बेटी.
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महाराष्ट्र के सांगली में ऐसी घटना हो गई जिसपर भरोसा कर पाना मुश्किल है. फिर भी आपको करना होगा. पिता ने होनहार बेटी को रूह कपां देने वाली सजा दे दी. वो पिता जो एक स्कूल के प्रिंसिपल हैं... वो पिता जो बच्चों के भविष्य को संवारने का काम करते हैं...वो पिता जो बच्चों को पढ़ाते हैं, उनकी परीक्षा लेते हैं और फिर उनकी कमियों-खूबियों को पहचानकर  उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने वाले पद पर आसीन हैं. 

ये है मामला 

मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम NEET की तैयारी कर रही एक 17 साल की होनहार छात्रा साधना भोंसले को केवल इसलिए जान गंवानी पड़ी क्योंकि उसके प्रैक्टिस टेस्ट में कम नंबर आए थे. पुलिस के मुताबिक, उसके ही पिता ने गुस्से में आकर उसे बेरहमी से पीटा, जिससे साधना की जान चली गई. 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक घटना महाराष्ट्र के सांगली जिले की है, जहां साधना अपने माता-पिता के साथ रहती थी. उसकी पढ़ाई चल रही थी और वह पिछले एक साल से NEET की तैयारी कर रही थी. उसने 10वीं बोर्ड में 92.60% अंक हासिल किए थे. 

डंडे से सिर में गंभीर चोट 

पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, साधना के पिता धोंडीराम भोंसले, जो पेशे से एक स्कूल प्रिंसिपल हैं, ने मॉक टेस्ट में बेटी के कम नंबर आने पर आपा खो दिया और डंडे से उसकी पिटाई कर दी. साधना के सिर पर गंभीर चोटें आईं. उसे तुरंत उषाकल हॉस्पिटल, सांगली में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान शुक्रवार को उसकी मौत हो गई. 

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मां ने दर्ज कराई शिकायत, आरोपी गिरफ्तार 

इस दिल दहला देने वाली वारदात के बाद लड़की की मां ने 22 जून को पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई. शिकायत में कहा गया कि उसके पति ने ही बेटी को इतनी बेरहमी से मारा कि उसकी जान चली गई. पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी धोंडीराम भोंसले को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में उसने बेटी को पीटने की बात स्वीकार कर ली है. कोर्ट ने उसे 24 जून तक पुलिस रिमांड पर भेजा है. 

क्या कहता है ये मामला? 

  • यह केस बताता है कि कैसे माता-पिता की उम्मीदें कभी-कभी बच्चों के जीवन पर भारी पड़ जाती हैं. 
  • एक बच्ची जो डॉक्टर बनने का सपना देख रही थी, उसे अपनों ने ही छीन लिया. 
  • NEET जैसे एग्जाम में नंबर ही सब कुछ नहीं होता, मानसिक दबाव को समझना जरूरी है. 
  • माता-पिता को गुस्से पर नियंत्रण रखना चाहिए. बच्चों को पनिश करते समय कई बार पैरेट्स अपना आपा खो देते हैं. 

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