विधानसभा चुनाव 2023ः मध्यप्रदेश में अगले महीने विधानसभा चुनाव होना तय है. इसे लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां महिला वोटरों को लुभाने के लिए मशक्कत कर रही हैं. सत्ताधारी बीजेपी ने महिलाओं से कनेक्ट बढ़ाने के लिए कई योजनाओं को लागू कर दिया है.तो दूसरी ओर विपक्षी कांग्रेस भी सत्ता में आने पर महिला केंद्रित योजनाओं की घोषणा कर चुकी है. महिला वोटर को लुभाने के पीछे की क्या है वजह, क्या महिलाएं पहुंचाएंगी सत्ता की सीढ़ी तक?
मध्यप्रदेश में महिला वोटर क्यों है अहम
मध्यप्रदेश के कुल 5.52 कुल वोटरों में से 2.67 करोड़ महिला वोटर हैं जो कि कुल वोटर्स का 48 फीसद हैं. मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 18 सीटों में महिलाओं की संख्या ज्यादा है. जिनमें बालाघाट, झाबुआ, डिंडोरी और मंडला जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्र शामिल हैं. 2018 के विधानसभा चुनावों में एसटी की सीटों पर कांग्रेस को जहां 30 सीटें हासिल हुई थीं तो वहीं बीजेपी सिर्फ 16 सीटों पर ही अपनी जीत दर्ज कर पाई थी. एक दूसरी वजह यह भी है कि हर पांच साल में होने वाले विधानसभा चुनावों में महिलाओं की भागीदारी पुरुष के मुकाबले लगातार बढ़ रही है. यानी वोट देने में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है. कई विश्लेषक महिला वोटर्स को साइलेंट वोटर्स बताते रहे हैं.
लाड़ली बहना से शिवराज तो नारी सम्मान से कांग्रेस को उम्मीद
इसी साल मार्च में शिवराज सिंह चौहान ने लाड़ली बहना योजना लांच की थी. अभी तक महिलाओं के खाते में इसकी पांच किश्तें पहुंच चुकी हैं. घोषणी की शुरुआत में इसकी धनराशि 1 हजार रुपए थी. जिसे अब 1250 कर दिया गया है. इसको बढ़ाकर 3000 तक करना है. सिलेंडर को 450 रुपए में देने की भी घोषणा कर चुकी है.
वहीं कांग्रेस भी महिलाओं को लुभाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है. कांग्रेस भी सरकार आने पर महिलाओं को नारी सम्मान के तहत 1500 रुपए देने की घोषणा कर चुकी है. वहीं 500 रुपए में सिलेंडर तो 12वीं तक बच्चों की मुफ्त शिक्षा का ऐलान प्रियंका गांधी एक रैली में कर चुकी हैं.