केजरीवाल के जेल जाने के बाद दिल्ली की सरकार चलाने के 5 विकल्प मौजूद, कर सकते हैं ये सारे काम

अभिषेक गुप्ता

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Arvind Kejriwal News: 21 मार्च को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को जांच एजेंसी इंफोर्समेंट डायरेक्ट्रेट (ED) ने उनके घर से रात करीब 9 बजे गिरफ्तार कर लिया था. उसके बाद कोर्ट ने ED को केजरीवाल की सात दिन की कस्टडी में भेज दिया. फिर बीते दिन यानी 1 अप्रैल को दिल्ली सीएम फिर से कोर्ट में पेश हुए जहां कोर्ट ने उन्हें 15 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. अब अरविन्द केजरीवाल 15 अप्रैल तक दिल्ली के तिहाड़ जेल में रहेंगे. उन्हें बीते दिन जेल नम्बर 2 में शिफ्ट कर दिया गया जहां वो बैरक में अकेले रहेंगे. 

इस सब के बाद भी अरविन्द केजरीवाल अभी भी दिल्ली के मुख्यमंत्री बने हुए हैं. उनका और उनकी पार्टी का ये साफ कहना है कि, दिल्ली में आम आदमी पार्टी(AAP) की सरकार के सीएम अरविन्द केजरीवाल बने रहेंगे और वो जहां रहेंगे वहीं से सरकार चलाएंगे भले ही वो जेल में ही क्यों न रहें. यानी AAP पार्टी दिल्ली में अब जेल से सरकार चलाने के मूड में है. पार्टी तो ऐसा करने की बात कर रही है लेकी क्या वाकई में ऐसा संभव है? इसी स्टोरी में हमने इसी बात को समझने की कोशिश की हैं कि, जेल में जाने के बाद अरविन्द केजरीवाल और उनकी पार्टी AAP के पास अब कौन-कौन से है विकल्प?

केजरीवाल के जेल जाने के बाद सरकार चलाने के क्या-क्या विकल्प है?

विकल्प 1- अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने रहे और उन्हें जेल के अंदर एक विशेष व्यवस्था के तहत सरकार चलाने की अनुमति दी जाए. लेकिन इस विकल्प की संभावना काफी कम है क्योंकि दिल्ली के उप-राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने जेल से सरकार नहीं चलने का आश्वासन दिल्ली की जनता को पहले ही दे दिया हैं. जेल के अंदर मीटिंग और फाइल देखने जैसी व्यवस्था जेल मैनुअल में नहीं है हालांकि अगर उप-राज्यपाल चाहे तो इसकी अनुमति मिल सकती है लेकिन उप-राज्यपाल के ऐसे बोल से क्या यह संभव लगता है?

विकल्प 2- अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने रहे और अपनी जगह कैबिनेट के किसी एक मंत्री को अपनी अनुपस्थिति में मुख्यमंत्री कार्यालय के कामकाज देखने का जिम्मा दे दें. ऐसा आमतौर पर तब होता है जब मुख्यमंत्री कहीं बाहर होते हैं या राज्य में किसी तरीके की मेडिकल इमरजेंसी जैसी हालत होती है. केजरीवाल के जेल जाने की स्थिति में ऐसी अनुमति उप-राज्यपाल या राष्ट्रपति देंगे यह अभी स्पष्ट नहीं है. 

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विकल्प 3- अरविंद केजरीवाल अपने पद से इस्तीफा दे दें और अपनी जगह किसी और को मुख्यमंत्री बना दें. हालांकि आम आदमी पार्टी इस संभावना से फिलहाल इनकार कर रही है उप-राज्यपाल के सचिवालय की सूत्रों की मानें तो AAP के पास सबसे अच्छा विकल्प यही है जिससे संवैधानिक संकट से भी बचा जा सकता है और साथ ही साथ सुचारू तौर पर सरकार भी चलाई जा सकती है. 

विकल्प 4- अगर अरविंद केजरीवाल जेल से सरकार चलाने की जिद पर अड़े रहते हैं तो संवैधानिक संकट का हवाला देकर सरकार को बर्खास्त किया जा सकता है. ऐसा करने के लिए उप-राज्यपाल अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेज सकते हैं. दिल्ली की व्यवस्था संविधान के अनुच्छेद- 239 AA और अनुच्छेद- 239 AB के आधार पर चलती है. इसके तहत उप-राज्यपाल को ऐसी अनुशंसा का अधिकार है. हालांकि ऐसा करने पर पूर्ण बहुमत वाली दिल्ली सरकार को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बर्खास्त करना एक कानूनी लड़ाई की शक्ल अख्तियार कर सकता है और उसका सियासी नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. इसलिए इसकी संभावना फिलहाल बहुत कम मानी जा रही है.

विकल्प 5- 21 मार्च को केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली में जैसी सरकार चल रही है वैसे ही अगले कुछ महीनों तक जब तक लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू है तब तक सरकार चलने दी जाए. वैसे एक प्रमुख बात ये है कि, मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के पास दिल्ली सरकार में कोई विभाग नहीं है ऐसे में किसी विभाग से जुड़े हुए कामकाज प्रभावित होने की संभावना नहीं है. वैसे भी आचार संहिता शुरू होने के बाद नई पॉलिसी से जुड़े हुए फैसले लेने का अधिकार सरकार के पास सीमित हो जाता है. इसके साथ ही वर्तमान वित्तीय वर्ष का बजट भी पास हो गया है, तो दिल्ली सरकार को किसी तरीके की वित्तीय चुनौती की संभावना नहीं है.

इन पांचों विकल्पों को देखे तो ये साफ है कि, अरविन्द केजरीवाल और AAP के पास जेल से भी सरकार चलाने का विकल्प मौजूद है. हां, लेकिन इसके लिए वो दिल्ली के उप-राज्यपाल पर आश्रित है अगर वो चाहेंगे तभी अरविन्द केजरीवाल जेल से सरकार चला सकते हैं लेकिन क्या ऐसा हो पाएगा इसपर संशय बरकरार है. 

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