फकीरी का बहाना या निर्मला सीतारामन ने चुनाव लड़ने से ही छुड़ाया अपना पीछा?

रूपक प्रियदर्शी

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നിർമ്മല സീതാരാമൻ്റെ ആസ്തി 2 കോടി രൂപയിൽ കൂടുതലാണ്, അതേസമയം 30 ലക്ഷം രൂപയിലധികം ബാധ്യതകളാണുള്ളത്.
നിർമ്മല സീതാരാമൻ്റെ ആസ്തി 2 കോടി രൂപയിൽ കൂടുതലാണ്, അതേസമയം 30 ലക്ഷം രൂപയിലധികം ബാധ്യതകളാണുള്ളത്.
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Nirmala Sitharaman: लोकसभा चुनाव से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने जो अंतरिम बजट पेश किया उसमें अनुमान है कि सरकार 2024-25 में 47-48 लाख करोड़ खर्च करेगी. लोकसभा चुनाव तक बीजेपी को इलेक्टोरल बॉन्ड से 6 हजार करोड़ का चंदा मिला लेकिन ऐसी पार्टी की नेता और देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन कह रही हैं कि आगामी चुनाव इसलिए नहीं लड़ रहीं हैं क्योंकि उनके पास पैसे नहीं हैं. टाइम्स नाऊ के कार्यक्रम में निर्मला सीतारामन ने कहा आंध्र प्रदेश या तमिलनाडु से चुनाव लड़ने का विकल्प था लेकिन पैसे नहीं होने से मना कर दिया.

ये सही है कि देश के लिए खर्च होने वाले पैसा या इलेक्टोरल बॉन्ड से जमा हुआ पैसा निर्मला सीतारामन की निजी संपत्ति नहीं है. जिसे वो अपने पर या अपने चुनाव के लिए खर्च कर सकें. ये भी कहा नहीं जा सकता कि निर्मला ने चुनाव लड़ने वाला सवाल टालने के लिए ऐसा कुछ बोल दिया या सचमुच अपनी व्यथा कथा बताई. बीजेपी चाहेगी तो बता सकती है कि अगर निर्मला का लोकसभा चुनाव लड़ना जरूरी था तो पैसे की कमी वाली समस्या का हल निकालने के लिए कुछ किया या नहीं. 

निर्मला सीतारमन की माली हालत इतनी भी पतली नहीं!

चुनाव आयोग ने नियम बना रखा है कि लोकसभा चुनाव में बड़े राज्यों में कोई भी उम्मीदवार 95 लाख से ज्यादा खर्च नहीं कर सकता. इसके लिए कोई नियम नहीं कि कितने कम खर्च में चुनाव लड़ा जा सकता है. संपत्ति डिटेल बताती है कि निर्मला सीतारामन की माली हालत इतनी भी पतली नहीं है. पिछले साल तक के मुताबिक निर्मला सीतारामन और उनके पति की संपत्ति घर, जमीन, गहने समेत सब मिला-जुलाकर करीब ढाई करोड़ की संपत्ति बनती है. 

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कैश इन हैंड तो 17 हजार 200 रुपये बताया लेकिन करीब 45 लाख की बैंक एफडी कर रखी है. करीब 1 करोड़ 87 लाख की अचल संपत्ति की मालकिन हैं. गहने के तौर पर 315 ग्राम सोना और 2 किलो चांदी भी है. निर्मला सीतारामन पर करीब 30 लाख रुपये का लोन भी चल रहा है.

'फकीरी' राजनीति में बहुत बार बन जाती है असेट

संपत्ति कम है लेकिन निर्मला सीतारामन चाहती तो चुनाव लड़ सकती थीं. 2019 के चुनाव में निर्मला सीतारामन से भी बहुत कम पैसे वालों ने बड़ी पार्टियों के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीतकर संसद पहुंचे थे. फकीरी राजनीति में आगे बढ़ने में हमेशा बाधा नहीं बनती. बहुतों के लिए बहुत बार असेट बनी है.

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एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के अनुसार 2019 के चुनाव में राजस्थान के सीकर से सुमेधा नंद सरस्वती सबसे गरीब सांसद चुने गए थे जिनकी घोषित संपत्ति 34 हजार 311 रुपये थी. अराकू से YSR कांग्रेस की जी माधवी के पास कुल 1 लाख 41 हजार 179 रुपए की संपत्ति थी. बीजेडी की चंद्राणी मुर्मु के पास 3 लाख 40 हजार 580 रुपए की प्रॉपर्टी निकली. अलवर से बीजेपी सांसद बालक नाथ के पास 3 लाख 52 हजार 929 रुपए की कुल संपत्ति थी. भोपाल से चुनाव जीतने वाली प्रज्ञा ठाकुर के पास 4 लाख 44 हजार 224 रुपए की प्रॉपर्टी थी. 

 

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बहुत सारे नेताओं के मुकाबले निर्मला सीतारामन की संपत्ति कम या किसी मिडिल क्लास परिवार जितनी लगती है. निर्मला सीतारामन देश की बहुत पढ़ी लिखी नेताओं में से हैं. तमिलनाडु के मदुरै के परिवार में जन्मी निर्मला के पिता रेलवे में नौकरी करते थे. मां हाउसवाइफ थीं. निर्मला सीतारामन ने मदुरै, तिरुचिरापल्ली से ग्रेजुएशन किया. इकोनॉमिक्स में MA और M.Phil, दिल्ली के JNU से किया. राजनीति करते हुए 20 साल से ज्यादा वक्त हो चुका है. 

इस बार चुनाव में एक लाख करोड़ से ज्यादा खर्च का अनुमान

देश का चुनाव महंगा है. इस बार करीब 1 लाख 20 हजार करोड़ खर्च होने का अनुमान है. बीजेपी जैसी बड़ी पार्टी में सारा लोड चुनावी खर्च उम्मीदवार पर नहीं होता. ऐसा भी नहीं होता कि सब पार्टी करेगी. उम्मीदवार का अपना लगेगा ही नहीं. उम्मीदवार की आर्थिक हालत पर बहुत सारी चीजें निर्भर करती हैं. 

उम्मीदवार की जेब से 25 हजार निकलते हैं जिसे जमानत राशि कहते हैं. चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार उम्मीदवार को चुनावी खर्च करने के लिए एक बैंक अकाउंट खुलवाना होता है. उसी से चुनाव के लिए खर्च कर सकते हैं. चुनाव बाद पाई-पाई का हिसाब भी देना पड़ता है. चुनाव लड़ने के लिए पार्टी पैसे दे सकती है. उम्मीदवार लोन लेकर या उधार लेकर, क्राउड फंडिंग से भी पैसे जुटा सकता है. शर्त ये है कि हर ट्रांजेक्शन का हिसाब होना चाहिए. 

चुनावी चंदे से पार्टियों को होने वाली कमाई का बड़ा हिस्सा उम्मीदवार और उसके चुनाव प्रचार पर भी खर्च होता है. रैली, सोशल मीडिया कैंपेन, पब्लिसिटी मैटेरियल, ट्रांसपोर्ट, खान-पान पर पार्टी फंड से खर्च होता है. किसी पार्टी या पार्टी के नेता की ओर से पार्टी के कार्यक्रम के प्रचार के लिए किए गए खर्च को कवर नहीं किया जाता है. रोज के खर्चे के लिए एक डायरी भी मेनटेन करनी होती है. 2019 की आजतक रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब के चुनाव कार्यालय ने उम्मीदवारों से कहा था कि एक कप चाय की कीमत 8 रुपये और समोसे की कीमत 10 रुपये तक हो सकती है. 
 

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